कुचामनसिटी. मौलासर तहसील में चिकित्सकों की कमी के चलते राजकीय सोमानी अस्पताल केवल मरहम पट्टी का केन्द्र बनकर रह गया है. 30 बेड वाला मौलासर का राजकीय अस्पताल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है. अस्पताल में चिकित्सकों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. मरीज छोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी शहर जाने को मजबूर हैं.
किशनगढ़-हनुमानगढ़ मेगा हाइवे पर स्थित क्षेत्र के इस सबसे बड़े अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है. रोजाना दूर-दराज से सैकड़ों मरीज अपने इलाज की आस लेकर मौलासर के इस अस्पताल में आते हैं, लेकिन यहां डॉक्टरों के कमी के चलते कई मरीजों को केवल प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. समाजसेवी अशोक अग्रवाल ने बताया कि भामाशाह की ओर से अस्पताल बनाकर सरकार को सौंप दिया गया, लेकिन सरकार यहां पर डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कर रही है और किसी तरह की कोई सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.
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डॉक्टरों के 8 पद, लेकिन नियुक्ति 1 डॉक्टर की : 30 बेड वाले इस अस्पताल को 8 से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सकों की दरकार है. पद स्वीकृत होने के बाद भी अस्पताल में आज तक महिला एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पर किसी चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो पाई है. जिसके चलते एक जनरल फिजीशियन और नर्स के भरोसे नवजात बच्चों और प्रसूताओं का इलाज किया जाता है. बीसीएमओ डॉक्टर अजीत बलारा ने बताया कि राजकीय सोमानी अस्पताल में 8 डॉक्टर की पोस्ट हैं, लेकिन फिलहाल एक ही डॉक्टर कार्यरत है, इसको लेकर सीएमएचओ और कलेक्टर दोनों को लिखित में अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सात पद लंबे समय से खाली : फिलहाल जनरल सर्जन डॉ. रामवरूप यादव पूरे अस्पताल को संभाल रहे हैं. ये अस्पताल बचे हुए 7 पदों पर लंबे समय से विशेषज्ञ चिकित्सकों की बाट जोह रहा है. खाली पदों को लेकर डॉ. रामस्वरूप यादव ने बताया कि हाल ही में बीसीएमओ ओर सीएमएचओ को भी खाली पदों पर चिकित्सकों की नियुक्ति को लेकर अवगत कराया गया है.
350 से 400 मरीजों की होती है ओपीडी : डॉ. रामस्वरूप यादव ने बताया कि मौलासर राजकीय सोमानी अस्पताल में लगभग 350 से 400 के बीच मरीज हर दिन आते हैं, वहीं, यहां करीब 100 महलाओं की डिलीवरी हर महीने होती है. 15 से ज्यादा बार एक महीने में पोस्टमार्टम भी करना पड़ता है. अस्पताल में दंत चिकित्सक, गायनिक व सर्जन चिकित्सक के पद खाली हैं. जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
धूल फांक रही है सोनोग्राफी मशीन : अस्पताल में हर महीने में लगभग 100 प्रसूताओं की डिलीवरी होती है. लेकिन अस्पताल में सोनोग्राफी की मशीन होने के बावजूद मरीजों को सोनोग्राफी के लिए बाहर जाना पड़ता है, क्योंकि राजकीय अस्पताल में सोनोग्राफी करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट नहीं है और अस्पताल की मशीन धूल फांक रही है.
विधायक ने किया था निरीक्षण : युवा नेता अरुण शर्मा ने कहा कि कुछ दिनों पहले ही चिकित्सालय का निरीक्षण डीडवाना विधायक यूनुस खान ने किया था. ग्रामीणों ने चिकित्सक की नियुक्ति को लेकर विधायक को अवगत करवाया था, जिस पर विद्यायक युनुस खान ने जल्दी ही चिकित्सक नियुक्त करने का आश्वासन दिया है. अरुण शर्मा ने कहा कि अस्पताल की समस्या को लेकर कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिया गया, लेकिन किसी ने भी इस समस्या का समाधान नहीं किया है.