लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने पावर कॉरपोरेशन की तरफ से दक्षिणांचल व पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल के तहत दिए जाने के एलान पर बुधवार को एक बार फिर से विचार विमर्श किया. फैसला लिया कि निजीकरण और आरक्षण के मुद्दे पर करो-मरो की तर्ज पर लड़ाई लडी जाएगी. किसी भी हालत में पीछे नहीं हटा जाएगा.
संगठन ने दक्षिणांचल व पूर्वाचल में ज्यादा से ज्यादा दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं को चुन-चुनकर तैनात करने पर भी सवाल उठाया. कहा, इसका मतलब प्रबंधन पहले से ही तय कर चुका था कि दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं को इन दोनों कंपनियों में ज्यादा से ज्यादा तैनात करना है. आरक्षण समर्थक आठ लाख कर्मचारी आरक्षण के बचाव में और निजीकरण के खिलाफ सड़क पर उतरने के लिए तैयार हैं.
उत्तर प्रदेश के सभी विभागों के आरक्षण समर्थक कार्मिकों के प्रतिनिधि संगठन आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने भी पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दिया है. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों ने कहा कि निजी क्षेत्र में सबसे पहले आरक्षण लागू किया जाए. इसके बाद किसी भी मुद्दे पर आगे चर्चा की जाएगी. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति प्रदेश के सभी सरकारी विभागों का प्रतिनिधि संगठन है. जरूरत पड़ने पर सभी सरकारी विभाग के कार्मिक संगठन के पक्ष में उतरेंगे. प्रदेश के लगभग आठ लाख आरक्षण समर्थक कार्मिक पूरी तरह पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की तरफ से चलाए जा रहे निजीकरण के खिलाफ अभियान का समर्थन करते हैं.
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद और विनय कुमार ने कहा कि आरक्षण बचाओ विभाग बचाओ अभियान लगातार चलता रहेगा. सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से लगातार मुलाकात होती रहेगी. संगठन ने प्रबंधन से ये भी मांग की है कि संवैधानिक तरीके से अपनी मांग को उठा रहे हैं और साथ ही विद्युत आपूर्ति बनाने में भी अपना पूर्ण सहयोग कर रहे हैं. ऐसे में संगठन की मांगों को प्रबंधन व सरकार को मान लेना चाहिए जिससे आपस का टकराव खत्म हो. निजीकरण प्रदेश के हित में है न ही उपभोक्ताओं के हित में. संगठन अपने आरक्षण के मुद्दे पर पूरी तरीके से मुस्तैदी के साथ लड़ाई को आगे बढ़ाएगा.