जबलपुर. अबू धाबी में 700 करोड़ की लागत से जो मंदिर बनाया गया, उसके निर्माण में जबलपुर (Abhu Dhabhi Jabalpur Connection) के महंत स्वामी जी महाराज (Who is BAPS Swami Mahant Maharaj ) की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है. स्वामी महाराज का मूल नाम केशव जीवनदास है और उनका जन्म जबलपुर में 1933 में हुआ था. उन्हें यहां बिनु पटेल के नाम से जाना जाता था. महंत स्वामी महाराज के पिता का नाम मणि भाई नारायण भाई पटेल था और माता जी का नाम दही बहन. आइए अब अबू धाबी में इन्ही स्वामी जी महाराज के पैर पीएम मोदी ने छुए, उनका इंडियन कनेक्शन और खासकर जबलपुर कनेक्शन जबरदस्त है.
नेपियर टाउन में रहता था महंत का परिवार
बात 1933 की है स्वामी जी का परिवार जबलपुर के नेपियर टाउन (Napier town) में निवास करता था. महंत स्वामी महाराज ने जबलपुर के ही क्राइस्ट चर्च बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी और इसके बाद यह परिवार जबलपुर से गुजरात के आनंद चला गया. जबलपुर में जहां यह गुजराती परिवार रहा करता था, वहां 2019 में एक बड़ा मंदिर भी बनाया गया. यह मंदिर महंत स्वामी महाराज को समर्पित है और काफी चर्चित भी.
अबू धाबी में 700 करोड़ की लागत से बना मंदिर
जिस संस्था ने अबू धाबी में मंदिर (Abhu dhabi temple) बनाया उसे बीएपीएस स्वामीनारायण संस्थान के नाम से जाना जाता है. 2019 में जब जबलपुर में महंत स्वामी महाराज के मंदिर का निर्माण हो रहा था तब भी इस बात का जिक्र आया था कि संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में एक हिंदू मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. संयुक्त अरब अमीरात में 90% इस्लाम धर्म के लोग रहते हैं, लेकिन स्वामी महंत महाराज और अबू धाबी के शेख नयन बिन मुबारक के दोस्ताना संबंध हैं.
अबू धाबी सरकार ने दी थी मंदिर के लिए जमीन
2015 में इस मंदिर के निर्माण को लेकर जब बातचीत शुरू हुई थी तब इसमें करीब 20 हजार वर्ग मीटर जमीन अबू धाबी सरकार ने दी थी और अब जाकर इस मंदिर का निर्माण पूरा हुआ है. इस मंदिर में 700 करोड़ रुपए की लागत आई है. खास बात यह कि 90% मुस्लिम आबादी वाले इस देश में एक भव्य हिंदू मंदिर बना है.
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बेहद आकर्षक है अबू धाबी में बना यह मंदिर
अबू धाबी में बना यह मंदिर कला का एक अद्भुत नमूना है. स्वामीनारायण संस्था जिस तरीके के मंदिर बनाती है, वे बेहद कलात्मक होते हैं. अबू धाबी का यह मंदिर हिंदू धर्म के मौलिक सिद्धांत, उपासना पद्धति और हिंदुओं की सोच का प्रतिनिधित्व करेगा और लोगों में भारत की पहचान बेहतर करने में मदद करेगा.