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मसाला किसान ध्यान दें! अधिक पैदावार और क्वालिटी देने वाली इन 7 नई मसाला किस्मों की हुई पहचान

हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 35वीं अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक का आयोजन हुआ.

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

NEW SPICE VARIETIES IDENTIFIED
NEW SPICE VARIETIES IDENTIFIED (Etv Bharat)

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 35वीं अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक संपन्न हुई. इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के 40 अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना केंद्रों से आए 150 वैज्ञानिकों ने भाग लिया.

आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (बागवानी विभाग) डॉ. सुधाकर पांडे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों सहित भविष्य में उभरती समस्याओं से निपटने के लिए मसाले वाली फसलों की जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील, रोगरोधी, बायोटिक व अबायोटिक तनाव के प्रति सहनशील किस्में तैयार करनी होंगी. इसी कड़ी में इस राष्ट्रीय स्तर की वार्षिक समूह बैठक में तीन दिन चले मंथन से मसाले वाली फसलों की उच्च गुणवत्ता एवं अधिक पैदावार देने वाली सात नई किस्मों की पहचान की गई है, जो इस प्रकार है.

  • धनिये की फसल की करण धनिया-1 किस्म.
  • जीरे में जोधपुरी जीरा-1 किस्म.
  • काजरी जीरा-1 किस्म.
  • सौंफ की गुजरात-13 किस्म.
  • अदरक की एसएएस-केवू किस्म.
  • हल्दी की आईआईएसआर-सूर्या किस्म.
  • मेथी की आरएमटी-259 किस्म.

इन नई किस्मों की पहचान से धनिया, जीरा, सौंफ, अदरक, हल्दी व मेथी जैसी मुख्य मसाले वाली फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी. इन नई किस्मों की पहचान के अलावा मसाले वाली फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए नई कृषि तकनीकों की भी सिफारिश की गई है.

इन फसलों की बढ़ेगी पैदावार : दूसरी सिफारिश में इलाइची की फसल को राइजोम सड़न बीमारी से बचाने के लिए टेबुकोनाजोल दवाई का छिड़काव फायदेमंद है. तीसरी सिफारिश में बड़ी इलाइची की फसल में मलचिंग करके मृदा की नमी को संरक्षित करना और खरपतवार नियंत्रण करके पैदावार बढ़ाना भी शामिल रहा. इन नई कृषि पद्दतियों की सिफारिश से अदरक, हल्दी, छोटी इलाइची व बड़ी इलाइची की फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि वैज्ञानिक विभिन्न मसाला फसलों पर विशेष केंद्रों पर काम कर रहे हैं, ताकि नई सस्य क्रियाएं विकसित करने, प्रौद्योगिकियों में सुधार, प्रमुख मसालों में कीटनाशक अवशेषों, लेबल दावों, मशीनीकरण, मूल्य संवर्धन, उच्च मूल्य यौगिकों पर अनुसंधान की तीव्रता और उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए विशिष्ट गुणवत्ता लक्षणों के साथ अच्छे कृषि पद्धतियों और किस्मों को एकीकृत किया जा सके.

11 नई पुस्तकों व तकनीकी बुलेटिन का विमोचन : उन्होंने बताया कि तीन दिनों चली इस बैठक से मसाला फसलों पर काम करने वाले वैज्ञानिकों को नई दिशा मिलेगी. साथ ही आगामी समय में लगाए जाने वाले नए प्रयोगों, प्रोजेक्ट बनाने व किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शोध कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी. इस राष्ट्रीय स्तर की वार्षिक समूह बैठक में मसाला वाली फसलों से संबंधित 11 नई पुस्तकों व तकनीकी बुलेटिन का विमोचन किया गया.

इसे भी पढ़ें : पंचकूला में मैंगो मेले में आकर्षण का केंद्र बना 2 ग्राम का आम, करीब 500 तरह की किस्मों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे लोग - Mango Fair in Panchkula

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 35वीं अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक संपन्न हुई. इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के 40 अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना केंद्रों से आए 150 वैज्ञानिकों ने भाग लिया.

आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (बागवानी विभाग) डॉ. सुधाकर पांडे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों सहित भविष्य में उभरती समस्याओं से निपटने के लिए मसाले वाली फसलों की जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील, रोगरोधी, बायोटिक व अबायोटिक तनाव के प्रति सहनशील किस्में तैयार करनी होंगी. इसी कड़ी में इस राष्ट्रीय स्तर की वार्षिक समूह बैठक में तीन दिन चले मंथन से मसाले वाली फसलों की उच्च गुणवत्ता एवं अधिक पैदावार देने वाली सात नई किस्मों की पहचान की गई है, जो इस प्रकार है.

  • धनिये की फसल की करण धनिया-1 किस्म.
  • जीरे में जोधपुरी जीरा-1 किस्म.
  • काजरी जीरा-1 किस्म.
  • सौंफ की गुजरात-13 किस्म.
  • अदरक की एसएएस-केवू किस्म.
  • हल्दी की आईआईएसआर-सूर्या किस्म.
  • मेथी की आरएमटी-259 किस्म.

इन नई किस्मों की पहचान से धनिया, जीरा, सौंफ, अदरक, हल्दी व मेथी जैसी मुख्य मसाले वाली फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी. इन नई किस्मों की पहचान के अलावा मसाले वाली फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए नई कृषि तकनीकों की भी सिफारिश की गई है.

इन फसलों की बढ़ेगी पैदावार : दूसरी सिफारिश में इलाइची की फसल को राइजोम सड़न बीमारी से बचाने के लिए टेबुकोनाजोल दवाई का छिड़काव फायदेमंद है. तीसरी सिफारिश में बड़ी इलाइची की फसल में मलचिंग करके मृदा की नमी को संरक्षित करना और खरपतवार नियंत्रण करके पैदावार बढ़ाना भी शामिल रहा. इन नई कृषि पद्दतियों की सिफारिश से अदरक, हल्दी, छोटी इलाइची व बड़ी इलाइची की फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि वैज्ञानिक विभिन्न मसाला फसलों पर विशेष केंद्रों पर काम कर रहे हैं, ताकि नई सस्य क्रियाएं विकसित करने, प्रौद्योगिकियों में सुधार, प्रमुख मसालों में कीटनाशक अवशेषों, लेबल दावों, मशीनीकरण, मूल्य संवर्धन, उच्च मूल्य यौगिकों पर अनुसंधान की तीव्रता और उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए विशिष्ट गुणवत्ता लक्षणों के साथ अच्छे कृषि पद्धतियों और किस्मों को एकीकृत किया जा सके.

11 नई पुस्तकों व तकनीकी बुलेटिन का विमोचन : उन्होंने बताया कि तीन दिनों चली इस बैठक से मसाला फसलों पर काम करने वाले वैज्ञानिकों को नई दिशा मिलेगी. साथ ही आगामी समय में लगाए जाने वाले नए प्रयोगों, प्रोजेक्ट बनाने व किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शोध कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी. इस राष्ट्रीय स्तर की वार्षिक समूह बैठक में मसाला वाली फसलों से संबंधित 11 नई पुस्तकों व तकनीकी बुलेटिन का विमोचन किया गया.

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