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को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला : 7 कर्मचारी सस्पेंड, 10 को नोटिस जारी, जांच के लिए CBI को भेजा मामला - Nohradhar CO OPERATIVE bank scam

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 19, 2024, 8:01 PM IST

नौहराधार में स्थित को-ऑपरेटिव बैंक में हाल ही में सामने आए करोड़ों रूपए के घोटाले के मामले में बैंक प्रबंधन ने प्रथम दृष्टया में संलिप्त बैंक के 7 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. प्रारंभिक जांच के अनुसार बैंक में 4 करोड़ 2 लाख रूपए के घोटाले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई गई है.

नौहराधार को-ऑपरेटिव बैंक
नौहराधार को-ऑपरेटिव बैंक (ETV BHARAT)

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के नौहराधार में स्थित को-ऑपरेटिव बैंक में हाल ही में सामने आए करोड़ों रूपए के घोटाले के मामले में बैंक प्रबंधन ने प्रथम दृष्टया में संलिप्त बैंक के 7 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है, जबकि 10 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. इसके अलावा शाखा में तैनात अन्य कर्मचारियों को भी दूसरी जगहों पर स्थानांतरित कर दिया गया है. साथ ही इस मामले में विभागीय जांच के तुरंत आदेश जारी कर विस्तृत जानकारी भी प्रबंधन की ओर से जुटाई जा रही है. यही नहीं प्रबंधन ने करोड़ों रूपए के इस घोटाले में अब सीबीआई से जांच करवाने का फैसला भी लिया है. इसकी पुष्टि राज्य सहकारी बैंक के एमडी श्रवण मांटा ने की है.

उधर हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम ने कहा कि, 'इस प्रकार की घटनाएं बैंक के लिए बेहद चिंतनीय और अस्वीकार्य है. प्रारंभिक जांच के अनुसार सहायक प्रबंधक द्वारा अभी तक 4 करोड़ 2 लाख रूपए की हेराफेरी का पता चला है. मामले में विस्तृत विभागीय जांच जारी है और गहनता से जांच पड़ताल के उपरांत ही पूरी जानकारी सामने आ सकेगी कि संबंधित कर्मचारी ने कितनी राशि की हेराफेरी की है. बैंक प्रबंधन ने इस अति संवेदनशील मामले को नाबार्ड द्वारा तय मानदंडों के अनुरूप इसकी जांच सीबीआई से करवाने का निर्णय लिया है और यह पूरा मामला जांच के लिए सीबीआई को भेज दिया गया है.'

ग्राहकों को नहीं घबराने की जरूरत

उन्होंने बैंक के सभी ग्राहकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनके द्वारा बैंक में जमा की गई राशि पूरी तरह से सुरक्षित है और उन्हें किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. बैंक उनके प्रति पूरी निष्ठा रखता है और समर्पित भाव से उन्हें सभी प्रकार की बैंक सेवाएं प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है. उधर बैंक के एमडी श्रवण मांटा ने कहा कि, 'चूंकि बैंक कर्मचारी संस्था की रीढ़ है और उनके द्वारा इस प्रकार की धोखाधड़ी को अंजाम देना बैंक व ग्राहक समुदाय के साथ विष्वासघात है. बैंक प्रबंधन ने इस घटना पर कड़ा संज्ञान लिया है और इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच जारी है. जो कर्मचारी इस पूरे प्रकरण में संलिप्त पाया जाएगा, उसे किसी भी सूरत में बख्खा नहीं जाएगा और संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.'

बैंक के सारे दस्तावेजों की हुई जांच

बता दें कि नौहराधार कोऑप्रेटिव बैंक में करोड़ों रूपए के घोटाले का मामला संज्ञान में आते ही बैंक प्रबंधन ने सहायक प्रबंधक को सस्पेंड कर उसे शिमला भेज दिया था. इस पूरे मामले में 7 कर्मचारियों को सस्पेंड किया जा चुका है. प्रबंधन की तरफ से इस मामले को लेकर संगड़ाह पुलिस थाने में भी शिकायत दर्ज करवाई गई है. प्रबंधन के अनुसार निलंबित सहायक प्रबंधक द्वारा गत 3 अगस्त को घोटाले बारे में पता चला था. करीब एक सप्ताह तक बैंक प्रबंधन ने खुद मामले की जांच की. इसके बाद 10 अगस्त को संगड़ाह पुलिस थाने में आरोपी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई. दो दिनों तक हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक मुख्यालय शिमला की टीम ने भी बैंक के सारे दस्तावेजों की जांच की.

फर्जी तरीके से लोगों के नाम बनाई लिमिट

प्रारंभिक जांच के अनुसार बैंक में 4 करोड़ 2 लाख रूपए के घोटाले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई गई है. संबंधित कर्मचारी पर आरोप है कि उसने लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से लिमिट बनवाई. कई लोगों की लिमिट पर फर्जी तरीके से लोन लिया. कुछ लोगों की एफडीआर का पूरा पैसा ही गबन कर दिया. कुछ लोगों की एफडीआर पर लोन ले लिया. कुछ लोगों के केसीसी अकाउंट से भी भारी राशि का गबन किया गया. बताया जा रहा है कि कई लोगों के एफडी खाते से लाखों रुपए का गबन हुआ है. कई खातों का बैलेंस भी जीरो हो गया है. अब इस पूरी हेराफेरी की जांच को लेकर प्रबंधन द्वारा मामला सीबीआई को भेजा गया है.

ये भी पढ़ें: शिमला में नशे में धुत तीन लड़कों ने पुलिसवाले से की मारपीट, चौकी में घुसकर तोड़-फोड़ भी की

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के नौहराधार में स्थित को-ऑपरेटिव बैंक में हाल ही में सामने आए करोड़ों रूपए के घोटाले के मामले में बैंक प्रबंधन ने प्रथम दृष्टया में संलिप्त बैंक के 7 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है, जबकि 10 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. इसके अलावा शाखा में तैनात अन्य कर्मचारियों को भी दूसरी जगहों पर स्थानांतरित कर दिया गया है. साथ ही इस मामले में विभागीय जांच के तुरंत आदेश जारी कर विस्तृत जानकारी भी प्रबंधन की ओर से जुटाई जा रही है. यही नहीं प्रबंधन ने करोड़ों रूपए के इस घोटाले में अब सीबीआई से जांच करवाने का फैसला भी लिया है. इसकी पुष्टि राज्य सहकारी बैंक के एमडी श्रवण मांटा ने की है.

उधर हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम ने कहा कि, 'इस प्रकार की घटनाएं बैंक के लिए बेहद चिंतनीय और अस्वीकार्य है. प्रारंभिक जांच के अनुसार सहायक प्रबंधक द्वारा अभी तक 4 करोड़ 2 लाख रूपए की हेराफेरी का पता चला है. मामले में विस्तृत विभागीय जांच जारी है और गहनता से जांच पड़ताल के उपरांत ही पूरी जानकारी सामने आ सकेगी कि संबंधित कर्मचारी ने कितनी राशि की हेराफेरी की है. बैंक प्रबंधन ने इस अति संवेदनशील मामले को नाबार्ड द्वारा तय मानदंडों के अनुरूप इसकी जांच सीबीआई से करवाने का निर्णय लिया है और यह पूरा मामला जांच के लिए सीबीआई को भेज दिया गया है.'

ग्राहकों को नहीं घबराने की जरूरत

उन्होंने बैंक के सभी ग्राहकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनके द्वारा बैंक में जमा की गई राशि पूरी तरह से सुरक्षित है और उन्हें किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. बैंक उनके प्रति पूरी निष्ठा रखता है और समर्पित भाव से उन्हें सभी प्रकार की बैंक सेवाएं प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है. उधर बैंक के एमडी श्रवण मांटा ने कहा कि, 'चूंकि बैंक कर्मचारी संस्था की रीढ़ है और उनके द्वारा इस प्रकार की धोखाधड़ी को अंजाम देना बैंक व ग्राहक समुदाय के साथ विष्वासघात है. बैंक प्रबंधन ने इस घटना पर कड़ा संज्ञान लिया है और इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच जारी है. जो कर्मचारी इस पूरे प्रकरण में संलिप्त पाया जाएगा, उसे किसी भी सूरत में बख्खा नहीं जाएगा और संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.'

बैंक के सारे दस्तावेजों की हुई जांच

बता दें कि नौहराधार कोऑप्रेटिव बैंक में करोड़ों रूपए के घोटाले का मामला संज्ञान में आते ही बैंक प्रबंधन ने सहायक प्रबंधक को सस्पेंड कर उसे शिमला भेज दिया था. इस पूरे मामले में 7 कर्मचारियों को सस्पेंड किया जा चुका है. प्रबंधन की तरफ से इस मामले को लेकर संगड़ाह पुलिस थाने में भी शिकायत दर्ज करवाई गई है. प्रबंधन के अनुसार निलंबित सहायक प्रबंधक द्वारा गत 3 अगस्त को घोटाले बारे में पता चला था. करीब एक सप्ताह तक बैंक प्रबंधन ने खुद मामले की जांच की. इसके बाद 10 अगस्त को संगड़ाह पुलिस थाने में आरोपी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई. दो दिनों तक हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक मुख्यालय शिमला की टीम ने भी बैंक के सारे दस्तावेजों की जांच की.

फर्जी तरीके से लोगों के नाम बनाई लिमिट

प्रारंभिक जांच के अनुसार बैंक में 4 करोड़ 2 लाख रूपए के घोटाले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई गई है. संबंधित कर्मचारी पर आरोप है कि उसने लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से लिमिट बनवाई. कई लोगों की लिमिट पर फर्जी तरीके से लोन लिया. कुछ लोगों की एफडीआर का पूरा पैसा ही गबन कर दिया. कुछ लोगों की एफडीआर पर लोन ले लिया. कुछ लोगों के केसीसी अकाउंट से भी भारी राशि का गबन किया गया. बताया जा रहा है कि कई लोगों के एफडी खाते से लाखों रुपए का गबन हुआ है. कई खातों का बैलेंस भी जीरो हो गया है. अब इस पूरी हेराफेरी की जांच को लेकर प्रबंधन द्वारा मामला सीबीआई को भेजा गया है.

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