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MBBS में एडमिशन घोटाला, अल्पसंख्यक कोटे के लिए 6 विद्यार्थी बन गए बौद्ध, सुभारती यूनिवर्सिटी में लिया दाखिला - MBBS Admission Scam

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 14, 2024, 7:08 PM IST

मेरठ के सुभारती मेडिकल कॉलेज में बौद्ध धर्म के फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए एडमिशन दे दिए गए. इस मामले की गोपनीय शिकायत के बाद राज्य सरकार ने ज़ब जांच कराई तो सभी प्रमाण पत्र फर्जी निकले हैं. हैरानी की बात तो यह है कि जिन्हें एडमिशन मिले हैं उनमें जो स्टूडेंट्स बने हैं उनमें कई सामान्य वर्ग से हैं जबकि कई अन्य पिछड़ा वर्ग से. आईए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

सुभारती मेडिकल कॉलेज
सुभारती मेडिकल कॉलेज (Etv Bharat)

मेरठः यूपी के मेरठ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां के सुभारती विश्वविद्यालय में मेडिकल में एडमिशन लेने के लिए कुछ छात्र रातों रात बौद्ध बन गये. मेडिकल कॉलेज में फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र लगाकर एडमिशन लेने का खेल पकड़ में आने के बाद शासन स्तर से अब जांच बैठा दी गई है. मामला सामने आने के बाद अब उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के सभी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज में पहली काउंसलिंग के बाद एडमिशन लेने वाले छात्रों के प्रमाण पत्र के जांच के आदेश दिए हैं.

मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में फर्जी प्रमाणपत्रों से मेडिकल में हुए दाखिले. (Video Credit; ETV Bharat)
गौरतलब है कि यूपी में अल्पसंख्यक कोटे के तहत प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेने का प्रावधान है. जिसके चलते मेरठ स्थित सुभारती विश्वविद्यालय में पहले चरण की काउंसलिंग में 22 एडमिशन अल्पसंख्यक कोटे के तहत होने थे. इस कोटे के तहत 6 छात्रों ने एमबीबीएस में एडमिशन ले भी लिया था. लेकिन किसी तरह चिकित्सा शिक्षा विभाग को जानकारी मिली कि फर्जी धर्मांतरण दिखाकर 6 बच्चों ने बौद्ध धर्म का फर्जी सर्टिफेकट बनवाकर एडमिशन ले लिया है.


जिन कैंडिडेट्स को ये सर्टिफिकेट्स को जारी किए गए वह अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य जातियों में आते हैं. जांच के पकड़े गए खुशबू चौधरी, सिया पाराशर, रितिक सिंह, अहान गौतम और इशांत शर्मा के प्रमाण पत्र रद्द करने की संस्तुति की गई है. जबकि एक स्टूडेंट् क्योंकि धर्म परिवर्तन के नए नियम के दायरे के बाहर है. इसलिए उसे इस जांच के दायरे में शामिल नहीं किया है. हालांकि उसका अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र भी शक के घेरे में है.

सुभारती मेडिकल कॉलेज के डीन और प्रिंसिपल डॉक्टर प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि संस्थान को कुछ लोग बदनाम करने की कोशिश करते रहते हैं. एडमिशन की पूरी एक प्रक्रिया है, जिसमें उनके हाथ में कुछ नहीं होता. उन्हें तो जो स्टूडेंट्स की सूची प्राप्त होती है, उन्हें वह प्रवेश देते हैं. उन्होंने कहा कि संस्थान न इसमें कोई कार्रवाई करेगा और न इसमें उनकी कोई भूमिका है.

बता दें कि बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट उन्हें जारी किया जा सकता है, जो जन्म से बौद्ध हो, या फिर उनके माता-पिता ने बौद्ध धर्म अपना लिया होय इसके लिए उत्तर प्रदेश में 2021 से धर्मांतरण कानून भी है. इस कानून के तहत धर्मांतरण करने वाले को 60 दिन पहले इसकी सूचना डीएम को देनी होती है. लेकिन जो मामले पकड़ में आए हैं इनमें से किसी ने भी कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई.

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी रुहैल आजम ने बताया कि तीन प्रमाण पत्र मेरठ में भी जारी हुए हैं. बाकी जो छात्रों ने प्रमाण पत्र लगाए वह उनके जिलों में बने थे. वहीं, जिला अधिकारी ने बताया कि अभ्यर्थियों ने अपना धर्म बदलने के दौरान कानूनी प्रक्रिया ही नहीं अपनाई, जिसके अंतर्गत यूपी में 2021 के बाद धर्मांतरण मुमकिन है.

इसे भी पढ़ें-नीट यूजी काउंसिलिंग में 2551 अभ्यर्थी बाहर, शिक्षा विभाग ने जारी की मेरिट सूची, रजिस्ट्रेशन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

मेरठः यूपी के मेरठ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां के सुभारती विश्वविद्यालय में मेडिकल में एडमिशन लेने के लिए कुछ छात्र रातों रात बौद्ध बन गये. मेडिकल कॉलेज में फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र लगाकर एडमिशन लेने का खेल पकड़ में आने के बाद शासन स्तर से अब जांच बैठा दी गई है. मामला सामने आने के बाद अब उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के सभी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज में पहली काउंसलिंग के बाद एडमिशन लेने वाले छात्रों के प्रमाण पत्र के जांच के आदेश दिए हैं.

मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में फर्जी प्रमाणपत्रों से मेडिकल में हुए दाखिले. (Video Credit; ETV Bharat)
गौरतलब है कि यूपी में अल्पसंख्यक कोटे के तहत प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेने का प्रावधान है. जिसके चलते मेरठ स्थित सुभारती विश्वविद्यालय में पहले चरण की काउंसलिंग में 22 एडमिशन अल्पसंख्यक कोटे के तहत होने थे. इस कोटे के तहत 6 छात्रों ने एमबीबीएस में एडमिशन ले भी लिया था. लेकिन किसी तरह चिकित्सा शिक्षा विभाग को जानकारी मिली कि फर्जी धर्मांतरण दिखाकर 6 बच्चों ने बौद्ध धर्म का फर्जी सर्टिफेकट बनवाकर एडमिशन ले लिया है.


जिन कैंडिडेट्स को ये सर्टिफिकेट्स को जारी किए गए वह अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य जातियों में आते हैं. जांच के पकड़े गए खुशबू चौधरी, सिया पाराशर, रितिक सिंह, अहान गौतम और इशांत शर्मा के प्रमाण पत्र रद्द करने की संस्तुति की गई है. जबकि एक स्टूडेंट् क्योंकि धर्म परिवर्तन के नए नियम के दायरे के बाहर है. इसलिए उसे इस जांच के दायरे में शामिल नहीं किया है. हालांकि उसका अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र भी शक के घेरे में है.

सुभारती मेडिकल कॉलेज के डीन और प्रिंसिपल डॉक्टर प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि संस्थान को कुछ लोग बदनाम करने की कोशिश करते रहते हैं. एडमिशन की पूरी एक प्रक्रिया है, जिसमें उनके हाथ में कुछ नहीं होता. उन्हें तो जो स्टूडेंट्स की सूची प्राप्त होती है, उन्हें वह प्रवेश देते हैं. उन्होंने कहा कि संस्थान न इसमें कोई कार्रवाई करेगा और न इसमें उनकी कोई भूमिका है.

बता दें कि बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट उन्हें जारी किया जा सकता है, जो जन्म से बौद्ध हो, या फिर उनके माता-पिता ने बौद्ध धर्म अपना लिया होय इसके लिए उत्तर प्रदेश में 2021 से धर्मांतरण कानून भी है. इस कानून के तहत धर्मांतरण करने वाले को 60 दिन पहले इसकी सूचना डीएम को देनी होती है. लेकिन जो मामले पकड़ में आए हैं इनमें से किसी ने भी कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई.

जिला अल्पसंख्यक अधिकारी रुहैल आजम ने बताया कि तीन प्रमाण पत्र मेरठ में भी जारी हुए हैं. बाकी जो छात्रों ने प्रमाण पत्र लगाए वह उनके जिलों में बने थे. वहीं, जिला अधिकारी ने बताया कि अभ्यर्थियों ने अपना धर्म बदलने के दौरान कानूनी प्रक्रिया ही नहीं अपनाई, जिसके अंतर्गत यूपी में 2021 के बाद धर्मांतरण मुमकिन है.

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