झालावाड़. जिले के मेडिकल कॉलेज में अध्यनरत छात्रों को कॉलेज में मृत मानव शरीर की कमी के चलते प्रायोगिक कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही थी. ऐसे में कॉलेज के एनाटॉमी विभाग ने भरतपुर की अपना घर संस्था को पत्र जारी कर मृत मानव शरीर की मांग की थी. जिसके बाद अपना घर संस्थान के द्वारा मेडिकल कॉलेज को 6 मृत मानव शरीर देने की स्वीकृति प्रदान की गई. शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्य टीम ने सभी 6 मृत मानव शरीर को लेकर कॉलेज पहुंची.
इस दौरान मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के विभाग प्रोफेसर मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में बीते कई दिनों से मृत मानव शरीर की कमी बनी हुई थी. ऐसे में कॉलेज में अध्यनरत मेडिकल स्टूडेंट को प्रायोगिक कार्य में समस्या का सामना करना पड़ रहा था. उन्होंने बताया कि मृत मानव शरीर के लिए भरतपुर की अपना घर संस्थान से सम्पर्क किया था. जिसके बाद संस्था के द्वारा 6 मानव मृत शरीरों को देने की स्वीकृति प्रदान की थी. ऐसे में मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्य टीम आज सभी 6 मृत मानव शरीर लेकर कॉलेज पहुंची है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि जब इतनी बड़ी संख्या में एक साथ मृत मानव शरीर झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को मिले हैं. अब यहां अध्यनरत स्टूडेंट्स को प्रायोगिक कार्य करने में कोई समस्या नहीं रहेगी.
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प्रोफेसर ने की लोगों से देहदान करने की अपील: एनाटॉमी के प्रोफेसर मनोज शर्मा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज को कई बार मृत मानव शरीर की कमी से जूझना पड़ता है. ऐसे में यहां अध्ययन कर रहे छात्रों को प्रायोगिक कार्य में समस्या उत्पन्न होती है. उन्होंने कहा कि लोगों को मरणोपरांत देहदान करने के लिए आगे आना चाहिए ताकि उनके मृत शरीर से मेडिकल स्टूडेंट को अध्ययन में सहायता मिल सके.
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देहदान के लिए भर सकते हैं संकल्प पत्र: प्रोफेसर मनोज शर्मा ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति मरणोपरांत देहदान करना चाहता है, तो वह विभाग में आकर देहदान का संकल्प पत्र भरकर संकल्प ले सकता है. उन्होंने बताया कि मरणोपरांत परिवार के किसी सदस्य के द्वारा सूचना देने पर मेडिकल कॉलेज की टीम मृत मानव शरीर को परिजनों की सहमति के बाद ही प्राप्त करती है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि एक बार देहदान का संकल्प पत्र भरने के बाद परिजनों को मृत मानव शरीर सौंपना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि परिजनों की सहमति के बाद ही मृत मानव शरीर को मेडिकल कॉलेज टीम के द्वारा लाया जाता है.