देहरादूनः जून माह के अंत में आए मॉनसून ने अब तक उत्तराखंड को कई जख्म दे दिए हैं. अभी लगभग एक महीना और बारिश का दौर चलेगा. इस मॉनसून में प्रदेश के लगभग हर जिले से तबाही के मंजर दिखाई दिए. हालांकि, देहरादून और हरिद्वार जिले में बारिश से नुकसान कम हुआ है.
शुरू से ही बारिश ने बरपाया कहर: मॉनसून की शुरुआती बारिश ही लोगों के लिए आफत बनकर बरसी. बारिश से तबाही का मंजर कुमाऊं से शुरू हुआ. एक और दो जुलाई की बारिश ने कुमाऊं के नैनीताल, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में कहर बरपाया. मूसलाधार बारिश से कारण कई सड़कें बह गई और एक पुल को भी नुकसान पहुंचा. बारिश से नुकसान इतना ज्यादा था कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद हल्द्वानी जाकर अधिकारियों के साथ बैठक करनी पड़ी.
नैनीताल-अल्मोड़ा में 8 लोगों की मौत: मॉनसून के दौरान अब तक नैनीताल में 6, अल्मोड़ा में 2 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि एक दर्जन से ज्यादा सड़कों को बारिश में नुकसान पहुंचा है. अल्मोड़ा में लगभग 30 घर बारिश के बाद भूस्खलन और भू-धंसाव से प्रभावित हुए हैं. इसी तरह पिथौरागढ़ में भी लगभग 50 से ज्यादा घर प्रभावित हुए हैं.
उधमसिंह नगर में बारिश का कहर: वहीं, नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में नुकसान के बाद बारिश का कहर उधमसिंह नगर जिले में भी देखने को मिला. इस मॉनसून में उधमसिंह नगर में हुई बारिश ने पिछले 30 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है. मूसलाधार बारिश से हालात ऐसे बने कि उधमसिंह नगर के कई इलाके पानी से लबालब नजर आए. बारिश का पानी लोगों के घरों तक पहुंचा. राहत बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ, एडीआरएफ की टीमें लगाई गई. उधम सिंह नगर में मॉनसून के दौरान बारिश से अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है.
कईयों की मौत: हालांकि, आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, कुमाऊं में बारिश से अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 20 लोगों की मौत नदियों के उफान पर आने और बहने से हो चुके हैं. इसके अलावा कुमाऊं में 541 सड़कें मॉनसून की भेंट चढ़ी हैं जिनको समय-समय पर ठीक किया जा रहा है.
गढ़वाल में मॉनसूनी आफत: कुमाऊं के बाद बारिश ने गढ़वाल क्षेत्र में खूब कहर बरपाया. साल 2013 की आपदा के बाद से पूरा गढ़वाल बेहद संवेदनशील जोन में माना जाता है. इस बार की बारिश ने भी यह बताया कि सबसे अधिक नुकसान गढ़वाल क्षेत्र में ही बारिश करके जाएगी. इसकी शुरुआत गंगोत्री धाम में बादल फटने से हुई. धाम में पानी के 'तूफान' ने न केवल वहां के गंगा घाटों और आवासीय मकानों पर भारी नुकसान पहुंचाया. इस आपदा में विद्युत लाइन और सड़कों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. हालांकि, गनीमत रही कि गंगोत्री धाम में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई. लेकिन गढ़वाल के ही दूसरे इलाकों में आपदा के काउंटडाउन ने शुरू से ही दहशत बढ़ाई.
टिहरी में कुदरत का कहर: टिहरी गढ़वाल के बूढ़ाकेदार में आपदा का 'रौद्र' रूप देखा गया. इस भीषण आपदा में लोगों ने अपने घरों को पत्तों की तरह बिखरते हुए देखा. हालांकि, इस आपदा में प्रशासन की सूझबूझ ने काफी हद तक जनहानि को बचाया. हालांकि, फिर भी टिहरी गढ़वाल में अब तक पांच लोगों की मौत आपदा के चपेट में आने से हुई है. जबकि 59 घरों नुकसान पहुंचा है. वहीं मॉनसून के दौरान टिहरी में पांच लोगों की अलग-अलग सड़क हादसों में मौत भी हुई है.
रुद्रप्रयाग को बड़ा नुकसान: टिहरी के बाद रुद्रप्रयाग जिले में भी कुदरत ने खूब 'हाहाकार' मचाया. 31 जुलाई की रात केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर मूसलाधार बारिश के कई जगह भूस्खलन हुआ. जबकि कई जगह मार्ग वॉशआउट हो गया. इससे केदारनाथ धाम और यात्रा मार्गों पर हजारों तीर्थ यात्री फंस गए. आलम ये था कि साल 2013 की आपदा जैसी स्थिति न बने इसके लिए सरकार ने रेस्क्यू अभियान चलाया और लगभग एक हफ्ते में 14 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों का रेस्क्यू किया. 2013 के बाद केदारघाटी में ये सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन था. इस आपदा में आपदा प्रबंधन विभाग ने अभी तक 3 लोगों की मौत और 6 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है.
वहीं, मॉनसून के दौरान रुद्रप्रयाग जिले में 22 लोगों की मौत सड़क हादसे और भूस्खलन की चपेट में आने से हुई है. रुद्रप्रयाग जिले में अभी तक चार घरों को बारिश से नुकसान पहुंचा है.
केंद्र को जाएगी रिपोर्ट: आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन का कहना है कि इस बार मॉनसून में उत्तराखंड के 11 जिलों में बड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन अच्छी बात ये भी है कि सभी जगह हालातों पर तुरंत नियंत्रण पाया गया. विभाग का सबसे ज्यादा फोकस उधमसिंह नगर, रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले में रहा. हालांकि, अभी काम खत्म नहीं हुआ है. अभी तक बारिश के कारण हुए नुकसान को देखते हुए हमने सभी जिलों को अलर्ट मोड पर रखा है. कई जिलों के कई इलाकों में क्षतिग्रस्त हुईं सड़कों की मरम्मत बारिश थमने के बाद ही की जाएंगी. रुद्रप्रयाग, टिहरी और पिथौरागढ़, अल्मोड़ा में कई ऐसी जगह हैं, जहां पर अभी काम करना संभव नहीं है.
आपदा सचिव का कहना है कि हम हर जिले की रिपोर्ट एक साथ बनाकर चल रहे हैं. जहां पर जैसा भी नुकसान हो रहा है, उसका आकलन किया जा रहा है. जब पूरा आकलन हो जाएगा तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि राज्य को मॉनसून में कितना नुकसान हुआ है. केंद्र सरकार भी आपदाओं की घटना पर नजर बनाए रखा है. लिहाजा, केंद्र ने भी पूरी रिपोर्ट मांगी है. मॉनसून खत्म होने के बाद केंद्र को रिपोर्ट सौंप जाएगी.
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