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एक तरफ पप्पू यादव और दूसरी तरफ RJD के 42 विधायक, 8 विधान पार्षद और खुद तेजस्वी, पूर्णिया की जंग हुई जोरदार - Purnea Lok Sabha Seat

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 22, 2024, 11:08 PM IST

Updated : Apr 24, 2024, 2:01 PM IST

Purnea Lok Sabha Seat: पूर्णिया लोकसभा सीट हॉट सीट बन गई है. राष्ट्रीय जनता दल ने 42 विधायकों और आठ विधान पार्षद को प्रचार प्रसार में उतार दिया है. ऐसे में जाहिर है कि तेजस्वी की सियासत के लिए पप्पू यादव बड़ी चुनौती हैं. बता दें कि साल 1999 के लोकसभा चुनाव में राजद ने पहली बार वहां से चुनाव लड़ा था और लालू प्रसाद यादव ने निर्दलीय पप्पू यादव को हराने के लिए 5 दिन कैंप किया था. इस बार तेजस्वी यादव कैंप कर रहे हैं.

Purnea Lok Sabha Seat
पिता के अधूरे सपने को पूरा करने में जुटे तेजस्वी

पूर्णिया: बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव की मौजूदगी ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. पूर्णिया में त्रिकोणात्मक लड़ाई है, लेकिन पप्पू यादव मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने पूर्णिया लोकसभा सीट पर पूरी ताकत झोंक रखी है. राजद के 42 विधायक और आठ विधान पार्षद पूर्णिया में कैंप कर रहे हैं. इससे पहले लालू प्रसाद यादव ने 1999 में पप्पू यादव को हराने के लिए एड़ी चोटी एक किया था और अब तेजस्वी यादव वहां कैम्प कर रहे हैं.

1990 में राजनीति में कदम रखा: पप्पू यादव ने 1990 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और साल 1991 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पूर्णिया लोकसभा सीट से जीत हासिल की. पप्पू यादव पहली बार दसवीं लोकसभा के सदस्य चुने गए. इसके बाद से पप्पू यादव सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए. पप्पू यादव अब तक 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शुरू किया था और फिर उसके बाद समाजवादी पार्टी और राजद में रहने के बाद 2015 में अपनी पार्टी बना ली. तब से वह जन अधिकार पार्टी को धार दे रहे हैं.

ईटीवी  भारत GFX.
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1990 में विधानसभा चुनाव जीता: बता दें कि पप्पू यादव 1990 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधेपुरा के सिंहेश्वर सीट से विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. ठीक 1 साल बाद 1991 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वह पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. 1996 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें पूर्णिया सीट से उम्मीदवार बनाया और एक बार फिर वह सांसद बने.

लालू यादव ने 5 दिनों तक कैंप किया: 1999 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव एक बार फिर खड़े हुए. इस बार वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. पप्पू यादव तीसरी बार सांसद चुने गए. इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 5 दिनों तक कैंप किया था और पप्पू यादव को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी लेकिन पप्पू यादव को बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल हुई थी. हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी धरा दिया था और फिर उन्हें सीट छोड़ना पड़ा था.

शरद यादव को हराया: साल 2014 आते-आते पप्पू यादव और लालू यादव की करीबियां बढ़ गई और लालू प्रसाद यादव ने उन्हें फिर पार्टी में वापस बुला लिया. पप्पू यादव को मधेपुरा सीट से शरद यादव के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया था. मधेपुरा सीट पर पप्पू यादव ने चार बार सांसद रहे शरद यादव को 50000 वोटो के अंतर से हराया और पांचवी बार सांसद चुने गए. 2019 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

राजद के लिए सर दर्द बने पप्पू: 2024 लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने रणनीतियों में बदलाव करते हुए जहां से दो बार निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल की थी, वही आ पहुंचे है. पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से भाग्य आजमा रहे हैं और राष्ट्रीय जनता दल के लिए सर दर्द बने हुए हैं. फिलहाल तेजस्वी यादव पूर्णिया में कैंप कर रहे हैं और उनके 42 विधायक और आठ विधान पार्षद चप्पा चप्पा में वोटरों से संपर्क कर रहे हैं. तेजस्वी यादव का कैंप कार्यालय भी पूर्णिया है.

खास रहा 1999 का लोकसभा चुनाव: 1999 का लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प था. लालू प्रसाद यादव ने पप्पू यादव को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. पूर्णिया सीट पर सी.पी.एम. उम्मीदवार अब्दुल खालिद के लिए लालू प्रसाद यादव ने चुनाव प्रचार किया था. लालू प्रसाद यादव का पूरा कुनबा 5 दिनों तक कैंप करता रहा था. लेकिन फिर भी पप्पू यादव 4 लाख 38 हजार 193 वोट से चुनाव जीत गए थे. भारतीय जनता पार्टी के जय कृष्णा मंडल को 1 लाख 50000 वोट मिले थे. तो वहीं, सी.पी.एम. उम्मीदवार अब्दुल खालिद को 29,799 वोट हासिल हुए थे.

मुस्लिम डोमिनेंट है पूर्णिया लोकसभा: पप्पू यादव पूर्णिया सीट पर तीन बार सांसद रह चुके हैं. पप्पू यादव ने इस सीट पर अपनी जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि पूर्णिया की जनता का समर्थन हमारे साथ है और लोकसभा चुनाव में हमारी जीत होगी. बता दें कि पूर्णिया लोकसभा सीट मुस्लिम डोमिनेंट माना जाता है. तकरीबन 4 लाख के आसपास मुस्लिम आबादी है. दूसरे स्थान पर दलित और आदिवासी हैं, जिनकी तादाद 5 लाख 50 हज़ार के आसपास है. यादव डेढ़ लाख और अति पिछड़ा डेढ़ लाख के आसपास हैं. तो वहीं, ब्राह्मण और राजपूत की आबादी है.

"पूर्णिया लोकसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया गया है. राहुल गांधी ने भी उनके लिए प्रचार किया है. व्यक्तिगत तौर पर कोई अगर लड़ रहा हो तो उसका कोई मतलब नहीं है. लड़ाई राजनीतिक दल लड़ते हैं और संविधान बढ़ाने की लड़ाई महागठबंधन लड़ रही है. किसी व्यक्ति के बदौलत लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है. पूर्णिया सेट हम जीतेंगे और पहले चरण की चारों सीटों पर हमारी जीत होगी." - एजाज अहमद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

"1999 का चुनाव ऐतिहासिक था. लालू प्रसाद यादव अपने चरम पर थे और उन्होंने पप्पू यादव को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. लेकिन पप्पू यादव बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीत गए थे. आज की तारीख में तेजस्वी यादव अपने पिता के अधूरे काम को पूरा करने में लगे हैं. पिता और पुत्र दोनों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है, वहां जो भी दल लड़ रहे हैं उनकी लड़ाई पप्पू यादव से है. पूर्णिया का चुनाव MY समीकरण का लिटमस टेस्ट भी होगा." - अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार

"पप्पू यादव पहले भी पूर्णिया से दो बार निर्दलीय सांसद रह चुके है. वह जन-जन के नेता हैं और लोगों से उनका जुड़ाव भी रहा है. चुनाव हो या नहीं हो वह लोगों के मुद्दे से अपने को जोड़े रखते हैं. पप्पू यादव अगर पूर्णिया से चुनाव जीते हैं तो यदुवंशी सियासत दो धारा में चलेगी. सीमांचल इलाके में पप्पू यादव और मजबूत होकर उब्रेंगे और कहीं ना कहीं यादव वोटों में बिखराव का फायदा एनडीए को मिल सकता है." - डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

इसे भी पढ़े- 'आपका मकसद मुझे हराना और NDA को जिताना है', तेजस्वी यादव पर भड़के पप्पू यादव - Pappu Yadav On Tejashwi Yadav

पूर्णिया: बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव की मौजूदगी ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. पूर्णिया में त्रिकोणात्मक लड़ाई है, लेकिन पप्पू यादव मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने पूर्णिया लोकसभा सीट पर पूरी ताकत झोंक रखी है. राजद के 42 विधायक और आठ विधान पार्षद पूर्णिया में कैंप कर रहे हैं. इससे पहले लालू प्रसाद यादव ने 1999 में पप्पू यादव को हराने के लिए एड़ी चोटी एक किया था और अब तेजस्वी यादव वहां कैम्प कर रहे हैं.

1990 में राजनीति में कदम रखा: पप्पू यादव ने 1990 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और साल 1991 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पूर्णिया लोकसभा सीट से जीत हासिल की. पप्पू यादव पहली बार दसवीं लोकसभा के सदस्य चुने गए. इसके बाद से पप्पू यादव सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए. पप्पू यादव अब तक 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर शुरू किया था और फिर उसके बाद समाजवादी पार्टी और राजद में रहने के बाद 2015 में अपनी पार्टी बना ली. तब से वह जन अधिकार पार्टी को धार दे रहे हैं.

ईटीवी  भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

1990 में विधानसभा चुनाव जीता: बता दें कि पप्पू यादव 1990 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधेपुरा के सिंहेश्वर सीट से विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. ठीक 1 साल बाद 1991 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वह पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की. 1996 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उन्हें पूर्णिया सीट से उम्मीदवार बनाया और एक बार फिर वह सांसद बने.

लालू यादव ने 5 दिनों तक कैंप किया: 1999 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव एक बार फिर खड़े हुए. इस बार वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. पप्पू यादव तीसरी बार सांसद चुने गए. इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 5 दिनों तक कैंप किया था और पप्पू यादव को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी लेकिन पप्पू यादव को बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल हुई थी. हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी धरा दिया था और फिर उन्हें सीट छोड़ना पड़ा था.

शरद यादव को हराया: साल 2014 आते-आते पप्पू यादव और लालू यादव की करीबियां बढ़ गई और लालू प्रसाद यादव ने उन्हें फिर पार्टी में वापस बुला लिया. पप्पू यादव को मधेपुरा सीट से शरद यादव के खिलाफ उम्मीदवार बनाया गया था. मधेपुरा सीट पर पप्पू यादव ने चार बार सांसद रहे शरद यादव को 50000 वोटो के अंतर से हराया और पांचवी बार सांसद चुने गए. 2019 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

राजद के लिए सर दर्द बने पप्पू: 2024 लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने रणनीतियों में बदलाव करते हुए जहां से दो बार निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल की थी, वही आ पहुंचे है. पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से भाग्य आजमा रहे हैं और राष्ट्रीय जनता दल के लिए सर दर्द बने हुए हैं. फिलहाल तेजस्वी यादव पूर्णिया में कैंप कर रहे हैं और उनके 42 विधायक और आठ विधान पार्षद चप्पा चप्पा में वोटरों से संपर्क कर रहे हैं. तेजस्वी यादव का कैंप कार्यालय भी पूर्णिया है.

खास रहा 1999 का लोकसभा चुनाव: 1999 का लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प था. लालू प्रसाद यादव ने पप्पू यादव को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. पूर्णिया सीट पर सी.पी.एम. उम्मीदवार अब्दुल खालिद के लिए लालू प्रसाद यादव ने चुनाव प्रचार किया था. लालू प्रसाद यादव का पूरा कुनबा 5 दिनों तक कैंप करता रहा था. लेकिन फिर भी पप्पू यादव 4 लाख 38 हजार 193 वोट से चुनाव जीत गए थे. भारतीय जनता पार्टी के जय कृष्णा मंडल को 1 लाख 50000 वोट मिले थे. तो वहीं, सी.पी.एम. उम्मीदवार अब्दुल खालिद को 29,799 वोट हासिल हुए थे.

मुस्लिम डोमिनेंट है पूर्णिया लोकसभा: पप्पू यादव पूर्णिया सीट पर तीन बार सांसद रह चुके हैं. पप्पू यादव ने इस सीट पर अपनी जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि पूर्णिया की जनता का समर्थन हमारे साथ है और लोकसभा चुनाव में हमारी जीत होगी. बता दें कि पूर्णिया लोकसभा सीट मुस्लिम डोमिनेंट माना जाता है. तकरीबन 4 लाख के आसपास मुस्लिम आबादी है. दूसरे स्थान पर दलित और आदिवासी हैं, जिनकी तादाद 5 लाख 50 हज़ार के आसपास है. यादव डेढ़ लाख और अति पिछड़ा डेढ़ लाख के आसपास हैं. तो वहीं, ब्राह्मण और राजपूत की आबादी है.

"पूर्णिया लोकसभा सीट पर महागठबंधन की ओर से बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया गया है. राहुल गांधी ने भी उनके लिए प्रचार किया है. व्यक्तिगत तौर पर कोई अगर लड़ रहा हो तो उसका कोई मतलब नहीं है. लड़ाई राजनीतिक दल लड़ते हैं और संविधान बढ़ाने की लड़ाई महागठबंधन लड़ रही है. किसी व्यक्ति के बदौलत लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है. पूर्णिया सेट हम जीतेंगे और पहले चरण की चारों सीटों पर हमारी जीत होगी." - एजाज अहमद, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल

"1999 का चुनाव ऐतिहासिक था. लालू प्रसाद यादव अपने चरम पर थे और उन्होंने पप्पू यादव को हराने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. लेकिन पप्पू यादव बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीत गए थे. आज की तारीख में तेजस्वी यादव अपने पिता के अधूरे काम को पूरा करने में लगे हैं. पिता और पुत्र दोनों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है, वहां जो भी दल लड़ रहे हैं उनकी लड़ाई पप्पू यादव से है. पूर्णिया का चुनाव MY समीकरण का लिटमस टेस्ट भी होगा." - अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार

"पप्पू यादव पहले भी पूर्णिया से दो बार निर्दलीय सांसद रह चुके है. वह जन-जन के नेता हैं और लोगों से उनका जुड़ाव भी रहा है. चुनाव हो या नहीं हो वह लोगों के मुद्दे से अपने को जोड़े रखते हैं. पप्पू यादव अगर पूर्णिया से चुनाव जीते हैं तो यदुवंशी सियासत दो धारा में चलेगी. सीमांचल इलाके में पप्पू यादव और मजबूत होकर उब्रेंगे और कहीं ना कहीं यादव वोटों में बिखराव का फायदा एनडीए को मिल सकता है." - डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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Last Updated : Apr 24, 2024, 2:01 PM IST
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