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20 मिनट में जलकर खाक हुआ 3D इको फ्रेंडली रावण का कुनबा

कोटा में महज 20 मिनट में जलकर खाक हुआ इको फ्रेंडली रावण का कुनबा. वहीं, 10 मिनट में जली लंका.

3D ECO FRIENDLY RAVANA
20 मिनट में जलकर खाक हुआ रावण का कुनबा (ETV BHARAT KOTA)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 12, 2024, 9:23 PM IST

कोटा : 131वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का शनिवार को रावण दहन के साथ आगाज है. साथ ही दशहरा मैदान के विजयश्री रंगमंच से रावण का दहन किया गया. खास बात यह रही कि रावण और उसके कुनबे को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से ऑटोमाइजेशन के जरिए दहन किया गया. वहीं, ऑटोमेशन से स्टेप बाय स्टेप मनोरंजक आतिशबाजी के साथ रावण और उसके कुनबे का दहन हुआ. यह सब कुछ रिमोट कंट्रोल से संचालित आतिशबाजी के जरिए किया गया.

80 फीट ऊंचा रावण महज 8 मिनट में जलकर खाक हो गया, जबकि कुंभकरण और मेघनाथ को जलने में 6-6 मिनट का वक्त लगा. इस बार पुतले में ग्रीन आतिशबाजी का प्रयोग किया गया था, जिससे रावण दहन पॉल्यूशन फ्री और इको फ्रेंडली रहा. इसके अलावा अबकी सोने की लंका भी बनाई गई थी, जिसका दहन किया गया और करीब 10 मिनट तक ये जलती रही. लंका दहन में भी आतिशी नजारे देखने को मिले.

जलकर खाक हुआ रावण का कुनबा (ETV BHARAT KOTA)

इसे भी पढ़ें - गढ़ पैलेस में निभाई गई दरीखाने की रस्म, पूर्व महाराव इज्यराज बोले- परंपराओं को जीवित रखना ही हमारा कर्तव्य

आसमान में रंगीन अशर्फियां सबको रोमांचित किए. गोल्डन शॉट से सोने की लंका के जलने का दृश्य प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम मुख्य अतिथि के तौर पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला मौजूद रहे. उनके अलावा राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, विधायक संदीप शर्मा और मेला अध्यक्ष विवेक राजवंशी मंच पर नजर आएं.

रिमोट से हुआ दहन : रावण और उसके कुनबे के दहन के लिए कई जगह कोल्ड पायरो लगाए गए थे. ये आतिशबाजी का अलग इफेक्ट दे रहे थे. इसमें रावण के मुंह से चिंगारी निकली. उसके बाद नाक और कान से धुआं निकला. साथ ही रावण का अमृत कलश चक्र भी 3D इफेक्ट के जरिए चलता दिखा. दांत और नाभि में लगी मोटर से रावण दहन की आतिशबाजी हुई. उसके बाद सिर पर स्काई शॉट लगे थे. ये आसमान में रोशनी कर रहे थे. इसके अलावा सिर पर सजे ताज में भी चकरी लगी थी.

इसे भी पढ़ें - कोटा में अनोखा दशहरा : 'रावण के अहंकार' को पैरों से रौंदा, जानिए 150 साल पुरानी परंपरा

रावण दहन के लिए गढ़ पैलेस से भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी हाथी पर सवार होकर दशहरा मैदान पहुंची. इस दौरान पूर्व महाराव इज्येराज सिंह खुली जीप में सवार होकर आए. उसके बाद उन्होंने पूजा-अर्चना की और फिर रावण दहन की प्रक्रिया शुरू हुई. रावण दहन शाम 7 बजे से 7:30 बजे के बीच निश्चित था, लेकिन राज्यों से वैभव से आने वाले जुलूस में काफी वक्त लग गया. इसके चलते दहन 7 बजकर 55 मिनट पर हुआ. रावण दहन को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग दशहरा मैदान में पहुंचे थे. हालांकि, इस बीच नेटवर्क जाम हो गया, जिसके चलते कुछ बच्चों को खोजने में भी असुविधा हुई.

जुलूस में दिखे राम और रावण : भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी में झांकियों के अलावा राम और रावण की सेना युद्ध करते नजर आई. राक्षस घोड़ों पर सवार थे तो वानर सेना हाथों में गदा लिए उनसे लड़ती दिखी. मां कालिका के असुर संहार और रौद्र रूप जनता को काफी रास आया. शोभायात्रा मार्ग में दोनों ओर खड़े लोगों ने भगवान लक्ष्मी नारायण जी के जयकारे लगाए. भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी में सबसे आगे घुड़सवार थे. प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, काली माता, सुग्रीव, अंगद, जामवंत, विभीषण, भगवान हनुमान, रावण, मेघनाद समेत विभिन्न झांकियां थीं.

कोटा : 131वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का शनिवार को रावण दहन के साथ आगाज है. साथ ही दशहरा मैदान के विजयश्री रंगमंच से रावण का दहन किया गया. खास बात यह रही कि रावण और उसके कुनबे को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से ऑटोमाइजेशन के जरिए दहन किया गया. वहीं, ऑटोमेशन से स्टेप बाय स्टेप मनोरंजक आतिशबाजी के साथ रावण और उसके कुनबे का दहन हुआ. यह सब कुछ रिमोट कंट्रोल से संचालित आतिशबाजी के जरिए किया गया.

80 फीट ऊंचा रावण महज 8 मिनट में जलकर खाक हो गया, जबकि कुंभकरण और मेघनाथ को जलने में 6-6 मिनट का वक्त लगा. इस बार पुतले में ग्रीन आतिशबाजी का प्रयोग किया गया था, जिससे रावण दहन पॉल्यूशन फ्री और इको फ्रेंडली रहा. इसके अलावा अबकी सोने की लंका भी बनाई गई थी, जिसका दहन किया गया और करीब 10 मिनट तक ये जलती रही. लंका दहन में भी आतिशी नजारे देखने को मिले.

जलकर खाक हुआ रावण का कुनबा (ETV BHARAT KOTA)

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आसमान में रंगीन अशर्फियां सबको रोमांचित किए. गोल्डन शॉट से सोने की लंका के जलने का दृश्य प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम मुख्य अतिथि के तौर पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला मौजूद रहे. उनके अलावा राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, विधायक संदीप शर्मा और मेला अध्यक्ष विवेक राजवंशी मंच पर नजर आएं.

रिमोट से हुआ दहन : रावण और उसके कुनबे के दहन के लिए कई जगह कोल्ड पायरो लगाए गए थे. ये आतिशबाजी का अलग इफेक्ट दे रहे थे. इसमें रावण के मुंह से चिंगारी निकली. उसके बाद नाक और कान से धुआं निकला. साथ ही रावण का अमृत कलश चक्र भी 3D इफेक्ट के जरिए चलता दिखा. दांत और नाभि में लगी मोटर से रावण दहन की आतिशबाजी हुई. उसके बाद सिर पर स्काई शॉट लगे थे. ये आसमान में रोशनी कर रहे थे. इसके अलावा सिर पर सजे ताज में भी चकरी लगी थी.

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रावण दहन के लिए गढ़ पैलेस से भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी हाथी पर सवार होकर दशहरा मैदान पहुंची. इस दौरान पूर्व महाराव इज्येराज सिंह खुली जीप में सवार होकर आए. उसके बाद उन्होंने पूजा-अर्चना की और फिर रावण दहन की प्रक्रिया शुरू हुई. रावण दहन शाम 7 बजे से 7:30 बजे के बीच निश्चित था, लेकिन राज्यों से वैभव से आने वाले जुलूस में काफी वक्त लग गया. इसके चलते दहन 7 बजकर 55 मिनट पर हुआ. रावण दहन को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग दशहरा मैदान में पहुंचे थे. हालांकि, इस बीच नेटवर्क जाम हो गया, जिसके चलते कुछ बच्चों को खोजने में भी असुविधा हुई.

जुलूस में दिखे राम और रावण : भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी में झांकियों के अलावा राम और रावण की सेना युद्ध करते नजर आई. राक्षस घोड़ों पर सवार थे तो वानर सेना हाथों में गदा लिए उनसे लड़ती दिखी. मां कालिका के असुर संहार और रौद्र रूप जनता को काफी रास आया. शोभायात्रा मार्ग में दोनों ओर खड़े लोगों ने भगवान लक्ष्मी नारायण जी के जयकारे लगाए. भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी में सबसे आगे घुड़सवार थे. प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, काली माता, सुग्रीव, अंगद, जामवंत, विभीषण, भगवान हनुमान, रावण, मेघनाद समेत विभिन्न झांकियां थीं.

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