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समान नागरिक संहिता विधेयक में प्रस्तावित हैं 392 अनुच्छेद, जानिए क्या-क्या हैं प्रावधान

Uttarakhand UCC Bill उत्तराखंड विधानसभा कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 'समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक' पेश किया. इस समान नागरिक संहिता में 392 अनुच्छेद शामिल किए गए हैं. जिसमें पूरा समान नागरिक संहिता समाहित किया गया है.

Uttarakhand Uniform Civil Code Bill
समान नागरिक संहिता विधेयक
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 6, 2024, 5:35 PM IST

Updated : Feb 6, 2024, 5:54 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सदन की दूसरे दिन की कार्यवाही यानी 6 फरवरी को समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) विधेयक 2024 को टेबल कर दिया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से टेबल किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. ताकि, सभी विधानसभा सदस्य यूसीसी का अध्ययन कर सकें. वहीं, 2 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद यूसीसी पर चर्चा का दौर शुरू हुआ. जिस पर सदस्यों ने अपनी अपनी राय रखी. यूनिफॉर्म सिविल कोड में 392 अनुच्छेद हैं. जिसमें पूरा यूसीसी समाहित है.

समान नागरिकता संहिता उत्तराखंड 2024 में अधिनियमित प्रस्ताव

  1. खंड 1 में संक्षिप्त नाम, प्रारंभ और विस्तार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  2. खंड 2 में अनुसूचित जनजातियों पर संहिता की प्रयोज्यता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  3. खंड 3 में परिभाषाओं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  4. खंड 4 में विवाह हेतु अपेक्षित आवश्यकतायें के अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  5. खंड 5 में विवाह के अनुष्ठान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  6. खंड 6 में संहिता के प्रारंभ होने के पश्चात अनुष्ठापित / अनुबंधित विवाह का अनिवार्य पंजीकरण होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  7. खंड 7 में संहिता के प्रारंभ होने से पूर्व अनुष्ठापित / अनुबंधित विवाह का पंजीकरण होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  8. खंड 8 में संहिता के प्रारंभ होने के पश्चात पारित विवाह-विच्छेद या अकृतता के न्यायिक आदेश का पंजीकरण होने के अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  9. खंड 9 में संहिता के प्रारंभ होने से पूर्व विवाह-विच्छेद या विवाह की अकृतता के न्यायिक आदेश का पंजीकरण होने के अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  10. खंड 10 में धारा 6 एवं धारा 7 के अंतर्गत विवाह के पंजीकरण की अवधि एवं प्रक्रिया होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  11. खंड 11 में धारा 8 और धारा 9 के अन्तर्गत विवाह-विच्छेद या विवाह की अकृतता के न्यायिक आदेश के पंजीकरण की अवधि और प्रक्रिया होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  12. खंड12 में महानिबंधक, निबंधक और उप-निबंधक की नियुक्ति होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  13. खंड 13 में धारा 10 अथवा धारा 11 के अंतर्गत ज्ञापन प्राप्त होने पर कार्यवाही होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  14. खंड 14 में पंजीकरण की अस्वीकृति के विरुद्ध अपील होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  15. खंड 15 में जनसाधारण के निरीक्षण हेतु पंजिकाओं के उपलब्ध होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  16. खंड 16 में अभिलेखों का साक्ष्यिक मूल्य होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  17. खंड 17 में उपेक्षा या मिथ्या कथन के लिए शास्ति का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  18. खंड 18 में पंजीकरण न होने की स्थिति में प्रक्रिया का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  19. खंड 19 में उप-निबंधक की निष्क्रियता के लिए दण्ड का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  20. खंड 20 में पंजीकरण न कराने से विवाह अविधिमान्य नहीं होगा का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  21. खंड 21 में दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  22. खंड 22 में न्यायिक पृथक्करण का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  23. खंड 23 में शून्य विवाह का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  24. खंड 24 में शून्यकरणीय विवाह का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  25. खंड 25 में विवाह-विच्छेद का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  26. खंड 26 में विवाह विच्छेद की कार्यवाहियों में वैकल्पिक अनुतोष का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  27. खंड 27 में पारस्परिक सम्मति से विवाह विच्छेद का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  28. खंड 28 में विवाह के एक वर्ष के भीतर विवाह-विच्छेद की याचिका पर प्रतिबंध का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  29. खंड 29 में विवाह-विच्छेद पर प्रतिबंध का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  30. खंड 30 में किसी व्यक्ति का पुनर्विवाह करने का अधिकार जहां विवाह-विच्छेद या विवाह की अकृतता का न्यायिक आदेश पारित किया गया हो का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  31. खंड 31 में शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के बच्चों की धर्मजता का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  32. खंड 32 में कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन के लिए दण्ड का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  33. खंड 33 में याचिका लंबित रहते भरण-पोषण और कार्यवाहियों के व्यय का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  34. खंड 34 में स्थायी निर्वाहिका एवं भरण-पोषण का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  35. खंड 35 में बच्चों की अभिरक्षा का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  36. खंड 36 में संपदा का व्ययन का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  37. खंड 37 में न्यायालय जिसमें याचिका प्रस्तुत की जाएगी का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  38. खंड 38 में इस भाग के अंतर्गत अभिवचन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  39. खंड 39 में इस भाग के अंतर्गत न्यायालय में कार्यवाही की प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  40. खंड 40 में कुछ मामलों में याचिकाएँ अंतरित करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  41. खंड 41 में इस भाग के अन्तर्गत याचिकाओं के विचारण और निस्तारण से संबंधित विशेष प्रावधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  42. खंड 42 में अभिलेखीय साक्ष्य का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  43. खंड 43 में कार्यवाहियों में न्यायिक आदेश का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  44. खंड 44 में विवाह-विच्छेद और अन्य कार्यवाहियों में प्रत्यर्थी को अनुतोष का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  45. खंड 45 में दण्डित करने की शक्ति और उसकी प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  46. खंड 46 में न्यायिक व अन्य आदेशों की अपीलें का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  47. खंड 47 में न्यायिक व अन्य आदेशों का प्रवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  48. खंड 48 में नियम बनाने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  49. खंड 49 में उत्तराधिकार के सामान्य नियम का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.50. खंड 50 में उत्तराधिकार का तरीका का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  50. खंड 51 में श्रेणी 1 के उत्तराधिकारियों के मध्य संपदा का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  51. खंड 52 में श्रेणी 2 के उत्तराधिकारियों के मध्य संपदा का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  52. खंड 53 में निकटतम डिग्री के अन्य नातेदारों के मध्य संपदा का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.54. खंड 54 में डिग्रियों की गणना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  53. खंड 55 में गर्भस्थ बच्चे का अधिकारका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  54. खंड 56 में समसामयिक मृत्युयों के विषयों में उपधारणा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  55. खंड 57 में पुनर्विवाह पर निरर्हता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.58. खंड 58 में हत्यारा निरर्हित का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  56. खंड 59 में उत्तराधिकारी, जबकि उत्तराधिकारी निरर्हित हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  57. खंड 60 में रोग, शारीरिक / मानसिक दोश या विकृति से निरर्हता न होना क उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.61. खंड 61 में इच्छापत्र करने के लिए सक्षम व्यक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  58. खंड 62 में कपट, प्रपीडन या अतियाचना द्वारा अभिप्राप्त इच्छापत्र का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  59. खंड 63 में इच्छापत्र प्रतिसंहृत या परिवर्तित की जा सकती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.64. खंड 64 में इच्छापत्रों का निष्पादन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  60. खंड 65 में संदर्भ द्वारा अभिलेखों का सम्मिलित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  61. खंड 66 में हित के कारण या निष्पादक होने के कारण साक्षी का निरर्हित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  62. खंड 67 में इच्छापत्र या क्रोडपत्र का प्रतिसंहरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  63. खंड 68 में विशेषाधिकार रहित इच्छापत्र में मिटाने, अंतरालेखन या परिवर्तन का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  64. खंड 69 में विशेषाधिकार रहित इच्छापत्र का पुनः प्रवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  65. खंड 70 में इच्छापत्र के शब्द का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  66. खंड 71 में इच्छापत्र को पाने वाले या उसकी विषयवस्तु से संबंधित किसी प्रश्न को का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. अवधारित करने के लिए जांच का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  67. खंड 72 में पाने वाले का मिथ्या नाम या मिथ्या वर्णन का उपबंध किया जा प्रस्तावित है.73. खंड 73 में शब्दों की पूर्ति कब की जाएगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावि है.
  68. खंड 74 में विषयवस्तु के वर्णन में गलत वर्णन का अस्वीकार किया जाना व उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  69. खंड 75 में वर्णन का भाग कब अस्वीकार नहीं किया जाएगा कि वह गलत का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  70. खंड 76 में प्रत्यक्ष संदिग्धार्थता के मामलों में बाहरी साक्ष्य की ग्राह्यता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  71. खंड 77 में प्रत्यक्ष संदिग्धार्थता या कमी से मामलों में बाहरी साक्ष्य की अग्राह्यता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  72. खंड 78 में खंड का अर्थ सम्पूर्ण इच्छापत्र से निकाला जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  73. खंड 79 में शब्दों को कब सीमित अर्थों में और कब प्रायिक से विस्तृत अर्थों में समझा जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  74. खंड 80 में दो सम्भाव्य अर्थान्वयन में से किसे अधिमान दिया जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  75. खंड 81 में यदि युक्तियुक्त अर्थान्वयन किया जा सके तो किसी भाग को अस्वीकृत न किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  76. खंड 82 में इच्छापत्र के विभिन्न भागों में पुनः प्रयुक्त शब्दों का निर्वचन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  77. खंड 83 में जहां तक संभव हो इच्छापत्रकर्ता के आशय को प्रभावी बनाया जाना का उपवन्ध किया जाना प्रस्तावित है.
  78. खंड 84 में दो असंगत खंडों में से अंतिम का अभिभावी होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  79. खंड 85 में अनिश्चितता के कारण इच्छापत्र या इच्छापत्र का शून्य होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  80. खंड 86 में वस्तुओं का वर्णन करने वाले शब्दों का, इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर, वर्णन के अनुरूप संपदा को निर्दिष्ट करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  81. खंड 87 में साधारण उत्तरदान द्वारा निष्पादित नियोजन की शक्ति का उपब- किया जाना प्रस्तावित है.
  82. खंड 88 में नियोजन के अभाव में शक्तियों के उद्देश्यों के लिए विवक्षित दान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  83. खंड 89 में किसी व्यक्ति के "उत्तराधिकारियों' आदि को, विशेषित करने वान शब्द के बिना उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  84. खंड 90 में विशिष्ट व्यक्ति के "प्रतिनिधियों" आदि को उत्तरदान का उपबन किया जाना प्रस्तावित है.
  85. खंड 91 में परिसीमा संबंधी शब्दों के बिना उत्तरदान का उपबंध किया जा प्रस्तावित है.
  86. खंड 92 में विकल्प में उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  87. खंड 93 में किसी व्यक्ति के लिए उत्तरदान में किसी वर्ग का वर्णन करने वाले शब्दों को जोडने का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  88. खंड 94 में केवल साधारण वर्णन वाले व्यक्तियों के वर्ग को उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  89. खंड 95 में पदों का अर्थान्वयन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.96. खंड 96 में जहां इच्छापत्र में एक ही व्यक्ति को दो उत्तरदान करने का तात्पर्य हो वहां अर्थान्वयन के सिद्धांत का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  90. खंड 97 में अवशिष्टीय इच्छापत्रदार का गठन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  91. खंड 98 में संपदा, जिसके लिए अवशिष्टीय इच्छापत्रदार अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  92. खंड 99 में साधारण निबन्धनों वाली इच्छापत्रीय संपदा के निहित होने का समय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  93. खंड 100 में इच्छापत्रीय संपदा किन मामलों में व्यपगत होती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  94. खंड 101 में इच्छापत्रीय संपदा व्यपगत नहीं होती यदि दो संयुक्त इच्छापत्रदारों में से एक की मृत्यु हो जाती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  95. खंड 102 में विशिष्ट अंश देने की इच्छापत्रकर्ता के आशय को दर्शित करने वाले शब्दों का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  96. खंड 103 में व्यपगत अंश कब अव्ययनित समझा जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  97. खंड 104 में इच्छापत्रकर्ता की संतान या रैखिक वंशज के लिए उत्तरदान इच्छापत्रकर्ता के जीवनकाल में उसकी मृत्यु हो जाने पर कब व्यपगत नहीं होती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  98. खंड 105 में ख के लाभ के लिए क का उत्तरदान क की मृत्यु से व्यपगत नहीं होता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  99. खंड 106 में वर्णित वर्ग के लिए उत्तरदान के मामले में उत्तरजीविता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  100. खंड 107 में किसी विशिष्ट वर्णन वाले किसी व्यक्ति को, जो इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर विद्यमान नहीं है, उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  101. इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर अविद्यमान व्यक्ति को पूर्वोक्त उत्तरदान के अध्यधीन उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  102. खंड 109 में शाश्वतता के विरुद्ध नियम का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है
  103. खंड 110 में उस वर्ग को उत्तरदान जिनमें से कुछ धारा 108 और 109 के अन्दर आते हैं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  104. खंड 111 में उत्तरदान का किसी पूर्विक उत्तरदान की निष्फलता पर प्रभावी होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  105. खंड 112 में संचयन के लिए निर्देश का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  106. खंड 113 में इच्छापत्रीय संपदा के निहित होने की तिथि जब संदाय या आधिपत्य रोक दिया गया हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  107. खंड 114 में निहित होने की तिथि जब इच्छापत्रीय संपदा विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना पर समाश्रित हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  108. खंड 115 में किसी वर्ग के ऐसे सदस्यों का उत्तरदान में हित निहित होना, जो किसी विशिष्ट आयु को प्राप्त करे का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  109. खंड 116 में दुर्भर उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  110. खंड 117 में एक ही व्यक्ति को दो पृथक् और स्वतंत्र उत्तरदानों में से एक स्वीकार तथा दूसरी अस्वीकार की जा सकती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  111. खंड 118 में उत्तरदान जो किसी विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना पर, जिसके घटित होने के लिए समय वर्णित नहीं है, समाश्रित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  112. खंड 119 में कुछ व्यक्तियों में से ऐसे व्यक्तियों को उत्तरदान जो अविनिर्दिष्ट कालावधि पर उत्तरजीवी हैं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  113. खंड 120 में असंभव शर्त पर उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  114. खंड 121 में अवैध या अनैतिक शर्त पर उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  115. खंड 122 में इच्छापत्रीय संपदा के निहित होने के तिथि के पूर्व की शर्त की पूर्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  116. खंड 123 में ख को किये गये पूर्व उत्तरदान के निष्फल हो जाने पर क को उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  117. खंड 124 में प्रथम उत्तरदान की निष्फलता पर द्वितीय उत्तरदान का कब प्रभावी न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  118. खंड 125 में परवर्ती उत्तरदान का विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना के घटित होने या घटित न होने पर आश्रित होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  119. खंड 126 में शर्तों का कड़ाई से पूरा किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  120. खंड 127 में मूल उत्तरदान का द्वितीय उत्तरदान की अविधिमान्यता द्वारा प्रभावित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  121. खंड 128 में इस शर्त के साथ उत्तरदान कि यह विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना के घटित होने या न होने की दशा में प्रभावी नहीं रहेगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  122. खंड 129 में ऐसी शर्त धारा 114 के अधीन अविधिमान्य नहीं होनी चाहिए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  123. खंड 130 में इच्छापत्रदार द्वारा उस कार्य को, जिसके लिए कोई समय विनिर्दिष्ट नहीं है और जिसके न किए जाने पर विषयवस्तु अन्य व्यक्ति को मिलेगी, असंभव बनाने या अनिश्चित काल तक रोकने का परिणाम का उपबन् किया जाना प्रस्तावित है.
  124. खंड 131 में पुरोभाव्य या उत्तरभाव्य शर्त का विनिर्दिष्ट समय के भीतर पूरा किया जाना. कपट के मामले में अतिरिक्त समय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  125. खंड 132 में किसी व्यक्ति को या उसके लाभ के लिए निधि की आत्यंतिक उत्तरदान के बाद यह निर्देश कि निधि का उपयोजन विशिष्ट रीति से किया जाए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  126. खंड 133 में यह निर्देश कि आत्यन्तिक उत्तरदान के उपभोग की रीति. इच्छापत्रदार को विनिर्दिष्ट लाभ सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित की जानी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  127. खंड 134 में निधि का कतिपय प्रयोजनों के लिए, जिनमें से कुछ को पूरा नहीं किया जा सकता है, उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  128. खंड 135 में निष्पादक के रूप में नामित इच्छापत्रदार जब तक निष्पादक के रूप में कार्य करने का आशय दर्शित न करे, वह इच्छापत्रीय संपदा प्राप्त नहीं कर सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  129. खंड 136 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा की परिभाषा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  130. खंड 137 में कतिपय धनराशि का उत्तरदान, जहां वह स्टाक आदि, जिसमें उसका विनिधान किया गया है वर्णित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  131. खंड 138 में स्टाक का उत्तरदान, जहां इच्छापत्रकर्ता के पास इच्छापत्र की तिथि को उसी प्रकार के स्टाक की समान या अधिक मात्रा है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  132. खंड 139 में धन का उत्तरदान, जहां वह, जब तक इच्छापत्रकर्ता की संपदा का भाग कतिपय रीति से व्ययन न किया जाए, संदेय नहीं है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  133. खंड 140 में कब प्रगणित वस्तुओं का विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया नहीं माना जाता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  134. खंड 141 में विभिन्न व्यक्तियों को क्रमबार विनिर्दिष्ट उत्तरदान का उसी रूप में प्रतिधारण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  135. खंड 142 में दो या अधिक व्यक्तियों को क्रमवार उत्तरदान की गई संपदा का विक्रय और आगमों का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  136. खंड 143 में जहां इच्छापत्रीय संपदा के संदाय के लिए आस्तियों में कमी है वहां विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा का साधारण इच्छापत्रीय संपदा के साथ उपशमन न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  137. खंड 144 में निदर्शित इच्छापत्रीय संपदा की परिभाषा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  138. खंड 145 में संदाय का आदेश जहां इच्छापत्रीय संपदा का संदाय ऐसी निधि से किए जाने का निर्देश हो, जो विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा की विषय वस्तु हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  139. खंड 146 में विखंडन का स्पष्टीकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  140. खंड 147 में निदर्शित इच्छापत्रीय संपदा का विखंडित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  141. खंड 148 में तृतीय पक्षकार से कुछ प्राप्त करने के अधिकार की विनिर्दिष्ट उत्तरदान का विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  142. खंड 149 में विनिर्दिष्ट रूप से उत्तरदान की गई संपूर्ण वस्तु के भाग की इच्छापत्रकर्ता द्वारा प्राप्ति पर उस सीमा तक विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  143. खंड 150 में ऐसी संपूर्ण निधि के भाग की, जिसका भाग विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया है, इच्छापत्रकर्ता द्वारा प्राप्ति पर उस सीमा तक विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  144. खंड 151 में संदाय का क्रम, जहां निधि का भाग एक इच्छापत्रदार को विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया है और उसी निधि पर भारित इच्छापत्रीय संपदा अन्य व्यक्ति को उत्तरदान किया गया है और इच्छापत्रकर्ता नेउस निधि का एक भाग प्राप्त किया है और अब शेष दोनों इच्छापत्रीय संपदाओं का संदाय करने के लिए अपर्याप्त है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  145. खंड 152 में जहां विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया स्टाक इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के समय विद्यमान नहीं है, वहां विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  146. खंड 153 में जहां विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया स्टाक, इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के समय, केवल भागतः विद्यमान रहता है, वहां उस सीमा तक विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  147. खंड 154 में ऐसे माल का, जिसका वर्णन किसी स्थान से उसे संबंधित करता है, विनिर्दिष्ट उत्तरदान का माल हटाए जाने के कारण विखंडित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  148. खंड 155 में उत्तरदान की गई वस्तु का हटाया जाना कब विखंडित नहीं होता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  149. खंड 156 में जहां उत्तरदान की गई वस्तु इच्छापत्रकर्ता द्वारा अन्य व्यक्ति से प्राप्त होने वाली मूल्यवान वस्तु है और इच्छापत्रकर्ता स्वयं या उसका प्रतिनिधि उसे प्राप्त करता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  150. खंड 157 में विनिर्दिष्ट उत्तरदान की विषयवस्तु में, इच्छापत्र की तिथि और इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के बीच, विधि के प्रवर्तन द्वारा परिवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  151. खंड 158 में इच्छापत्रकर्ता की जानकारी के बिना विषयवस्तु में परिवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  152. खंड 159 में विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया स्टाक तृतीय पक्षकार को इस शर्त पर पट्टे पर दिया जाना कि उसको प्रतिस्थापित किया जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  153. खंड 160 में विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किए गए स्टाक को विक्रय करके उसका प्रतिस्थापन होना और इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर उसका इच्छापत्रकर्ता के स्वामित्व में होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  154. खंड 161 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रदारों को विमुक्त करने का निष्पादक का दायित्व न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  155. खंड 161 में उत्तरदान की गई वस्तु के लिए इच्छापत्रकर्ता के अधिकार को पूरा करना उसकी संपदा के खर्च पर होगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  156. खंड 163 में इच्छापत्रदार की स्थावर संपदा की विमुक्ति, जिसके लिए भू-राजस्व या भाटक कालिक रूप से संदेय है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  157. खंड 164 में संयुक्त स्टाक कम्पनी में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रदार के स्टाक की विमुक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  158. खंड 165 में साधारण शब्दों में वर्णित वस्तुओं का उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  159. खंड 166 में निधि के ब्याज या आगम का उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  160. खंड 167 में जब तक इच्छापत्र से कोई प्रतिकूल आशय प्रकट न हो, इच्छापत्र द्वारा सृजित वार्षिकी केवल जीवन पर्यन्त संदेय होगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  161. खंड 168 में जहां इच्छापत्र में यह निर्देष दिया गया हो कि वार्षिकी संपदा के आगमों में से या साधारणतः संपदा में से दी जानी चाहिए या जहां उत्तरदान किए गए धन का विनिधान वार्षिकी का क्रय करने में किया जाना है, वहां विनिधान की अवधि का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  162. खंड 169 में वार्षिकी का उपशमन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  163. खंड 170 में जहां वार्षिकी का दान और अवशिष्ट दान हो, वहां सम्पूर्ण वार्षिकी का पहले चुकाया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  164. खंड 171 में लेनदार, प्रथमदृष्ट्या, इच्छापत्रीय संपदा, तथा ऋण, दोनों के लिए अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  165. खंड 172 में संतान प्रथमदृष्ट्या, इच्छापत्रीय संपदा तथा हिस्सा, दोनों के लिए अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  166. खंड 173 में इच्छापत्रदार के लिए पश्चात्वर्ती उपबंध द्वारा विखंडन न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  167. खंड 174 में किन परिस्थितियों में चयन होता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  168. खंड 175 में स्वामी द्वारा त्यागे गए हित का न्यागमन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  169. खंड 176 में इच्छापत्रकर्ता के स्वामित्व के संबंध में उसका विश्वास तत्त्वहीन है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  170. खंड 177 में व्यक्ति के लाभ के लिए उत्तरदान, चयन के प्रयोजन के लिए कैसे माना जाए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  171. खंड 178 में अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पाने वाले व्यक्ति को चयन नहीं करना है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  172. खंड 179 में इच्छापत्र के अधीन व्यक्तिगत सामर्थ्य में लेने वाला व्यक्ति दूसरे सामर्थ्य में उसके विपरीत लेने का चयन कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  173. खंड 180 में अंतिम छह धाराओं के उपबन्धों का अपवाद का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  174. खंड 181 में इच्छापत्र द्वारा दिए गए लाभ का प्रतिग्रहण कब इच्छापत्र के अधीन लेने के चयन को गठित करता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  175. खंड 182 में वे परिस्थितियां जिनमें ज्ञान या अधित्यजन उपधारित या अनुमित किया जाता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  176. खंड 183 में इच्छापत्रकर्ता के प्रतिनिधि इच्छापत्रदार से चयन करने के लिए कब कह सकेंगे का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  177. खंड 184 में निर्योग्यता की दशा में चयन को स्थगित रखना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  178. खंड 185 में मृत्यु को आसन्न मानकर दान द्वारा अन्तरणीय संपदा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  179. खंड 186 में मृतक की संपदा के लिए उत्तराधिकार द्वारा अधिकार का दावा करने वाला व्यक्ति सदोश आधिपत्य के विपरीत अनुतोष के लिए आवेदन कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  180. खंड 187 में न्यायाधीश द्वारा की गई जांच का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  181. खंड 188 में प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  182. खंड 189 में कार्यवाहियों के अवधारण के लंबित रहने के दौरान रक्षक की नियुक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  183. खंड 190 में रक्षक को प्रदान की जा सकने वाली शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  184. खंड 191 में रक्षक द्वारा कतिपय शक्तियों के प्रयोग का प्रतिषेध का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  185. खंड 192 में रक्षक प्रतिभूति देगा और पारिश्रमिक प्राप्त कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  186. खंड 193 में कलेक्टर की रिपोर्ट जहां संपदा में राजस्व संवत करने वाली भूमि सम्मिलित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  187. खंड 194 में वादों को संस्थित करना और उनमें प्रतिरक्षा करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  188. खंड 195 में रक्षक द्वारा अभिरक्षा के लंबित रहने के दौरान दृश्यमान स्वामियों को भत्ते का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  189. खंड 196 में रक्षक द्वारा लेखा पत्रावलित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  190. खंड 197 में लेखाओं का निरीक्षण और दोहरी प्रति रखने का हितबद्ध पक्षकार का अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  191. खंड 198 में एक ही संपदा के लिए दूसरे रक्षक की नियुक्ति पर बंधन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  192. खंड 198 में रक्षक के लिए आवेदन करने की समय-सीमा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  193. खंड 200 में मृतक द्वारा लोक व्यवस्थापन या विधिक निर्देष के विपरीत इस भाग के प्रवर्तन का वर्जनी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  194. खंड 201 में वाद लाने के अधिकार की व्यावृत्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  195. खंड 202 में संक्षिप्त कार्यवाही के विनिश्चय का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  196. खंड 203 में लोक रक्षकों की नियुक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. 204. खंड 204 में निष्पादक या प्रशासक की, उस रूप में, प्रकृति और संपदा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  197. खंड 205 में न्यायालय के माध्यम से मृत व्यक्तियों के ऋणियों से ऋणों की उगाही के लिए प्रतिनिधि के अधिकार के सबूत का पुरोभाव्य शर्त होनी. का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  198. खंड 206 में पश्चात्वर्ती प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का प्रमाणपत्र पर प्रभावी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  199. खंड 207 में केवल प्रोबेट या प्रशासन-पत्र के प्राप्तकर्ता द्वारा, जब तक उसे प्रतिसंहृत न कर दिया जाए, वाद आदि लाया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  200. खंड 208 में इस अध्याय का लागू होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  201. खंड 209 में प्रशासन किसे अनुदत्त किया जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  202. खंड 210 में प्रशासन-पत्र का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  203. खंड 211 में प्रशासन-पत्र द्वारा कृत्यों को वैध न किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  204. खंड 212 में प्रोबेट केवल नियुक्त निष्पादक के लिए ही का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  205. खंड 213 में वे व्यक्ति जिन्हें प्रोबेट अनुदत्त नहीं किए जा सकते हैं का उपबन किया जाना प्रस्तावित है.
  206. खंड 214 में विभिन्न निष्पादकों को साथ-साथ या विभिन्न समय पर प्रोबेट का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  207. खंड 215 में प्रोबेट के अनुदान के पश्चात् क्रोडपत्र के पृथक् प्रोबेट का पता लगना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  208. खंड 216 में उत्तरजीवी निष्पादक के प्रतिनिधित्व का प्रोद्भूत होना का उपव किया जाना प्रस्तावित है.
  209. खंड 217 में प्रोबेट का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  210. खंड 218 में राज्य के बाहर सिद्ध इच्छापत्रों की अधिप्रमाणित प्रति की प्रति उपाबद्ध करके प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  211. खंड 219 में जहां निष्पादक ने पद त्याग नहीं किया है वहां प्रशासन का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  212. खंड 220 में निष्पादकत्व के त्याग का प्रपत्र और प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  213. खंड 221 में जहां निष्पादक त्याग करता है या समय के भीतर स्वीकार कर में असफल रहता है वहां प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  214. खंड 222 में सर्वस्व या अवशिष्ट इच्छापत्रदार को प्रशासन का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  215. खंड 223 में मृतक अवशिष्ट इच्छापत्रदार के प्रतिनिधि का प्रशासन के लिए अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  216. खंड 224 में जहां निष्पादक, अवशिष्ट इच्छापत्रदार या ऐसे इच्छापत्रदार क प्रतिनिधि नहीं है वहां प्रशासन का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावि है.
  217. खंड 225 में सर्वस्व या अवशिष्ट इच्छापत्रदार से भिन्न इच्छापत्रदारों को प्रशासन-पत्र के अनुदान के पूर्व उपस्थिति का उपबंध किया जाना प्रस्तावि है.
  218. खंड 226 में किन्हें प्रशासन-पत्र अनुदत्त नहीं किया जा सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  219. खंड 227 में नियमों का राज्य विधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  220. खंड 228 में खो गए इच्छापत्र की प्रति या प्रारूप का प्रोबेटका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  221. खंड 229 में खो गए या विनष्ट इच्छापत्र की अंतर्वस्तुओं का प्रोबेटका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  222. खंड 230 में जहां मूल विद्यमान है वहां उसकी प्रति का प्रोबेट का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  223. खंड 231 में इच्छापत्र के प्रस्तुत किए जाने तक प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  224. खंड 232 में अनुपस्थित निष्पादक के अटर्नी को इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  225. खंड 233 में ऐसे अनुपस्थित व्यक्ति के जो यदि उपस्थित होता तो प्रशासन के लिए अधिकारी होता, अटर्नी को इच्छापत्र उपाबद्ध करते हुए प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  226. खंड 234 में इच्छापत्र रहितता के मामले में प्रशासन के लिए अधिकारी अनुपस्थित व्यक्ति के अटर्नी को प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  227. खंड 235 में एकमात्र निष्पादक या अवशिष्ट इच्छापत्रदार की अवयस्कता के दौरान प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  228. खंड 236 में विभिन्न निष्पादकों या अवशिष्ट इच्छापत्रदारों की अवयस्कता के दौरान प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  229. खंड 237 में पागल या अवयस्क के उपयोग और लाभ के लिए प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  230. खंड 238 में वाद के विचाराधीन रहने के दौरान प्रशासन के अधीन होगा और उसके निर्देश के अधीन कार्य करेगा. का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  231. खंड 239 में इच्छापत्र में विनिर्दिष्ट प्रयोजन तक सीमित प्रोबेट का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  232. खंड 240 में विशिष्ट प्रयोजन के लिए सीमित प्रशासन, इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  233. खंड 241 में संपदा तक सीमित प्रशासन जिसमें व्यक्ति लाभप्रद हित रखता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  234. खंड 242 में वाद तक सीमित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  235. खंड 243 में प्रशासक के विरुद्ध लाए जाने वाले वाद में पक्षकार बनने के प्रयोजन तक सीमित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  236. खंड 244 में मृत व्यक्ति की संपदा के संग्रहण और परिरक्षण तक सीमित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  237. खंड 245 में उस व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति की प्रशासक के रूप में नियुक्ति जो सामान्य परिस्थितियों में प्रशासन के लिए अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  238. खंड 246 में अपवाद के अधीन रहते हुए, प्रोबेट या इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए प्रशासन-पत्र का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  239. खंड 247 में अपवाद सहित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  240. खंड 248 में अवशिष्ट का प्रोबेट या प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  241. खंड 249 में अप्रशासित भंडार का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  242. खंड 250 में अप्रशासित भंडार के अनुदान के बारे में नियमका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  243. खंड 251 में प्रशासन जहां सीमित अनुदान का पर्यवसान हो गया हो फिर भी संपदा का कुछ भाग अप्रशासित हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  244. खंड 252 में कौन सी गलतियां न्यायालय द्वारा सुधारी जा सकेंगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  245. खंड 253 में इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए प्रशासन का अनुदान करने के पश्चात् क्रोडपत्र का पता चलने पर प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  246. खंड 254 में न्यायोचित कारण से प्रतिसंहरण या अकृतकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  247. खंड 255 में प्रोबेटों आदि के अनुदान और प्रतिसंहरण में जिला न्यायाधीश की अधिकारिता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  248. खंड 256 में अप्रतिविरोधात्मक मामलों में कार्यवाही करने के लिए जिला न्यायाधीश की प्रत्यायोजिती की नियुक्ति करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  249. खंड 257 में प्रोबेट और प्रशासन के अनुदान के बारे में जिला न्यायाधीश की शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  250. खंड 258 में जिला न्यायाधीश किसी व्यक्ति को इच्छापत्रीय अभिलेख प्रस्तुत करने का आदेश दे सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  251. खंड 259 में प्रोबेट और प्रशासन के संबंध में जिला न्यायाधीश के न्यायालय की कार्यवाहियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  252. खंड 260 में संपदा के संरक्षण के लिए जिला न्यायाधीश कब और कैसे हस्तक्षेप कर सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  253. खंड 261 में जिला न्यायाधीश द्वारा प्रोबेट या प्रशासन पत्र कब अनुदत्त किया जा सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  254. खंड 262 में उस जिले के न्यायाधीश को, जिसमें मृत्तक का नियत निवास सीन नहीं था, किए गए आवेदन का निस्तारण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  255. खंड 263 में प्रोबेट और प्रशासन-पत्र प्रतिनिधि द्वारा अनुदत्त किया जा सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  256. खंड 264 में प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का निश्चायक होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  257. खंड 265 में धारा 264 के परन्तुक के अधीन अनुदानों के प्रमाणपत्र का उच्च न्यायालय को पारेषण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  258. खंड 266 में प्रोबेट या प्रशासन-पत्र के लिए आवेदन का, यदि उन्हें समुचित रूप से लिखा और सत्यापित किया गया है निश्चायक होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  259. खंड 267 में प्रोबेट के लिए याचिका का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  260. खंड 268 में किन मामलों में इच्छापत्र का अनुवाद याचिका के साथ उपाबद्ध किया जाएगा. न्यायालय के अनुवादक से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा अनुवाद का सत्यापन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  261. खंड 269 में प्रशासन-पत्र के लिए याचिका का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  262. खंड 270 में कतिपय मामलों में प्रोबेट या प्रशासन-पत्र के लिए याचिका, आदि में कथनों में वृद्धि का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  263. खंड 271 में प्रोबेट आदि के लिए याचिका पर हस्ताक्षर और उसका सत्यापन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  264. खंड 272 में प्रोबेट के लिए याचिका को इच्छापत्र के एक साक्षी द्वारा सत्यापित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  265. खंड 273 में याचिका या घोषणा में मिथ्या प्रकथन के लिए दंड का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  266. खंड 274 में जिलान्यायाधीश की शक्तिय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  267. खंड 275 में प्रोबेट या प्रशासन के अनुदान के विरुद्ध केवियट का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  268. खंड 276 में केवियट की प्रविष्टि के के पश्चात् याचिका पर किसी कार्यवाही का तब तक न किया जाना जब तक केवियटकर्ता को सूचना न दे दी जाए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  269. खंड 277 में जिला प्रतिनिधि कब प्रोबेट या प्रशासन का अनुदान नहीं करेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  270. खंड 278 में संदेहास्पद मामलों में जहां कहीं प्रतिविरोध नहीं है जिला न्यायाधीश को कथन पारेषित करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  271. खंड 279 में जहां प्रतिविरोध है या जिला प्रतिनिधि यह सोचता है कि प्रोबेट या प्रशासन-पत्र देना उसके न्यायालय में अस्वीकार किया जाना चाहिए वहां प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  272. खंड 280 में प्रोबेट के अनुदान का न्यायालय की मुद्रा के अधीन होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  273. खंड 281 में प्रशासन-पत्रों के अनुदान का न्यायालय की मुद्रा के अधीन होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  274. खंड 282 में प्रशासन बन्धपत्र का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  275. खंड 283 में प्रशासन बन्धपत्र का समनुदेशन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  276. खंड 284 में प्रोबेट और प्रशासन के अनुदान के लिए समय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  277. खंड 285 में मूल इच्छापत्रों को, जिनके प्रोबेट या प्रशासन-पत्र इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए, अनुदत्त किए गए हों, पत्रावलित करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  278. खंड 286 में प्रतिविरोध के मामले में प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  279. खंड 287 में प्रतिसंहत प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का अभ्यर्पण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  280. खंड 288 में प्रोबेट या प्रशासन के प्रतिसंह्नत किए जाने के पूर्व निष्पादक या प्रशासक को संदाय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  281. खंड 289 में प्रशासन-पत्र को अस्वीकार करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  282. खंड 290 में जिला न्यायाधीश के आदेश के विरूद्ध अपीलें का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  283. खंड 291 में निष्पादक या प्रशासक का हटाया जाना और उत्तराधिकारी के लिए उपबंध का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  284. खंड 292 में निष्पादक या प्रशासक को निर्देश का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  285. खंड 293 में स्वयं के दोष से निष्पादक का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  286. खंड 294 में स्वयं के दोष से निष्पादक का दायित्व का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  287. खंड 295 में मृतक की मृत्यु से समाप्त न हुए बाद हेतुकों और मृत्यु पर देयअऋणों के संबंध में का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  288. खंड 296 में मृतक की या उसके विरुद्ध मांगें और कार्यवाही करने के अधिकारों का निष्पादक या प्रशासक के पक्ष में या उसके विरुद्ध समाप्त न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  289. खंड 297 में संपति के व्ययन के लिए निष्पादक या प्रशासक की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  290. खंड 298 में प्रशासन की साधारण शक्तियां कोई निष्पादक या प्रशासक का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  291. खंड 299 में मृतक की संपदा का निष्पादक या प्रशासक द्वारा क्रय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  292. खंड 300 में कई निष्पादकों या प्रशासकों की शक्तियों का उनमें से एक द्वारा प्रयोग का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  293. खंड 301 में कई निष्पादकों या प्रशासकों में से एक की मृत्यु पर शक्तियों का समाप्त न होनाका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  294. खंड 302 में अप्रशासित भंडार के प्रशासन की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  295. खंड 303 में अवयस्कता के दौरान प्रशासन की शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  296. खंड 304 में विवाहित निष्पादिका या प्रशासिका की शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  297. खंड 305 में मृतक की अन्त्येष्टि के संबंध में का उपवन्ध किया जाना प्रस्तावित है.
  298. खंड 306 में भंडार सूची और लेखा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  299. खंड 307 में भंडार सूची में कतिपय मामलों में भारत के किसी भी भाग की संपदा का सम्मिलित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  300. खंड 308 में मृतक की संपदा और उसे देय ऋण के संबंध में का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  301. खंड 309 में व्ययों का सभी ऋणों के पूर्व संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  302. खंड 310 में ऐसे व्ययों के पश्चात् दूसरे व्ययों का संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  303. खंड 311 में उसके बाद कतिपय सेवाओं के लिए मजदूरियों का और तत्पश्चात् अन्य ऋणों का संदाय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  304. खंड 312 में पूर्वोक्त के सिवाय सभी ऋणों का समान रूप से और आनुपातिक रूप से संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  305. खंड 313 में जहां अधिवास भारत में न हो वहां ऋण के संदाय के लिए जंगम संपदा का उपयोग का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  306. खंड 314 में इच्छापत्रीय संपदाओं के पूर्व ऋणों का संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  307. खंड 315 में निष्पादक या प्रशासक का प्रतिपूर्ति के बिना, इच्छापत्रीय संपदा के संदाय के लिए बाध्य न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  308. खंड 316 में साधारण इच्छापत्रीय संपदा ओं में कमी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  309. खंड 317 में जब आस्तियां ऋणों के संदाय के लिए पर्याप्त हों तब विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदाओं में कमी न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  310. खंड 318 में जब आस्तियां ऋणों और आवश्यक व्ययों के संदाय के लिए पर्याप्त हैं तब निदर्शित इच्छापत्रीय संपदा के अधीन अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  311. खंड 319 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदाओं में आनुपातिक कमी किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  312. खंड 320 में वे इच्छापत्रीय संपदाएं जो कमी करने के प्रयोजन के लिए साधारण इच्छापत्रीय संपदाएं मानी जाती हैं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  313. खंड 321 में इच्छापत्रदार के अधिकार को पूर्ण करने के लिए अनुमति का आवश्यक होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  314. खंड 322 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा के लिए निष्पादक की अनुमति का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  315. खंड 323 में सशर्त अनुमति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  316. खंड 324 में अपनी स्वयं की इच्छापत्रीय संपदा के लिए निष्पादक की अनुमति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  317. खंड 325 में निष्पादक की अनुमति का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  318. खंड 326 में निष्पादक इच्छापत्रीय संपदा का परिदान कब करेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  319. खंड 327 में वार्षिकी का प्रारंभ, जब इच्छापत्र में कोई समय नियत न हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  320. खंड 328 में त्रैमासिक या मासिक संदाय वाली वार्षिकी प्रथम बार कब शोध्य होती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  321. खंड 329 में आसनुक्रमिक संदायों की तिथियां जब प्रथम संदाय दिए गए समय के भीतर या निश्चित दिन करने का निर्देश हो, संदाय की तिथि से पूर्व वार्षिकीदार की मृत्यु का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  322. खंड 330 में जहां इच्छापत्रीय संपदा, जो विनिर्दिष्ट नहीं है, जीवन पर्यन्त के लिए दी गई है, वहां उत्तरदान की गई धनराशि का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  323. खंड 331 में भविष्य में संदेय, साधारण इच्छापत्रीय संपदा का विनिधान, मध्यवर्ती व्याज का व्ययन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  324. खंड 332 में जहां कोई निधि वार्षिकी से भारित या उसके लिए विनियोजित नहीं की गई है वहां प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  325. खंड 333 में समाश्रित इच्छापत्र का अवशिष्ट इच्छापत्रदार को अन्तरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  326. खंड 334 में किन्हीं विशिष्ट प्रतिभूतियों में विनिधान किए जाने के निर्देश के बिना जीवन पर्यन्त के लिए उत्तरदान किए गए अवशेष का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  327. खंड 335 में किन्हीं विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों में विनिधान किए जाने के निर्देश के सहित जीवन पर्यन्त के लिए उत्तरदान किए गए अवशेष का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  328. खंड 337 में ऐसे मामले में प्रक्रिया जहां अवयस्क उत्तरदान के तुरन्त संदाय या आधिपत्य का अधिकारी है और उसके निमित्त किसी व्यक्ति को संदाय किए जाने का निर्देश नहीं है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  329. खंड 338 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा के उत्पाद के लिए इच्छापत्रदार का अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  330. खंड 339 में अवशिष्ट इच्छापत्रदार का अवशिष्ट निधि के उत्पाद पर अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  331. खंड 340 में ब्याज, जब साधारण इच्छापत्रीय संपदा के संदाय के लिए कोई समय नियत नहीं है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  332. खंड 341 में ब्याज जब समय नियत है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  333. खंड 342 में ब्याज की दर का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  334. खंड 343 में इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के पश्चात् प्रथम वर्ष के भीतर वार्षिकी पर कोई ब्याज न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है
  335. खंड 344 में वार्षिकी का सृजन करने के लिए विनिहित धनराशि पर ब्याज का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  336. खंड 345 में न्यायालय के आदेशों के अधीन संदत्त इच्छापत्रीय संपदा का प्रतिदाय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  337. खंड 346 में यदि संदाय स्वैच्छिक है तो प्रतिदाय नहीं होगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  338. खंड 347 में उस समय प्रतिदाय जब इच्छापत्रीय संपदा धारा 131 के अधीन अनुज्ञात अतिरिक्त समय के भीतर शर्त का अनुपालन करने पर देय हो गई है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  339. खंड 348 में प्रत्येक इच्छापत्रदार को कब अनुपात में प्रतिदाय करने के लिए विवश किया जा सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  340. खंड 349 में आस्तियों का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  341. खंड 350 में लेनदार इच्छापत्रदार से प्रतिदाय की मांग कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  342. खंड 351 में ऐसा इच्छापत्रदार, जिसकी तुष्टि नहीं हुई है या जिसे धारा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. के अधीन प्रतिदाय करने के लिए विवश किया गया है, उस इच्छापत्रदार को, जिसे पूर्ण संदाय किया गया है, प्रतिदार करने के लिए कब बाध्य नहीं कर सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  343. खंड 352 में अतुष्ट इच्छापत्रदार को निष्पादक के विरुद्ध, यदि वह ऋण शोधक्षम है, पहले कब कार्यवाही करनी चाहिए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  344. खंड 353 में एक इच्छापत्रदार की दूसरे इच्छापत्रदार को प्रतिदाय करने की सीमा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  345. खंड 354 में प्रतिदाय पर ब्याज का न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  346. खंड 355 में अवशेष का प्रायिक संदायों के पश्चात् अवशिष्ट इच्छापत्रदार व संदत्त किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  347. खंड 356 में अधिवास के देश के निष्पादक या प्रशासक को भारत से आस्तियों का वितरण के लिए अंतरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  348. खंड 357 में विध्वंस के लिए निष्पादक या प्रशासक का दायित्व का उपबन् किया जाना प्रस्तावित है.
  349. खंड 358 में संपदा का कोई भाग लेने में उपेक्षा के लिए निष्पादक या प्रशासक का दायित्व का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  350. खंड 359 में प्रमाणपत्र अनुदत्त करने की अधिकारिता रखने वाला न्यायालय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  351. खंड 360 में प्रमाणपत्र के लिए आवेदन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  352. खंड 361 में आवेदन पर प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  353. खंड 362 में प्रमाणपत्र की विषयवस्तु का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  354. खंड 363 में प्रमाणपत्र के प्राप्तिकर्ता से प्रतिभूति की अध्यपेक्षा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  355. खंड 364 में प्रमाणपत्र का विस्तार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  356. खंड 365 में प्रमाणपत्र और विस्तारित प्रमाणपत्र का प्रपत्र का उपबंध किय जाना प्रस्तावित है.
  357. खंड 366 में प्रतिभूतियों के बारे में शक्तियों के संबंध में प्रमाणपत्र का संशो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  358. खंड 367 में प्रमाणपत्रों पर न्यायालय के शुल्क का संग्रहण करने का ढंग का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  359. खंड 368 में प्रमाणपत्र का स्थानीय विस्तार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  360. खंड 369 में प्रमाणपत्र का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  361. खंड खंड 370 में में प्रमाणपत्र का प्रत्तिसंहरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  362. खंड 371 में अपीलें का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  363. खंड 372 में पूर्ववर्ती प्रमाणपत्र, प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का प्रमाणपत्र पर प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  364. खंड 373 में अविधिमान्य प्रमाणपत्र के धारक को सद्भाव से किए गए कतिपय संदायों का विधिमान्यकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  365. खंड 374 में इस अध्याय के अधीन विनिश्चयों का प्रभाव और उसके अधीन प्रमाणपत्र धारक का दायित्व का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  366. खंड 375 में इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए जिला न्यायालयों की अधिकारिता अवर न्यायालय को प्रदान करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  367. खंड 376 में अधिक्रांत और अविधिमान्य प्रमाणपत्रों का अभ्यर्पण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  368. खंड 377 में व्यावृत्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  369. खंड 378 में सहवासी संबंध के सहवासियों द्वारा कथन का प्रस्तुतिकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  370. खंड 379 में सहवासी संबंध से जनित बच्चे का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  371. खंड 380 में सहवासी संबंध का पंजीकरण न किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  372. खंड 381 में सहवासी संबंध के पंजीकरण की प्रक्रिया का उपबंध किया जान प्रस्तावित है.
  373. खंड 382 में इस भाग के अंतर्गत पंजीकरण मात्र अभिलेख के लिए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  374. खंड 383 में इस भाग के अन्तर्गत निबंधक को अधिकारयुक्त करना, और पंजिकाओं का रखरखाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  375. खंड 384 में सहवासी संबंध की समाप्ति का कथन प्रस्तुत करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  376. खंड 385 में निबंधक के कर्तव्य का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  377. खंड 386 में सहवासी संबंध के पंजीकरण हेतु नोटिस का उपबंध किया जाना है.
  378. खंड 387 में अपराध एवं दण्ड का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  379. खंड 388 में भरण-पोषण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  380. खंड 389 में नियम बनाने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  381. खंड 390 में निरसन एवं व्यावृत्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  382. खंड 391 में नियम बनाने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  383. खंड 392 में कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.

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देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सदन की दूसरे दिन की कार्यवाही यानी 6 फरवरी को समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) विधेयक 2024 को टेबल कर दिया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से टेबल किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. ताकि, सभी विधानसभा सदस्य यूसीसी का अध्ययन कर सकें. वहीं, 2 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद यूसीसी पर चर्चा का दौर शुरू हुआ. जिस पर सदस्यों ने अपनी अपनी राय रखी. यूनिफॉर्म सिविल कोड में 392 अनुच्छेद हैं. जिसमें पूरा यूसीसी समाहित है.

समान नागरिकता संहिता उत्तराखंड 2024 में अधिनियमित प्रस्ताव

  1. खंड 1 में संक्षिप्त नाम, प्रारंभ और विस्तार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  2. खंड 2 में अनुसूचित जनजातियों पर संहिता की प्रयोज्यता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  3. खंड 3 में परिभाषाओं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  4. खंड 4 में विवाह हेतु अपेक्षित आवश्यकतायें के अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  5. खंड 5 में विवाह के अनुष्ठान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  6. खंड 6 में संहिता के प्रारंभ होने के पश्चात अनुष्ठापित / अनुबंधित विवाह का अनिवार्य पंजीकरण होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  7. खंड 7 में संहिता के प्रारंभ होने से पूर्व अनुष्ठापित / अनुबंधित विवाह का पंजीकरण होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  8. खंड 8 में संहिता के प्रारंभ होने के पश्चात पारित विवाह-विच्छेद या अकृतता के न्यायिक आदेश का पंजीकरण होने के अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  9. खंड 9 में संहिता के प्रारंभ होने से पूर्व विवाह-विच्छेद या विवाह की अकृतता के न्यायिक आदेश का पंजीकरण होने के अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  10. खंड 10 में धारा 6 एवं धारा 7 के अंतर्गत विवाह के पंजीकरण की अवधि एवं प्रक्रिया होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  11. खंड 11 में धारा 8 और धारा 9 के अन्तर्गत विवाह-विच्छेद या विवाह की अकृतता के न्यायिक आदेश के पंजीकरण की अवधि और प्रक्रिया होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  12. खंड12 में महानिबंधक, निबंधक और उप-निबंधक की नियुक्ति होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  13. खंड 13 में धारा 10 अथवा धारा 11 के अंतर्गत ज्ञापन प्राप्त होने पर कार्यवाही होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  14. खंड 14 में पंजीकरण की अस्वीकृति के विरुद्ध अपील होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  15. खंड 15 में जनसाधारण के निरीक्षण हेतु पंजिकाओं के उपलब्ध होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  16. खंड 16 में अभिलेखों का साक्ष्यिक मूल्य होने का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  17. खंड 17 में उपेक्षा या मिथ्या कथन के लिए शास्ति का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  18. खंड 18 में पंजीकरण न होने की स्थिति में प्रक्रिया का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  19. खंड 19 में उप-निबंधक की निष्क्रियता के लिए दण्ड का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  20. खंड 20 में पंजीकरण न कराने से विवाह अविधिमान्य नहीं होगा का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  21. खंड 21 में दाम्पत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  22. खंड 22 में न्यायिक पृथक्करण का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  23. खंड 23 में शून्य विवाह का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  24. खंड 24 में शून्यकरणीय विवाह का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  25. खंड 25 में विवाह-विच्छेद का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  26. खंड 26 में विवाह विच्छेद की कार्यवाहियों में वैकल्पिक अनुतोष का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  27. खंड 27 में पारस्परिक सम्मति से विवाह विच्छेद का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  28. खंड 28 में विवाह के एक वर्ष के भीतर विवाह-विच्छेद की याचिका पर प्रतिबंध का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  29. खंड 29 में विवाह-विच्छेद पर प्रतिबंध का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  30. खंड 30 में किसी व्यक्ति का पुनर्विवाह करने का अधिकार जहां विवाह-विच्छेद या विवाह की अकृतता का न्यायिक आदेश पारित किया गया हो का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  31. खंड 31 में शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के बच्चों की धर्मजता का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  32. खंड 32 में कतिपय प्रावधानों के उल्लंघन के लिए दण्ड का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  33. खंड 33 में याचिका लंबित रहते भरण-पोषण और कार्यवाहियों के व्यय का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  34. खंड 34 में स्थायी निर्वाहिका एवं भरण-पोषण का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  35. खंड 35 में बच्चों की अभिरक्षा का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  36. खंड 36 में संपदा का व्ययन का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  37. खंड 37 में न्यायालय जिसमें याचिका प्रस्तुत की जाएगी का अनुबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  38. खंड 38 में इस भाग के अंतर्गत अभिवचन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  39. खंड 39 में इस भाग के अंतर्गत न्यायालय में कार्यवाही की प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  40. खंड 40 में कुछ मामलों में याचिकाएँ अंतरित करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  41. खंड 41 में इस भाग के अन्तर्गत याचिकाओं के विचारण और निस्तारण से संबंधित विशेष प्रावधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  42. खंड 42 में अभिलेखीय साक्ष्य का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  43. खंड 43 में कार्यवाहियों में न्यायिक आदेश का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  44. खंड 44 में विवाह-विच्छेद और अन्य कार्यवाहियों में प्रत्यर्थी को अनुतोष का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  45. खंड 45 में दण्डित करने की शक्ति और उसकी प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  46. खंड 46 में न्यायिक व अन्य आदेशों की अपीलें का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  47. खंड 47 में न्यायिक व अन्य आदेशों का प्रवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  48. खंड 48 में नियम बनाने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  49. खंड 49 में उत्तराधिकार के सामान्य नियम का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.50. खंड 50 में उत्तराधिकार का तरीका का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  50. खंड 51 में श्रेणी 1 के उत्तराधिकारियों के मध्य संपदा का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  51. खंड 52 में श्रेणी 2 के उत्तराधिकारियों के मध्य संपदा का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  52. खंड 53 में निकटतम डिग्री के अन्य नातेदारों के मध्य संपदा का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.54. खंड 54 में डिग्रियों की गणना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  53. खंड 55 में गर्भस्थ बच्चे का अधिकारका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  54. खंड 56 में समसामयिक मृत्युयों के विषयों में उपधारणा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  55. खंड 57 में पुनर्विवाह पर निरर्हता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.58. खंड 58 में हत्यारा निरर्हित का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  56. खंड 59 में उत्तराधिकारी, जबकि उत्तराधिकारी निरर्हित हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  57. खंड 60 में रोग, शारीरिक / मानसिक दोश या विकृति से निरर्हता न होना क उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.61. खंड 61 में इच्छापत्र करने के लिए सक्षम व्यक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  58. खंड 62 में कपट, प्रपीडन या अतियाचना द्वारा अभिप्राप्त इच्छापत्र का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  59. खंड 63 में इच्छापत्र प्रतिसंहृत या परिवर्तित की जा सकती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.64. खंड 64 में इच्छापत्रों का निष्पादन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  60. खंड 65 में संदर्भ द्वारा अभिलेखों का सम्मिलित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  61. खंड 66 में हित के कारण या निष्पादक होने के कारण साक्षी का निरर्हित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  62. खंड 67 में इच्छापत्र या क्रोडपत्र का प्रतिसंहरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  63. खंड 68 में विशेषाधिकार रहित इच्छापत्र में मिटाने, अंतरालेखन या परिवर्तन का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  64. खंड 69 में विशेषाधिकार रहित इच्छापत्र का पुनः प्रवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  65. खंड 70 में इच्छापत्र के शब्द का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  66. खंड 71 में इच्छापत्र को पाने वाले या उसकी विषयवस्तु से संबंधित किसी प्रश्न को का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. अवधारित करने के लिए जांच का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  67. खंड 72 में पाने वाले का मिथ्या नाम या मिथ्या वर्णन का उपबंध किया जा प्रस्तावित है.73. खंड 73 में शब्दों की पूर्ति कब की जाएगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावि है.
  68. खंड 74 में विषयवस्तु के वर्णन में गलत वर्णन का अस्वीकार किया जाना व उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  69. खंड 75 में वर्णन का भाग कब अस्वीकार नहीं किया जाएगा कि वह गलत का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  70. खंड 76 में प्रत्यक्ष संदिग्धार्थता के मामलों में बाहरी साक्ष्य की ग्राह्यता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  71. खंड 77 में प्रत्यक्ष संदिग्धार्थता या कमी से मामलों में बाहरी साक्ष्य की अग्राह्यता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  72. खंड 78 में खंड का अर्थ सम्पूर्ण इच्छापत्र से निकाला जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  73. खंड 79 में शब्दों को कब सीमित अर्थों में और कब प्रायिक से विस्तृत अर्थों में समझा जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  74. खंड 80 में दो सम्भाव्य अर्थान्वयन में से किसे अधिमान दिया जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  75. खंड 81 में यदि युक्तियुक्त अर्थान्वयन किया जा सके तो किसी भाग को अस्वीकृत न किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  76. खंड 82 में इच्छापत्र के विभिन्न भागों में पुनः प्रयुक्त शब्दों का निर्वचन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  77. खंड 83 में जहां तक संभव हो इच्छापत्रकर्ता के आशय को प्रभावी बनाया जाना का उपवन्ध किया जाना प्रस्तावित है.
  78. खंड 84 में दो असंगत खंडों में से अंतिम का अभिभावी होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  79. खंड 85 में अनिश्चितता के कारण इच्छापत्र या इच्छापत्र का शून्य होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  80. खंड 86 में वस्तुओं का वर्णन करने वाले शब्दों का, इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर, वर्णन के अनुरूप संपदा को निर्दिष्ट करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  81. खंड 87 में साधारण उत्तरदान द्वारा निष्पादित नियोजन की शक्ति का उपब- किया जाना प्रस्तावित है.
  82. खंड 88 में नियोजन के अभाव में शक्तियों के उद्देश्यों के लिए विवक्षित दान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  83. खंड 89 में किसी व्यक्ति के "उत्तराधिकारियों' आदि को, विशेषित करने वान शब्द के बिना उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  84. खंड 90 में विशिष्ट व्यक्ति के "प्रतिनिधियों" आदि को उत्तरदान का उपबन किया जाना प्रस्तावित है.
  85. खंड 91 में परिसीमा संबंधी शब्दों के बिना उत्तरदान का उपबंध किया जा प्रस्तावित है.
  86. खंड 92 में विकल्प में उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  87. खंड 93 में किसी व्यक्ति के लिए उत्तरदान में किसी वर्ग का वर्णन करने वाले शब्दों को जोडने का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  88. खंड 94 में केवल साधारण वर्णन वाले व्यक्तियों के वर्ग को उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  89. खंड 95 में पदों का अर्थान्वयन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.96. खंड 96 में जहां इच्छापत्र में एक ही व्यक्ति को दो उत्तरदान करने का तात्पर्य हो वहां अर्थान्वयन के सिद्धांत का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  90. खंड 97 में अवशिष्टीय इच्छापत्रदार का गठन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  91. खंड 98 में संपदा, जिसके लिए अवशिष्टीय इच्छापत्रदार अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  92. खंड 99 में साधारण निबन्धनों वाली इच्छापत्रीय संपदा के निहित होने का समय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  93. खंड 100 में इच्छापत्रीय संपदा किन मामलों में व्यपगत होती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  94. खंड 101 में इच्छापत्रीय संपदा व्यपगत नहीं होती यदि दो संयुक्त इच्छापत्रदारों में से एक की मृत्यु हो जाती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  95. खंड 102 में विशिष्ट अंश देने की इच्छापत्रकर्ता के आशय को दर्शित करने वाले शब्दों का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  96. खंड 103 में व्यपगत अंश कब अव्ययनित समझा जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  97. खंड 104 में इच्छापत्रकर्ता की संतान या रैखिक वंशज के लिए उत्तरदान इच्छापत्रकर्ता के जीवनकाल में उसकी मृत्यु हो जाने पर कब व्यपगत नहीं होती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  98. खंड 105 में ख के लाभ के लिए क का उत्तरदान क की मृत्यु से व्यपगत नहीं होता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  99. खंड 106 में वर्णित वर्ग के लिए उत्तरदान के मामले में उत्तरजीविता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  100. खंड 107 में किसी विशिष्ट वर्णन वाले किसी व्यक्ति को, जो इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर विद्यमान नहीं है, उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  101. इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर अविद्यमान व्यक्ति को पूर्वोक्त उत्तरदान के अध्यधीन उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  102. खंड 109 में शाश्वतता के विरुद्ध नियम का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है
  103. खंड 110 में उस वर्ग को उत्तरदान जिनमें से कुछ धारा 108 और 109 के अन्दर आते हैं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  104. खंड 111 में उत्तरदान का किसी पूर्विक उत्तरदान की निष्फलता पर प्रभावी होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  105. खंड 112 में संचयन के लिए निर्देश का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  106. खंड 113 में इच्छापत्रीय संपदा के निहित होने की तिथि जब संदाय या आधिपत्य रोक दिया गया हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  107. खंड 114 में निहित होने की तिथि जब इच्छापत्रीय संपदा विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना पर समाश्रित हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  108. खंड 115 में किसी वर्ग के ऐसे सदस्यों का उत्तरदान में हित निहित होना, जो किसी विशिष्ट आयु को प्राप्त करे का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  109. खंड 116 में दुर्भर उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  110. खंड 117 में एक ही व्यक्ति को दो पृथक् और स्वतंत्र उत्तरदानों में से एक स्वीकार तथा दूसरी अस्वीकार की जा सकती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  111. खंड 118 में उत्तरदान जो किसी विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना पर, जिसके घटित होने के लिए समय वर्णित नहीं है, समाश्रित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  112. खंड 119 में कुछ व्यक्तियों में से ऐसे व्यक्तियों को उत्तरदान जो अविनिर्दिष्ट कालावधि पर उत्तरजीवी हैं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  113. खंड 120 में असंभव शर्त पर उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  114. खंड 121 में अवैध या अनैतिक शर्त पर उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  115. खंड 122 में इच्छापत्रीय संपदा के निहित होने के तिथि के पूर्व की शर्त की पूर्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  116. खंड 123 में ख को किये गये पूर्व उत्तरदान के निष्फल हो जाने पर क को उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  117. खंड 124 में प्रथम उत्तरदान की निष्फलता पर द्वितीय उत्तरदान का कब प्रभावी न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  118. खंड 125 में परवर्ती उत्तरदान का विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना के घटित होने या घटित न होने पर आश्रित होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  119. खंड 126 में शर्तों का कड़ाई से पूरा किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  120. खंड 127 में मूल उत्तरदान का द्वितीय उत्तरदान की अविधिमान्यता द्वारा प्रभावित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  121. खंड 128 में इस शर्त के साथ उत्तरदान कि यह विनिर्दिष्ट अनिश्चित घटना के घटित होने या न होने की दशा में प्रभावी नहीं रहेगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  122. खंड 129 में ऐसी शर्त धारा 114 के अधीन अविधिमान्य नहीं होनी चाहिए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  123. खंड 130 में इच्छापत्रदार द्वारा उस कार्य को, जिसके लिए कोई समय विनिर्दिष्ट नहीं है और जिसके न किए जाने पर विषयवस्तु अन्य व्यक्ति को मिलेगी, असंभव बनाने या अनिश्चित काल तक रोकने का परिणाम का उपबन् किया जाना प्रस्तावित है.
  124. खंड 131 में पुरोभाव्य या उत्तरभाव्य शर्त का विनिर्दिष्ट समय के भीतर पूरा किया जाना. कपट के मामले में अतिरिक्त समय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  125. खंड 132 में किसी व्यक्ति को या उसके लाभ के लिए निधि की आत्यंतिक उत्तरदान के बाद यह निर्देश कि निधि का उपयोजन विशिष्ट रीति से किया जाए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  126. खंड 133 में यह निर्देश कि आत्यन्तिक उत्तरदान के उपभोग की रीति. इच्छापत्रदार को विनिर्दिष्ट लाभ सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित की जानी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  127. खंड 134 में निधि का कतिपय प्रयोजनों के लिए, जिनमें से कुछ को पूरा नहीं किया जा सकता है, उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  128. खंड 135 में निष्पादक के रूप में नामित इच्छापत्रदार जब तक निष्पादक के रूप में कार्य करने का आशय दर्शित न करे, वह इच्छापत्रीय संपदा प्राप्त नहीं कर सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  129. खंड 136 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा की परिभाषा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  130. खंड 137 में कतिपय धनराशि का उत्तरदान, जहां वह स्टाक आदि, जिसमें उसका विनिधान किया गया है वर्णित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  131. खंड 138 में स्टाक का उत्तरदान, जहां इच्छापत्रकर्ता के पास इच्छापत्र की तिथि को उसी प्रकार के स्टाक की समान या अधिक मात्रा है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  132. खंड 139 में धन का उत्तरदान, जहां वह, जब तक इच्छापत्रकर्ता की संपदा का भाग कतिपय रीति से व्ययन न किया जाए, संदेय नहीं है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  133. खंड 140 में कब प्रगणित वस्तुओं का विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया नहीं माना जाता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  134. खंड 141 में विभिन्न व्यक्तियों को क्रमबार विनिर्दिष्ट उत्तरदान का उसी रूप में प्रतिधारण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  135. खंड 142 में दो या अधिक व्यक्तियों को क्रमवार उत्तरदान की गई संपदा का विक्रय और आगमों का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  136. खंड 143 में जहां इच्छापत्रीय संपदा के संदाय के लिए आस्तियों में कमी है वहां विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा का साधारण इच्छापत्रीय संपदा के साथ उपशमन न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  137. खंड 144 में निदर्शित इच्छापत्रीय संपदा की परिभाषा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  138. खंड 145 में संदाय का आदेश जहां इच्छापत्रीय संपदा का संदाय ऐसी निधि से किए जाने का निर्देश हो, जो विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा की विषय वस्तु हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  139. खंड 146 में विखंडन का स्पष्टीकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  140. खंड 147 में निदर्शित इच्छापत्रीय संपदा का विखंडित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  141. खंड 148 में तृतीय पक्षकार से कुछ प्राप्त करने के अधिकार की विनिर्दिष्ट उत्तरदान का विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  142. खंड 149 में विनिर्दिष्ट रूप से उत्तरदान की गई संपूर्ण वस्तु के भाग की इच्छापत्रकर्ता द्वारा प्राप्ति पर उस सीमा तक विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  143. खंड 150 में ऐसी संपूर्ण निधि के भाग की, जिसका भाग विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया है, इच्छापत्रकर्ता द्वारा प्राप्ति पर उस सीमा तक विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  144. खंड 151 में संदाय का क्रम, जहां निधि का भाग एक इच्छापत्रदार को विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया है और उसी निधि पर भारित इच्छापत्रीय संपदा अन्य व्यक्ति को उत्तरदान किया गया है और इच्छापत्रकर्ता नेउस निधि का एक भाग प्राप्त किया है और अब शेष दोनों इच्छापत्रीय संपदाओं का संदाय करने के लिए अपर्याप्त है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  145. खंड 152 में जहां विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया स्टाक इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के समय विद्यमान नहीं है, वहां विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  146. खंड 153 में जहां विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया स्टाक, इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के समय, केवल भागतः विद्यमान रहता है, वहां उस सीमा तक विखंडन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  147. खंड 154 में ऐसे माल का, जिसका वर्णन किसी स्थान से उसे संबंधित करता है, विनिर्दिष्ट उत्तरदान का माल हटाए जाने के कारण विखंडित न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  148. खंड 155 में उत्तरदान की गई वस्तु का हटाया जाना कब विखंडित नहीं होता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  149. खंड 156 में जहां उत्तरदान की गई वस्तु इच्छापत्रकर्ता द्वारा अन्य व्यक्ति से प्राप्त होने वाली मूल्यवान वस्तु है और इच्छापत्रकर्ता स्वयं या उसका प्रतिनिधि उसे प्राप्त करता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  150. खंड 157 में विनिर्दिष्ट उत्तरदान की विषयवस्तु में, इच्छापत्र की तिथि और इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के बीच, विधि के प्रवर्तन द्वारा परिवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  151. खंड 158 में इच्छापत्रकर्ता की जानकारी के बिना विषयवस्तु में परिवर्तन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  152. खंड 159 में विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किया गया स्टाक तृतीय पक्षकार को इस शर्त पर पट्टे पर दिया जाना कि उसको प्रतिस्थापित किया जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  153. खंड 160 में विनिर्दिष्ट रूप में उत्तरदान किए गए स्टाक को विक्रय करके उसका प्रतिस्थापन होना और इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु पर उसका इच्छापत्रकर्ता के स्वामित्व में होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  154. खंड 161 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रदारों को विमुक्त करने का निष्पादक का दायित्व न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  155. खंड 161 में उत्तरदान की गई वस्तु के लिए इच्छापत्रकर्ता के अधिकार को पूरा करना उसकी संपदा के खर्च पर होगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  156. खंड 163 में इच्छापत्रदार की स्थावर संपदा की विमुक्ति, जिसके लिए भू-राजस्व या भाटक कालिक रूप से संदेय है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  157. खंड 164 में संयुक्त स्टाक कम्पनी में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रदार के स्टाक की विमुक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  158. खंड 165 में साधारण शब्दों में वर्णित वस्तुओं का उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  159. खंड 166 में निधि के ब्याज या आगम का उत्तरदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  160. खंड 167 में जब तक इच्छापत्र से कोई प्रतिकूल आशय प्रकट न हो, इच्छापत्र द्वारा सृजित वार्षिकी केवल जीवन पर्यन्त संदेय होगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  161. खंड 168 में जहां इच्छापत्र में यह निर्देष दिया गया हो कि वार्षिकी संपदा के आगमों में से या साधारणतः संपदा में से दी जानी चाहिए या जहां उत्तरदान किए गए धन का विनिधान वार्षिकी का क्रय करने में किया जाना है, वहां विनिधान की अवधि का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  162. खंड 169 में वार्षिकी का उपशमन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  163. खंड 170 में जहां वार्षिकी का दान और अवशिष्ट दान हो, वहां सम्पूर्ण वार्षिकी का पहले चुकाया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  164. खंड 171 में लेनदार, प्रथमदृष्ट्या, इच्छापत्रीय संपदा, तथा ऋण, दोनों के लिए अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  165. खंड 172 में संतान प्रथमदृष्ट्या, इच्छापत्रीय संपदा तथा हिस्सा, दोनों के लिए अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  166. खंड 173 में इच्छापत्रदार के लिए पश्चात्वर्ती उपबंध द्वारा विखंडन न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  167. खंड 174 में किन परिस्थितियों में चयन होता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  168. खंड 175 में स्वामी द्वारा त्यागे गए हित का न्यागमन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  169. खंड 176 में इच्छापत्रकर्ता के स्वामित्व के संबंध में उसका विश्वास तत्त्वहीन है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  170. खंड 177 में व्यक्ति के लाभ के लिए उत्तरदान, चयन के प्रयोजन के लिए कैसे माना जाए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  171. खंड 178 में अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पाने वाले व्यक्ति को चयन नहीं करना है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  172. खंड 179 में इच्छापत्र के अधीन व्यक्तिगत सामर्थ्य में लेने वाला व्यक्ति दूसरे सामर्थ्य में उसके विपरीत लेने का चयन कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  173. खंड 180 में अंतिम छह धाराओं के उपबन्धों का अपवाद का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  174. खंड 181 में इच्छापत्र द्वारा दिए गए लाभ का प्रतिग्रहण कब इच्छापत्र के अधीन लेने के चयन को गठित करता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  175. खंड 182 में वे परिस्थितियां जिनमें ज्ञान या अधित्यजन उपधारित या अनुमित किया जाता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  176. खंड 183 में इच्छापत्रकर्ता के प्रतिनिधि इच्छापत्रदार से चयन करने के लिए कब कह सकेंगे का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  177. खंड 184 में निर्योग्यता की दशा में चयन को स्थगित रखना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  178. खंड 185 में मृत्यु को आसन्न मानकर दान द्वारा अन्तरणीय संपदा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  179. खंड 186 में मृतक की संपदा के लिए उत्तराधिकार द्वारा अधिकार का दावा करने वाला व्यक्ति सदोश आधिपत्य के विपरीत अनुतोष के लिए आवेदन कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  180. खंड 187 में न्यायाधीश द्वारा की गई जांच का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  181. खंड 188 में प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  182. खंड 189 में कार्यवाहियों के अवधारण के लंबित रहने के दौरान रक्षक की नियुक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  183. खंड 190 में रक्षक को प्रदान की जा सकने वाली शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  184. खंड 191 में रक्षक द्वारा कतिपय शक्तियों के प्रयोग का प्रतिषेध का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  185. खंड 192 में रक्षक प्रतिभूति देगा और पारिश्रमिक प्राप्त कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  186. खंड 193 में कलेक्टर की रिपोर्ट जहां संपदा में राजस्व संवत करने वाली भूमि सम्मिलित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  187. खंड 194 में वादों को संस्थित करना और उनमें प्रतिरक्षा करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  188. खंड 195 में रक्षक द्वारा अभिरक्षा के लंबित रहने के दौरान दृश्यमान स्वामियों को भत्ते का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  189. खंड 196 में रक्षक द्वारा लेखा पत्रावलित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  190. खंड 197 में लेखाओं का निरीक्षण और दोहरी प्रति रखने का हितबद्ध पक्षकार का अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  191. खंड 198 में एक ही संपदा के लिए दूसरे रक्षक की नियुक्ति पर बंधन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  192. खंड 198 में रक्षक के लिए आवेदन करने की समय-सीमा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  193. खंड 200 में मृतक द्वारा लोक व्यवस्थापन या विधिक निर्देष के विपरीत इस भाग के प्रवर्तन का वर्जनी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  194. खंड 201 में वाद लाने के अधिकार की व्यावृत्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  195. खंड 202 में संक्षिप्त कार्यवाही के विनिश्चय का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  196. खंड 203 में लोक रक्षकों की नियुक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. 204. खंड 204 में निष्पादक या प्रशासक की, उस रूप में, प्रकृति और संपदा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  197. खंड 205 में न्यायालय के माध्यम से मृत व्यक्तियों के ऋणियों से ऋणों की उगाही के लिए प्रतिनिधि के अधिकार के सबूत का पुरोभाव्य शर्त होनी. का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  198. खंड 206 में पश्चात्वर्ती प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का प्रमाणपत्र पर प्रभावी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  199. खंड 207 में केवल प्रोबेट या प्रशासन-पत्र के प्राप्तकर्ता द्वारा, जब तक उसे प्रतिसंहृत न कर दिया जाए, वाद आदि लाया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  200. खंड 208 में इस अध्याय का लागू होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  201. खंड 209 में प्रशासन किसे अनुदत्त किया जाएगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  202. खंड 210 में प्रशासन-पत्र का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  203. खंड 211 में प्रशासन-पत्र द्वारा कृत्यों को वैध न किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  204. खंड 212 में प्रोबेट केवल नियुक्त निष्पादक के लिए ही का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  205. खंड 213 में वे व्यक्ति जिन्हें प्रोबेट अनुदत्त नहीं किए जा सकते हैं का उपबन किया जाना प्रस्तावित है.
  206. खंड 214 में विभिन्न निष्पादकों को साथ-साथ या विभिन्न समय पर प्रोबेट का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  207. खंड 215 में प्रोबेट के अनुदान के पश्चात् क्रोडपत्र के पृथक् प्रोबेट का पता लगना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  208. खंड 216 में उत्तरजीवी निष्पादक के प्रतिनिधित्व का प्रोद्भूत होना का उपव किया जाना प्रस्तावित है.
  209. खंड 217 में प्रोबेट का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  210. खंड 218 में राज्य के बाहर सिद्ध इच्छापत्रों की अधिप्रमाणित प्रति की प्रति उपाबद्ध करके प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  211. खंड 219 में जहां निष्पादक ने पद त्याग नहीं किया है वहां प्रशासन का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  212. खंड 220 में निष्पादकत्व के त्याग का प्रपत्र और प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  213. खंड 221 में जहां निष्पादक त्याग करता है या समय के भीतर स्वीकार कर में असफल रहता है वहां प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  214. खंड 222 में सर्वस्व या अवशिष्ट इच्छापत्रदार को प्रशासन का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  215. खंड 223 में मृतक अवशिष्ट इच्छापत्रदार के प्रतिनिधि का प्रशासन के लिए अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  216. खंड 224 में जहां निष्पादक, अवशिष्ट इच्छापत्रदार या ऐसे इच्छापत्रदार क प्रतिनिधि नहीं है वहां प्रशासन का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावि है.
  217. खंड 225 में सर्वस्व या अवशिष्ट इच्छापत्रदार से भिन्न इच्छापत्रदारों को प्रशासन-पत्र के अनुदान के पूर्व उपस्थिति का उपबंध किया जाना प्रस्तावि है.
  218. खंड 226 में किन्हें प्रशासन-पत्र अनुदत्त नहीं किया जा सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  219. खंड 227 में नियमों का राज्य विधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  220. खंड 228 में खो गए इच्छापत्र की प्रति या प्रारूप का प्रोबेटका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  221. खंड 229 में खो गए या विनष्ट इच्छापत्र की अंतर्वस्तुओं का प्रोबेटका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  222. खंड 230 में जहां मूल विद्यमान है वहां उसकी प्रति का प्रोबेट का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  223. खंड 231 में इच्छापत्र के प्रस्तुत किए जाने तक प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  224. खंड 232 में अनुपस्थित निष्पादक के अटर्नी को इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  225. खंड 233 में ऐसे अनुपस्थित व्यक्ति के जो यदि उपस्थित होता तो प्रशासन के लिए अधिकारी होता, अटर्नी को इच्छापत्र उपाबद्ध करते हुए प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  226. खंड 234 में इच्छापत्र रहितता के मामले में प्रशासन के लिए अधिकारी अनुपस्थित व्यक्ति के अटर्नी को प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  227. खंड 235 में एकमात्र निष्पादक या अवशिष्ट इच्छापत्रदार की अवयस्कता के दौरान प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  228. खंड 236 में विभिन्न निष्पादकों या अवशिष्ट इच्छापत्रदारों की अवयस्कता के दौरान प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  229. खंड 237 में पागल या अवयस्क के उपयोग और लाभ के लिए प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  230. खंड 238 में वाद के विचाराधीन रहने के दौरान प्रशासन के अधीन होगा और उसके निर्देश के अधीन कार्य करेगा. का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  231. खंड 239 में इच्छापत्र में विनिर्दिष्ट प्रयोजन तक सीमित प्रोबेट का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  232. खंड 240 में विशिष्ट प्रयोजन के लिए सीमित प्रशासन, इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  233. खंड 241 में संपदा तक सीमित प्रशासन जिसमें व्यक्ति लाभप्रद हित रखता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  234. खंड 242 में वाद तक सीमित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  235. खंड 243 में प्रशासक के विरुद्ध लाए जाने वाले वाद में पक्षकार बनने के प्रयोजन तक सीमित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  236. खंड 244 में मृत व्यक्ति की संपदा के संग्रहण और परिरक्षण तक सीमित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  237. खंड 245 में उस व्यक्ति से भिन्न किसी व्यक्ति की प्रशासक के रूप में नियुक्ति जो सामान्य परिस्थितियों में प्रशासन के लिए अधिकारी है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  238. खंड 246 में अपवाद के अधीन रहते हुए, प्रोबेट या इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए प्रशासन-पत्र का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  239. खंड 247 में अपवाद सहित प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  240. खंड 248 में अवशिष्ट का प्रोबेट या प्रशासन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  241. खंड 249 में अप्रशासित भंडार का अनुदान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  242. खंड 250 में अप्रशासित भंडार के अनुदान के बारे में नियमका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  243. खंड 251 में प्रशासन जहां सीमित अनुदान का पर्यवसान हो गया हो फिर भी संपदा का कुछ भाग अप्रशासित हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  244. खंड 252 में कौन सी गलतियां न्यायालय द्वारा सुधारी जा सकेंगी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  245. खंड 253 में इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए प्रशासन का अनुदान करने के पश्चात् क्रोडपत्र का पता चलने पर प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  246. खंड 254 में न्यायोचित कारण से प्रतिसंहरण या अकृतकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  247. खंड 255 में प्रोबेटों आदि के अनुदान और प्रतिसंहरण में जिला न्यायाधीश की अधिकारिता का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  248. खंड 256 में अप्रतिविरोधात्मक मामलों में कार्यवाही करने के लिए जिला न्यायाधीश की प्रत्यायोजिती की नियुक्ति करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  249. खंड 257 में प्रोबेट और प्रशासन के अनुदान के बारे में जिला न्यायाधीश की शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  250. खंड 258 में जिला न्यायाधीश किसी व्यक्ति को इच्छापत्रीय अभिलेख प्रस्तुत करने का आदेश दे सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  251. खंड 259 में प्रोबेट और प्रशासन के संबंध में जिला न्यायाधीश के न्यायालय की कार्यवाहियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  252. खंड 260 में संपदा के संरक्षण के लिए जिला न्यायाधीश कब और कैसे हस्तक्षेप कर सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  253. खंड 261 में जिला न्यायाधीश द्वारा प्रोबेट या प्रशासन पत्र कब अनुदत्त किया जा सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  254. खंड 262 में उस जिले के न्यायाधीश को, जिसमें मृत्तक का नियत निवास सीन नहीं था, किए गए आवेदन का निस्तारण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  255. खंड 263 में प्रोबेट और प्रशासन-पत्र प्रतिनिधि द्वारा अनुदत्त किया जा सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  256. खंड 264 में प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का निश्चायक होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  257. खंड 265 में धारा 264 के परन्तुक के अधीन अनुदानों के प्रमाणपत्र का उच्च न्यायालय को पारेषण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  258. खंड 266 में प्रोबेट या प्रशासन-पत्र के लिए आवेदन का, यदि उन्हें समुचित रूप से लिखा और सत्यापित किया गया है निश्चायक होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  259. खंड 267 में प्रोबेट के लिए याचिका का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  260. खंड 268 में किन मामलों में इच्छापत्र का अनुवाद याचिका के साथ उपाबद्ध किया जाएगा. न्यायालय के अनुवादक से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा अनुवाद का सत्यापन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  261. खंड 269 में प्रशासन-पत्र के लिए याचिका का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  262. खंड 270 में कतिपय मामलों में प्रोबेट या प्रशासन-पत्र के लिए याचिका, आदि में कथनों में वृद्धि का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  263. खंड 271 में प्रोबेट आदि के लिए याचिका पर हस्ताक्षर और उसका सत्यापन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  264. खंड 272 में प्रोबेट के लिए याचिका को इच्छापत्र के एक साक्षी द्वारा सत्यापित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  265. खंड 273 में याचिका या घोषणा में मिथ्या प्रकथन के लिए दंड का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  266. खंड 274 में जिलान्यायाधीश की शक्तिय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  267. खंड 275 में प्रोबेट या प्रशासन के अनुदान के विरुद्ध केवियट का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  268. खंड 276 में केवियट की प्रविष्टि के के पश्चात् याचिका पर किसी कार्यवाही का तब तक न किया जाना जब तक केवियटकर्ता को सूचना न दे दी जाए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  269. खंड 277 में जिला प्रतिनिधि कब प्रोबेट या प्रशासन का अनुदान नहीं करेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  270. खंड 278 में संदेहास्पद मामलों में जहां कहीं प्रतिविरोध नहीं है जिला न्यायाधीश को कथन पारेषित करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  271. खंड 279 में जहां प्रतिविरोध है या जिला प्रतिनिधि यह सोचता है कि प्रोबेट या प्रशासन-पत्र देना उसके न्यायालय में अस्वीकार किया जाना चाहिए वहां प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  272. खंड 280 में प्रोबेट के अनुदान का न्यायालय की मुद्रा के अधीन होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  273. खंड 281 में प्रशासन-पत्रों के अनुदान का न्यायालय की मुद्रा के अधीन होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  274. खंड 282 में प्रशासन बन्धपत्र का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  275. खंड 283 में प्रशासन बन्धपत्र का समनुदेशन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  276. खंड 284 में प्रोबेट और प्रशासन के अनुदान के लिए समय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  277. खंड 285 में मूल इच्छापत्रों को, जिनके प्रोबेट या प्रशासन-पत्र इच्छापत्र को उपाबद्ध करते हुए, अनुदत्त किए गए हों, पत्रावलित करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  278. खंड 286 में प्रतिविरोध के मामले में प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  279. खंड 287 में प्रतिसंहत प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का अभ्यर्पण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  280. खंड 288 में प्रोबेट या प्रशासन के प्रतिसंह्नत किए जाने के पूर्व निष्पादक या प्रशासक को संदाय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  281. खंड 289 में प्रशासन-पत्र को अस्वीकार करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  282. खंड 290 में जिला न्यायाधीश के आदेश के विरूद्ध अपीलें का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  283. खंड 291 में निष्पादक या प्रशासक का हटाया जाना और उत्तराधिकारी के लिए उपबंध का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  284. खंड 292 में निष्पादक या प्रशासक को निर्देश का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  285. खंड 293 में स्वयं के दोष से निष्पादक का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  286. खंड 294 में स्वयं के दोष से निष्पादक का दायित्व का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  287. खंड 295 में मृतक की मृत्यु से समाप्त न हुए बाद हेतुकों और मृत्यु पर देयअऋणों के संबंध में का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  288. खंड 296 में मृतक की या उसके विरुद्ध मांगें और कार्यवाही करने के अधिकारों का निष्पादक या प्रशासक के पक्ष में या उसके विरुद्ध समाप्त न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  289. खंड 297 में संपति के व्ययन के लिए निष्पादक या प्रशासक की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  290. खंड 298 में प्रशासन की साधारण शक्तियां कोई निष्पादक या प्रशासक का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  291. खंड 299 में मृतक की संपदा का निष्पादक या प्रशासक द्वारा क्रय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  292. खंड 300 में कई निष्पादकों या प्रशासकों की शक्तियों का उनमें से एक द्वारा प्रयोग का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  293. खंड 301 में कई निष्पादकों या प्रशासकों में से एक की मृत्यु पर शक्तियों का समाप्त न होनाका उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  294. खंड 302 में अप्रशासित भंडार के प्रशासन की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  295. खंड 303 में अवयस्कता के दौरान प्रशासन की शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  296. खंड 304 में विवाहित निष्पादिका या प्रशासिका की शक्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  297. खंड 305 में मृतक की अन्त्येष्टि के संबंध में का उपवन्ध किया जाना प्रस्तावित है.
  298. खंड 306 में भंडार सूची और लेखा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  299. खंड 307 में भंडार सूची में कतिपय मामलों में भारत के किसी भी भाग की संपदा का सम्मिलित किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  300. खंड 308 में मृतक की संपदा और उसे देय ऋण के संबंध में का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  301. खंड 309 में व्ययों का सभी ऋणों के पूर्व संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  302. खंड 310 में ऐसे व्ययों के पश्चात् दूसरे व्ययों का संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  303. खंड 311 में उसके बाद कतिपय सेवाओं के लिए मजदूरियों का और तत्पश्चात् अन्य ऋणों का संदाय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  304. खंड 312 में पूर्वोक्त के सिवाय सभी ऋणों का समान रूप से और आनुपातिक रूप से संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  305. खंड 313 में जहां अधिवास भारत में न हो वहां ऋण के संदाय के लिए जंगम संपदा का उपयोग का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  306. खंड 314 में इच्छापत्रीय संपदाओं के पूर्व ऋणों का संदाय किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  307. खंड 315 में निष्पादक या प्रशासक का प्रतिपूर्ति के बिना, इच्छापत्रीय संपदा के संदाय के लिए बाध्य न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  308. खंड 316 में साधारण इच्छापत्रीय संपदा ओं में कमी का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  309. खंड 317 में जब आस्तियां ऋणों के संदाय के लिए पर्याप्त हों तब विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदाओं में कमी न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  310. खंड 318 में जब आस्तियां ऋणों और आवश्यक व्ययों के संदाय के लिए पर्याप्त हैं तब निदर्शित इच्छापत्रीय संपदा के अधीन अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  311. खंड 319 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदाओं में आनुपातिक कमी किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  312. खंड 320 में वे इच्छापत्रीय संपदाएं जो कमी करने के प्रयोजन के लिए साधारण इच्छापत्रीय संपदाएं मानी जाती हैं का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  313. खंड 321 में इच्छापत्रदार के अधिकार को पूर्ण करने के लिए अनुमति का आवश्यक होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  314. खंड 322 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा के लिए निष्पादक की अनुमति का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  315. खंड 323 में सशर्त अनुमति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  316. खंड 324 में अपनी स्वयं की इच्छापत्रीय संपदा के लिए निष्पादक की अनुमति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  317. खंड 325 में निष्पादक की अनुमति का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  318. खंड 326 में निष्पादक इच्छापत्रीय संपदा का परिदान कब करेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  319. खंड 327 में वार्षिकी का प्रारंभ, जब इच्छापत्र में कोई समय नियत न हो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  320. खंड 328 में त्रैमासिक या मासिक संदाय वाली वार्षिकी प्रथम बार कब शोध्य होती है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  321. खंड 329 में आसनुक्रमिक संदायों की तिथियां जब प्रथम संदाय दिए गए समय के भीतर या निश्चित दिन करने का निर्देश हो, संदाय की तिथि से पूर्व वार्षिकीदार की मृत्यु का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  322. खंड 330 में जहां इच्छापत्रीय संपदा, जो विनिर्दिष्ट नहीं है, जीवन पर्यन्त के लिए दी गई है, वहां उत्तरदान की गई धनराशि का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  323. खंड 331 में भविष्य में संदेय, साधारण इच्छापत्रीय संपदा का विनिधान, मध्यवर्ती व्याज का व्ययन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  324. खंड 332 में जहां कोई निधि वार्षिकी से भारित या उसके लिए विनियोजित नहीं की गई है वहां प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  325. खंड 333 में समाश्रित इच्छापत्र का अवशिष्ट इच्छापत्रदार को अन्तरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  326. खंड 334 में किन्हीं विशिष्ट प्रतिभूतियों में विनिधान किए जाने के निर्देश के बिना जीवन पर्यन्त के लिए उत्तरदान किए गए अवशेष का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  327. खंड 335 में किन्हीं विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों में विनिधान किए जाने के निर्देश के सहित जीवन पर्यन्त के लिए उत्तरदान किए गए अवशेष का विनिधान का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  328. खंड 337 में ऐसे मामले में प्रक्रिया जहां अवयस्क उत्तरदान के तुरन्त संदाय या आधिपत्य का अधिकारी है और उसके निमित्त किसी व्यक्ति को संदाय किए जाने का निर्देश नहीं है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  329. खंड 338 में विनिर्दिष्ट इच्छापत्रीय संपदा के उत्पाद के लिए इच्छापत्रदार का अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  330. खंड 339 में अवशिष्ट इच्छापत्रदार का अवशिष्ट निधि के उत्पाद पर अधिकार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  331. खंड 340 में ब्याज, जब साधारण इच्छापत्रीय संपदा के संदाय के लिए कोई समय नियत नहीं है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  332. खंड 341 में ब्याज जब समय नियत है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  333. खंड 342 में ब्याज की दर का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  334. खंड 343 में इच्छापत्रकर्ता की मृत्यु के पश्चात् प्रथम वर्ष के भीतर वार्षिकी पर कोई ब्याज न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है
  335. खंड 344 में वार्षिकी का सृजन करने के लिए विनिहित धनराशि पर ब्याज का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  336. खंड 345 में न्यायालय के आदेशों के अधीन संदत्त इच्छापत्रीय संपदा का प्रतिदाय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  337. खंड 346 में यदि संदाय स्वैच्छिक है तो प्रतिदाय नहीं होगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  338. खंड 347 में उस समय प्रतिदाय जब इच्छापत्रीय संपदा धारा 131 के अधीन अनुज्ञात अतिरिक्त समय के भीतर शर्त का अनुपालन करने पर देय हो गई है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  339. खंड 348 में प्रत्येक इच्छापत्रदार को कब अनुपात में प्रतिदाय करने के लिए विवश किया जा सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  340. खंड 349 में आस्तियों का वितरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  341. खंड 350 में लेनदार इच्छापत्रदार से प्रतिदाय की मांग कर सकेगा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  342. खंड 351 में ऐसा इच्छापत्रदार, जिसकी तुष्टि नहीं हुई है या जिसे धारा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है. के अधीन प्रतिदाय करने के लिए विवश किया गया है, उस इच्छापत्रदार को, जिसे पूर्ण संदाय किया गया है, प्रतिदार करने के लिए कब बाध्य नहीं कर सकता है का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  343. खंड 352 में अतुष्ट इच्छापत्रदार को निष्पादक के विरुद्ध, यदि वह ऋण शोधक्षम है, पहले कब कार्यवाही करनी चाहिए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  344. खंड 353 में एक इच्छापत्रदार की दूसरे इच्छापत्रदार को प्रतिदाय करने की सीमा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  345. खंड 354 में प्रतिदाय पर ब्याज का न होना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  346. खंड 355 में अवशेष का प्रायिक संदायों के पश्चात् अवशिष्ट इच्छापत्रदार व संदत्त किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  347. खंड 356 में अधिवास के देश के निष्पादक या प्रशासक को भारत से आस्तियों का वितरण के लिए अंतरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  348. खंड 357 में विध्वंस के लिए निष्पादक या प्रशासक का दायित्व का उपबन् किया जाना प्रस्तावित है.
  349. खंड 358 में संपदा का कोई भाग लेने में उपेक्षा के लिए निष्पादक या प्रशासक का दायित्व का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  350. खंड 359 में प्रमाणपत्र अनुदत्त करने की अधिकारिता रखने वाला न्यायालय का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  351. खंड 360 में प्रमाणपत्र के लिए आवेदन का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  352. खंड 361 में आवेदन पर प्रक्रिया का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  353. खंड 362 में प्रमाणपत्र की विषयवस्तु का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  354. खंड 363 में प्रमाणपत्र के प्राप्तिकर्ता से प्रतिभूति की अध्यपेक्षा का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  355. खंड 364 में प्रमाणपत्र का विस्तार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  356. खंड 365 में प्रमाणपत्र और विस्तारित प्रमाणपत्र का प्रपत्र का उपबंध किय जाना प्रस्तावित है.
  357. खंड 366 में प्रतिभूतियों के बारे में शक्तियों के संबंध में प्रमाणपत्र का संशो का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  358. खंड 367 में प्रमाणपत्रों पर न्यायालय के शुल्क का संग्रहण करने का ढंग का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  359. खंड 368 में प्रमाणपत्र का स्थानीय विस्तार का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  360. खंड 369 में प्रमाणपत्र का प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  361. खंड खंड 370 में में प्रमाणपत्र का प्रत्तिसंहरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  362. खंड 371 में अपीलें का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  363. खंड 372 में पूर्ववर्ती प्रमाणपत्र, प्रोबेट या प्रशासन-पत्र का प्रमाणपत्र पर प्रभाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  364. खंड 373 में अविधिमान्य प्रमाणपत्र के धारक को सद्भाव से किए गए कतिपय संदायों का विधिमान्यकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  365. खंड 374 में इस अध्याय के अधीन विनिश्चयों का प्रभाव और उसके अधीन प्रमाणपत्र धारक का दायित्व का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  366. खंड 375 में इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए जिला न्यायालयों की अधिकारिता अवर न्यायालय को प्रदान करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  367. खंड 376 में अधिक्रांत और अविधिमान्य प्रमाणपत्रों का अभ्यर्पण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  368. खंड 377 में व्यावृत्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  369. खंड 378 में सहवासी संबंध के सहवासियों द्वारा कथन का प्रस्तुतिकरण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  370. खंड 379 में सहवासी संबंध से जनित बच्चे का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  371. खंड 380 में सहवासी संबंध का पंजीकरण न किया जाना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  372. खंड 381 में सहवासी संबंध के पंजीकरण की प्रक्रिया का उपबंध किया जान प्रस्तावित है.
  373. खंड 382 में इस भाग के अंतर्गत पंजीकरण मात्र अभिलेख के लिए का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  374. खंड 383 में इस भाग के अन्तर्गत निबंधक को अधिकारयुक्त करना, और पंजिकाओं का रखरखाव का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  375. खंड 384 में सहवासी संबंध की समाप्ति का कथन प्रस्तुत करना का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  376. खंड 385 में निबंधक के कर्तव्य का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  377. खंड 386 में सहवासी संबंध के पंजीकरण हेतु नोटिस का उपबंध किया जाना है.
  378. खंड 387 में अपराध एवं दण्ड का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  379. खंड 388 में भरण-पोषण का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  380. खंड 389 में नियम बनाने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  381. खंड 390 में निरसन एवं व्यावृत्तियां का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  382. खंड 391 में नियम बनाने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.
  383. खंड 392 में कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति का उपबंध किया जाना प्रस्तावित है.

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Last Updated : Feb 6, 2024, 5:54 PM IST
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