पलामू: जिले में सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील सड़कों की पहचान कर ली गई है. पलामू में 30 ऐसी सड़कें हैं जो बेहद संवेदनशील मानी जाती हैं. यह सड़क झारखंड-बिहार सीमा के साथ पलामू के अंदरूनी इलाकों में मौजूद है. लोकसभा चुनाव से पहले इन सड़कों को सुरक्षित और सैनिटाइज करना बड़ी चुनौती है. इन सड़कों पर नक्सली हमले का खतरा बना रहता है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने संवेदनशील इलाकों और सड़कों की पहचान कर ली है. चिन्हित सड़कों के इलाके में पुलिस बल तैनात करने और सुरक्षा की योजना तैयार की गयी है. चिह्नित सड़कों में से कई का लंबा नक्सली इतिहास है. इन सड़कों पर कई बड़े नक्सली हमले भी हो चुके हैं.
सीआरपीएफ और पुलिस कर रही सड़कों की सुरक्षा
सीआरपीएफ और पुलिस चिन्हित संवेदनशील सड़कों की सुरक्षा में जुटी है. पुलिस के जवान सभी सड़कों को सैनिटाइज कर रहे हैं. सीआरपीएफ और पुलिस जवानों के पास उपलब्ध उपकरणों से सड़कों की जांच की जा रही है ताकि लैंड माइंस का पता लगाया जा सके. नक्सल विरोधी अभियान के लिए पलामू को सीआरपीएफ की 172 बटालियन और 112 बटालियन से एक-एक कंपनी मिली है. दोनों कंपनियों के जरिए नक्सली इलाकों में ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं और सड़कों को सुरक्षित किया जा रहा है. नक्सली मामलों के जानकार देवेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि चुनाव के दौरान नक्सली अक्सर सुरक्षा बलों पर छिपकर हमला करने की कोशिश करते हैं, ऐसे में नक्सली इलाकों में मौजूद सड़कों की जांच करना जरूरी है.
ये सड़कें संवेदनशील
पलामू के छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र के हरिहरगंज थाना क्षेत्र के गोपालपुर बभंडी, चापरवार-सरसोट, सुल्तानी-पथरा, छतरपुर थाना क्षेत्र के कंडाखास खास-तेनुदाग, लठेया-महुदंड, नौडीहा थाना क्षेत्र के नामुदाग-मनिया, नामोदाग-सरइडीह, सरइडीह-डगरा, सरइडीह-चेतमा-नावाजयपुर, नौडीहा बाजार-कुहकुह, मनातू थाना क्षेत्र के मनातू-चक, चक-मसूरिया, मनातू-मीटार, पांकी थाना क्षेत्र के पांकी-ताल, पांकी-द्वारिका समेत कई सड़कों को संवेदनशील घोषित किया गया है.
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