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उन्नाव में डिप्थीरिया का कहर; 15 दिन में तीन बच्चों की मौत, संक्रमित 12 बच्चों का चल रहा इलाज - Diphtheria Death Unnao

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 20, 2024, 7:28 PM IST

उन्नाव जिले में डिप्थीरिया (गलाघोंटू) बीमारी ने पांव पसारना शुरू कर दिया है. अब तक इस बीमारी से 3 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं, कई अन्य बच्चे इस बीमारी के चपेट में हैं, जिनका इलाज चल रहा है.

उन्नाव में डिप्थीरिया से तीन बच्चों की मौत.
उन्नाव में डिप्थीरिया से तीन बच्चों की मौत. (Photo Credit; ETV Bharat)

उन्नावः जिले के कई गांवों डिप्थीरिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. सबसे ज्यादा डिप्थीरिया से जुड़े मामले नवाबगंज, हसनगंज और असोहा ब्लॉक के गांवों में हैं. अब तक सात गांवो में डिप्थीरिया के मामले सामने आ चुके हैं. जिसकी चपेट में आने से तीन बच्चों की मौत भी हो चुकी है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग अब जागा है और गांवों में टीम भेजनी शुरू की है.

उन्नाव में डिप्थीरिया का कहर. (Video Credit; ETV Bharat)



नवाबगंज ब्लॉक में 2 बच्चों की मौतः नवाबगंज और असोहा ब्लॉक के तीन गांवों में डिप्थीरिया (गला घोटूं) बीमारी से तीन बच्चों की मौत हो गई. सतगुरखेड़ा गांव निवासी गोविंद की बेटी शिवन्या (6) के गले में खरास के साथ बुखार व खांसी आने से परिजन निजी अस्पताल में इलाज करा रहे थे. सुधार न होने पर 12 अगस्त को लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल लेकर गए थे. जहां डॉक्टर ने गला घोंटू बीमारी की आशंका जताते हुए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था. 15 अगस्त की दोपहर इलाज के दौरान शिवन्या की मौत हो गई. वहीं, शिवन्या की बड़ी बहन सेजल (9) के भी गले में लक्षण दिखने पर इलाज कराया जा रहा है. इसी तरह नवाबगंज ब्लॉक के गांव बजेहरा निवासी सुनील कुमार की बेटी शगुन (12) को 7 अगस्त को बुखार व गले में दर्द होने पर परिजन सीएचसी लेकर गए थे. यहां से डॉक्टर ने जिला अस्पताल रेफर किया था. जांच में डिप्थीरिया की पुष्टि होने पर कानपुर हैलट भेजा गया. आठ अगस्त को इलाज के दौरान शगुन की भी मौत हो गई.

दरियारखेड़ा गांव के 3 बच्चे चपेट में आएः वहीं, असोहा ब्लॉक के दरियारखेड़ा गांव निवासी रामेश्वर की बेटी आरती (7) को चार अगस्त को बुखार आने के साथ गले में दर्द के साथ सूजन आई. परिजन निजी अस्पताल लेकर गए. यहां सुधार न देख सरस्वती मेडिकल कॉलेज लाए थे. यहां जांच में डिप्थीरिया की पुष्टि होने पर लखनऊ किंगजॉर्ज मेडिकल कॉलेज भेजा था. 7 अगस्त को इलाज के दौरान आरती की भी मौत हो गई थी. वहीं, रामेश्वर का बड़ा बेटा मोहित (12), पड़ोसी राजोले के दो बेटे शुभ (7) व राजन (4) में डिप्थीरिया के चपेट में आ गए हैं. सहरावां गांव निवासी शिवा (6) पुत्र लक्ष्मण को यही दिक्कत होने पर जिला अस्पताल भेजा गया है. जहां से इलाज में सुधार में होने पर परिजन वापस घर ले आए. वहीं, उमर्रा गांव निवासी अंकित(4) पुत्र संदीप का इसी बीमारी के चलते किंगजॉर्ज मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. जिसकी हालत में सुधार है. ग्रामीणों का कहना है कि डिप्थीरिया के मामले बढ़ने के बावजूद अफसर और जनप्रतिनिधि सुध लेने नहीं पहुंचे हैं.


15 केस अब तक सामने आएः सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि मामला जानकारी में आया है. स्वास्थ्य विभाग की टीम को गांव भेजा गया है, ताकि बच्चों की जांच कराने के साथ उन्हें दवा दी जा सके. अब तक 15 मामले अ चुके हैं. असोहा, हसनगंज और नवाबगंज ब्लॉक में अधिकतर पीड़ित मिले हैं. टीम लगा कर जल्द से जल्द लोगों का वैक्सीनेशन करवाया जा रहा है.

संकेत और लक्षणः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डिप्थीरिया के लक्षण आमतौर पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 2-5 दिन बाद शुरू होते हैं. संक्रमण के विशिष्ट लक्षणों में गले में खराश, बुखार, गर्दन की ग्रंथियों में सूजन और कमज़ोरी शामिल हैं. संक्रमण के 2-3 दिनों के भीतर, श्वसन पथ में मृत ऊतक एक मोटी, ग्रे कोटिंग बनाता है जो नाक, टॉन्सिल और गले में ऊतकों को ढक सकता है, जिससे सांस लेना और निगलना मुश्किल हो जाता है. डिप्थीरिया से होने वाली अधिकांश गंभीर बीमारियां और मौतें डिप्थीरिया विष और उसके प्रभावों के कारण होती हैं. पर्याप्त उपचार के बिना टीकाकरण न कराए गए व्यक्तियों के लिए डिप्थीरिया लगभग 30% मामलों में घातक हो सकता है. 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का जोखिम अधिक होता है.

जोखिम में कौन है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोई भी गैर-प्रतिरक्षा व्यक्ति (जिसे टीका नहीं लगाया गया है या कम टीका लगाया गया है) संक्रमित हो सकता है. जब भी टीकाकरण कवरेज कम होता है, डिप्थीरिया फिर से उभर आता है. इस बीमारी के दौरान उचित उपचार प्रदान किया जाता है, तो जटिलताओं या मृत्यु का जोखिम काफी कम हो जाता है. यदि डिप्थीरिया का संदेह है तो तुरंत परीक्षण किया जाना चाहिए और जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाना चाहिए.

इसे भी पढ़ें-KGMU में MBBS छात्रों का शोध सफल, बच्चों में पहले से ही मालूम पड़ जाएंगे सेरेब्रल पाॅल्सी बीमारी के लक्षण

उन्नावः जिले के कई गांवों डिप्थीरिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. सबसे ज्यादा डिप्थीरिया से जुड़े मामले नवाबगंज, हसनगंज और असोहा ब्लॉक के गांवों में हैं. अब तक सात गांवो में डिप्थीरिया के मामले सामने आ चुके हैं. जिसकी चपेट में आने से तीन बच्चों की मौत भी हो चुकी है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग अब जागा है और गांवों में टीम भेजनी शुरू की है.

उन्नाव में डिप्थीरिया का कहर. (Video Credit; ETV Bharat)



नवाबगंज ब्लॉक में 2 बच्चों की मौतः नवाबगंज और असोहा ब्लॉक के तीन गांवों में डिप्थीरिया (गला घोटूं) बीमारी से तीन बच्चों की मौत हो गई. सतगुरखेड़ा गांव निवासी गोविंद की बेटी शिवन्या (6) के गले में खरास के साथ बुखार व खांसी आने से परिजन निजी अस्पताल में इलाज करा रहे थे. सुधार न होने पर 12 अगस्त को लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल लेकर गए थे. जहां डॉक्टर ने गला घोंटू बीमारी की आशंका जताते हुए मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था. 15 अगस्त की दोपहर इलाज के दौरान शिवन्या की मौत हो गई. वहीं, शिवन्या की बड़ी बहन सेजल (9) के भी गले में लक्षण दिखने पर इलाज कराया जा रहा है. इसी तरह नवाबगंज ब्लॉक के गांव बजेहरा निवासी सुनील कुमार की बेटी शगुन (12) को 7 अगस्त को बुखार व गले में दर्द होने पर परिजन सीएचसी लेकर गए थे. यहां से डॉक्टर ने जिला अस्पताल रेफर किया था. जांच में डिप्थीरिया की पुष्टि होने पर कानपुर हैलट भेजा गया. आठ अगस्त को इलाज के दौरान शगुन की भी मौत हो गई.

दरियारखेड़ा गांव के 3 बच्चे चपेट में आएः वहीं, असोहा ब्लॉक के दरियारखेड़ा गांव निवासी रामेश्वर की बेटी आरती (7) को चार अगस्त को बुखार आने के साथ गले में दर्द के साथ सूजन आई. परिजन निजी अस्पताल लेकर गए. यहां सुधार न देख सरस्वती मेडिकल कॉलेज लाए थे. यहां जांच में डिप्थीरिया की पुष्टि होने पर लखनऊ किंगजॉर्ज मेडिकल कॉलेज भेजा था. 7 अगस्त को इलाज के दौरान आरती की भी मौत हो गई थी. वहीं, रामेश्वर का बड़ा बेटा मोहित (12), पड़ोसी राजोले के दो बेटे शुभ (7) व राजन (4) में डिप्थीरिया के चपेट में आ गए हैं. सहरावां गांव निवासी शिवा (6) पुत्र लक्ष्मण को यही दिक्कत होने पर जिला अस्पताल भेजा गया है. जहां से इलाज में सुधार में होने पर परिजन वापस घर ले आए. वहीं, उमर्रा गांव निवासी अंकित(4) पुत्र संदीप का इसी बीमारी के चलते किंगजॉर्ज मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. जिसकी हालत में सुधार है. ग्रामीणों का कहना है कि डिप्थीरिया के मामले बढ़ने के बावजूद अफसर और जनप्रतिनिधि सुध लेने नहीं पहुंचे हैं.


15 केस अब तक सामने आएः सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि मामला जानकारी में आया है. स्वास्थ्य विभाग की टीम को गांव भेजा गया है, ताकि बच्चों की जांच कराने के साथ उन्हें दवा दी जा सके. अब तक 15 मामले अ चुके हैं. असोहा, हसनगंज और नवाबगंज ब्लॉक में अधिकतर पीड़ित मिले हैं. टीम लगा कर जल्द से जल्द लोगों का वैक्सीनेशन करवाया जा रहा है.

संकेत और लक्षणः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डिप्थीरिया के लक्षण आमतौर पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 2-5 दिन बाद शुरू होते हैं. संक्रमण के विशिष्ट लक्षणों में गले में खराश, बुखार, गर्दन की ग्रंथियों में सूजन और कमज़ोरी शामिल हैं. संक्रमण के 2-3 दिनों के भीतर, श्वसन पथ में मृत ऊतक एक मोटी, ग्रे कोटिंग बनाता है जो नाक, टॉन्सिल और गले में ऊतकों को ढक सकता है, जिससे सांस लेना और निगलना मुश्किल हो जाता है. डिप्थीरिया से होने वाली अधिकांश गंभीर बीमारियां और मौतें डिप्थीरिया विष और उसके प्रभावों के कारण होती हैं. पर्याप्त उपचार के बिना टीकाकरण न कराए गए व्यक्तियों के लिए डिप्थीरिया लगभग 30% मामलों में घातक हो सकता है. 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का जोखिम अधिक होता है.

जोखिम में कौन है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोई भी गैर-प्रतिरक्षा व्यक्ति (जिसे टीका नहीं लगाया गया है या कम टीका लगाया गया है) संक्रमित हो सकता है. जब भी टीकाकरण कवरेज कम होता है, डिप्थीरिया फिर से उभर आता है. इस बीमारी के दौरान उचित उपचार प्रदान किया जाता है, तो जटिलताओं या मृत्यु का जोखिम काफी कम हो जाता है. यदि डिप्थीरिया का संदेह है तो तुरंत परीक्षण किया जाना चाहिए और जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाना चाहिए.

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