ETV Bharat / state

एकीकृत बिहार के सबसे बड़े नरसंहार की आज है 26वीं बरसी, घटना को याद कर कांप जाती है रूह - Atka massacre - ATKA MASSACRE

Atka massacre Giridih. एकीकृत बिहार के सबसे बड़े नरसंहार की आज 26वीं बरसी है. बगोदार के अटका में नक्सलियों ने 10 लोगों को मार डाला था. 26 साल बाद भी घटना के आश्रितों को नौकरी नहीं मिली है.

Atka massacre Giridih
नरसंहार में मारे गए लोग के स्मारक (ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 7, 2024, 9:46 AM IST

Updated : Jul 7, 2024, 9:59 AM IST

गिरिडीह: एकीकृत बिहार के सबसे बड़े नरसंहार की घटना की आज 26वीं बरसी है. 7 जुलाई 1998 को गिरिडीह जिले के बगोदर अंतर्गत अटका में नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया था. जिसमें तत्कालीन मुखिया समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी. बरसी के मौके पर आज इस घटना में मारे गए लोगों को याद किया जाएगा और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी. लेकिन इसमें सबसे दुखद बात यह है कि तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी की घोषणा के बावजूद आश्रितों को अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है.

जानकारी देते संवाददाता धर्मेंद्र पाठक (ईटीवी भारत)

7 जुलाई 1998 को यहां नक्सलियों ने खून की होली खेली थी, जिसमें तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी. एकीकृत बिहार के बगोदर के अटका में हुई नरसंहार की घटना उस समय की सबसे बड़ी नक्सली घटना थी. घटना के बाद तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी मौके पर पहुंची थीं और उन्होंने नरसंहार में मारे गए लोगों के आश्रित परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी और अन्य लाभ देने की घोषणा की थी.

विधानसभा में भी उठा नौकरी का मुद्दा

घटना के डेढ़ साल बाद झारखंड अलग राज्य बन गया और नौकरी देने का मामला फाइलों में ही गुम हो गया, जिसके कारण आश्रित परिवार के सदस्यों को अब तक नौकरी नहीं मिल सकी है, हालांकि वे आज भी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं और नौकरी की मांग कर रहे हैं. नौकरी का मुद्दा स्थानीय विधायकों ने झारखंड विधानसभा में भी उठाया है. स्थानीय लोग बताते हैं कि जमीन विवाद को सुलझाने के लिए तत्कालीन मुखिया के नेतृत्व में पंचायत हो रही थी. तभी नक्सलियों ने पंचायत में बैठे लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. जिसमें दस लोगों की मौत हो गयी थी.

आश्रितों की स्थिति खराब

इस घटना में मारे गए तत्कालीन मुखिया स्वर्गीय मथुरा प्रसाद मंडल के पुत्र दीपू मंडल का कहना है कि सरकारी नौकरी नहीं मिलने का उन्हें आज भी अफसोस है. नौकरी नहीं मिलने के कारण कई आश्रितों की आर्थिक स्थिति आज भी ठीक नहीं है. इधर, इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गयी थी. मृतकों में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, रूपाली महतो, बिहारी महतो, सीताराम महतो, रघुनाथ प्रसाद, मीरान प्रसाद, तुलसी महतो, दशरथ मंडल, जगन्नाथ महतो और सरजू महतो शामिल थे. अटका नरसंहार की 26वीं बरसी पर आज मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है.

यह भी पढ़ें:

अटका नरसंहार के 23 साल, 10 लोगों की हुई थी मौत, मृतकों के आश्रितों को अब तक सरकारी घोषणा पूरे होने की उम्मीद

गिरिडीह: अटका नरसंहार में मारे गए लोगों को दी गई श्रद्धांजलि, 22 वर्ष पूर्व नक्सलियों ने दिया था अंजाम

गिरिडीह: अटका नरसंहार पीड़ितों को आज भी है नौकरी का इंतजार, 22 वर्ष पूर्व मुखिया सहित 10 की हुई थी हत्या

गिरिडीह: एकीकृत बिहार के सबसे बड़े नरसंहार की घटना की आज 26वीं बरसी है. 7 जुलाई 1998 को गिरिडीह जिले के बगोदर अंतर्गत अटका में नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया था. जिसमें तत्कालीन मुखिया समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी. बरसी के मौके पर आज इस घटना में मारे गए लोगों को याद किया जाएगा और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी. लेकिन इसमें सबसे दुखद बात यह है कि तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी की घोषणा के बावजूद आश्रितों को अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है.

जानकारी देते संवाददाता धर्मेंद्र पाठक (ईटीवी भारत)

7 जुलाई 1998 को यहां नक्सलियों ने खून की होली खेली थी, जिसमें तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी. एकीकृत बिहार के बगोदर के अटका में हुई नरसंहार की घटना उस समय की सबसे बड़ी नक्सली घटना थी. घटना के बाद तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी मौके पर पहुंची थीं और उन्होंने नरसंहार में मारे गए लोगों के आश्रित परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी और अन्य लाभ देने की घोषणा की थी.

विधानसभा में भी उठा नौकरी का मुद्दा

घटना के डेढ़ साल बाद झारखंड अलग राज्य बन गया और नौकरी देने का मामला फाइलों में ही गुम हो गया, जिसके कारण आश्रित परिवार के सदस्यों को अब तक नौकरी नहीं मिल सकी है, हालांकि वे आज भी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं और नौकरी की मांग कर रहे हैं. नौकरी का मुद्दा स्थानीय विधायकों ने झारखंड विधानसभा में भी उठाया है. स्थानीय लोग बताते हैं कि जमीन विवाद को सुलझाने के लिए तत्कालीन मुखिया के नेतृत्व में पंचायत हो रही थी. तभी नक्सलियों ने पंचायत में बैठे लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. जिसमें दस लोगों की मौत हो गयी थी.

आश्रितों की स्थिति खराब

इस घटना में मारे गए तत्कालीन मुखिया स्वर्गीय मथुरा प्रसाद मंडल के पुत्र दीपू मंडल का कहना है कि सरकारी नौकरी नहीं मिलने का उन्हें आज भी अफसोस है. नौकरी नहीं मिलने के कारण कई आश्रितों की आर्थिक स्थिति आज भी ठीक नहीं है. इधर, इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गयी थी. मृतकों में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, रूपाली महतो, बिहारी महतो, सीताराम महतो, रघुनाथ प्रसाद, मीरान प्रसाद, तुलसी महतो, दशरथ मंडल, जगन्नाथ महतो और सरजू महतो शामिल थे. अटका नरसंहार की 26वीं बरसी पर आज मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है.

यह भी पढ़ें:

अटका नरसंहार के 23 साल, 10 लोगों की हुई थी मौत, मृतकों के आश्रितों को अब तक सरकारी घोषणा पूरे होने की उम्मीद

गिरिडीह: अटका नरसंहार में मारे गए लोगों को दी गई श्रद्धांजलि, 22 वर्ष पूर्व नक्सलियों ने दिया था अंजाम

गिरिडीह: अटका नरसंहार पीड़ितों को आज भी है नौकरी का इंतजार, 22 वर्ष पूर्व मुखिया सहित 10 की हुई थी हत्या

Last Updated : Jul 7, 2024, 9:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.