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राजस्थान में तीन साल में अपहरण के 25 हजार से अधिक मामले दर्ज, 64 फीसदी में लग गई एफआर - Kidnaping cases in Rajasthan - KIDNAPING CASES IN RAJASTHAN

प्रदेश में पिछले 3 साल में अपहरण के 25,842 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से 18,693 मामले बच्चियों के अपहरण के हैं. सर्वाधिक मामले राजधानी के बाद उदयपुर और भरतपुर में दर्ज हुए हैं.

राजस्थान में अपहरण के मामले
राजस्थान में अपहरण के मामले (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 25, 2024, 6:31 AM IST

भरतपुर : प्रदेश में महिला, बच्चियों व बच्चों के अपहरण के मामले चौंकाने वाले हैं. प्रदेश में हर दिन औसतन 23 महिला व बच्चों का अपहरण हो रहा है. तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो अपहरण के 25,842 मामले दर्ज हुए हैं. ताज्जुब की बात यह है कि प्रदेश में अपहरण के सर्वाधिक मामले राजधानी के बाद उदयपुर और भरतपुर में दर्ज हुए हैं. हालांकि, तीन साल में दर्ज हुए अपहरण के मामलों में से 64 फीसदी मामलों में एफआर लगी है. भरतपुर के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि आपसी मामूली विवाद में विरोधी पर दबाव बनाने के लिए अपहरण की गंभीर धाराओं में कई झूठे मामले दर्ज हो रहे हैं.

राजस्थान में अपहरण के मामले (ETV Bharat bharatpur)

सर्वाधिक अपहरण बच्चियों के : विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2021 से 31 मई 2024 तक प्रदेश में महिला, बच्ची और बच्चों के कुल 25,842 मामले दर्ज हुए. इनमें सर्वाधिक अपहरण के मामले बच्चियों के 18,693 दर्ज हुए, जो कि कुल मामलों का सर्वाधिक 72.33% है, जबकि महिला अपहरण के 4588 मामले और बालकों के अपहरण के 3405 मामले दर्ज हुए.

इसे भी पढ़ें- प्रॉपर्टी विवाद के चलते बुजुर्ग बहनों का दिनदहाड़े अपहरण, पकड़े जाने के डर से दोनों को रास्ते में उतारा, एक आरोपी गिरफ्तार - Sisters Kidnapped in Ajmer

64 फीसदी मामलों में एफआर : तीन साल में दर्ज हुए कुल मामलों में से 64.28% मामलों में एफआर लगी, जिनकी संख्या 16,612 है. मतलब ये मामले झूठे पाए गए. इस संबंध में भरतपुर पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा का कहना है कि कई बार आपसी मामूली विवादों के चलते विरोधी पर दबाव बनाने के लिए अपहरण जैसी गंभीर धाराओं में झूठे मामले दर्ज करा दिए जाते हैं, जबकि हकीकत में अपहरण के असल मामले बहुत कम होते हैं. जब इन मामलों की जांच की जाती है तो ये झूठे पाए जाते हैं. भरतपुर और डीग में तीन साल में अपहरण के कुल 1052 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 695 यानी करीब 66 फीसदी मामले झूठे पाए गए.

अपहरण के आंकड़े
अपहरण के आंकड़े (ETV Bharat GFX)

1781 मामले अभी भी पेंडिंग : प्रदेश में तीन साल के दौरान दर्ज हुए अपहरण के कुल मामलों में से 1781 मामलों की जांच अभी पेंडिंग है, जिनमें से भरतपुर के 122 मामलों की जांच होना बाकी है. सीनियर पुलिस अधिकारी इन मामलों की जांच कर रहे हैं.

भरतपुर : प्रदेश में महिला, बच्चियों व बच्चों के अपहरण के मामले चौंकाने वाले हैं. प्रदेश में हर दिन औसतन 23 महिला व बच्चों का अपहरण हो रहा है. तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो अपहरण के 25,842 मामले दर्ज हुए हैं. ताज्जुब की बात यह है कि प्रदेश में अपहरण के सर्वाधिक मामले राजधानी के बाद उदयपुर और भरतपुर में दर्ज हुए हैं. हालांकि, तीन साल में दर्ज हुए अपहरण के मामलों में से 64 फीसदी मामलों में एफआर लगी है. भरतपुर के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि आपसी मामूली विवाद में विरोधी पर दबाव बनाने के लिए अपहरण की गंभीर धाराओं में कई झूठे मामले दर्ज हो रहे हैं.

राजस्थान में अपहरण के मामले (ETV Bharat bharatpur)

सर्वाधिक अपहरण बच्चियों के : विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2021 से 31 मई 2024 तक प्रदेश में महिला, बच्ची और बच्चों के कुल 25,842 मामले दर्ज हुए. इनमें सर्वाधिक अपहरण के मामले बच्चियों के 18,693 दर्ज हुए, जो कि कुल मामलों का सर्वाधिक 72.33% है, जबकि महिला अपहरण के 4588 मामले और बालकों के अपहरण के 3405 मामले दर्ज हुए.

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64 फीसदी मामलों में एफआर : तीन साल में दर्ज हुए कुल मामलों में से 64.28% मामलों में एफआर लगी, जिनकी संख्या 16,612 है. मतलब ये मामले झूठे पाए गए. इस संबंध में भरतपुर पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा का कहना है कि कई बार आपसी मामूली विवादों के चलते विरोधी पर दबाव बनाने के लिए अपहरण जैसी गंभीर धाराओं में झूठे मामले दर्ज करा दिए जाते हैं, जबकि हकीकत में अपहरण के असल मामले बहुत कम होते हैं. जब इन मामलों की जांच की जाती है तो ये झूठे पाए जाते हैं. भरतपुर और डीग में तीन साल में अपहरण के कुल 1052 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 695 यानी करीब 66 फीसदी मामले झूठे पाए गए.

अपहरण के आंकड़े
अपहरण के आंकड़े (ETV Bharat GFX)

1781 मामले अभी भी पेंडिंग : प्रदेश में तीन साल के दौरान दर्ज हुए अपहरण के कुल मामलों में से 1781 मामलों की जांच अभी पेंडिंग है, जिनमें से भरतपुर के 122 मामलों की जांच होना बाकी है. सीनियर पुलिस अधिकारी इन मामलों की जांच कर रहे हैं.

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