बांसवाड़ा. 5 करोड़ 23 लाख 88 हजार 511 रुपए के स्टांप गबन के दो आरोपियों को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही उनके कब्जे से 228600 रुपए भी बरामद किए गए हैं. इस संबंध में एसपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले का खुलासा किया है.
गौरतलब है कि 2 दिन पहले इस मामले में कोषाधिकारी ने एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें दो आरोपियों पर इस गबन के आरोप थे. बांसवाड़ा एसपी हर्षवर्धन अग्रवाला ने बताया कि कोष कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी नारायण लाल पुत्र हीरा जी यादव और स्टांप वेंडर आशीष जैन पुत्र पहुपाल जैन को गिरफ्तार कर लिया गया है.
पढ़ें: बांसवाड़ा के 'तेलगी', करोड़ों का स्टांप गबन, अधिकारी सस्पेंड, 4 हिरासत में - STAMP SCAN In BANSWARA
इसके साथ ही एक अन्य आरोपी भारत पुत्र देवीलाल को डिटेन कर रखा हुआ है. संभव है इस मामले में तीसरे आरोपी की भी जल्द गिरफ्तारी होगी. एसपी ने बताया कि वेंडर के पास से नोटरी टिकट, रेवेन्यू टिकट, नॉन ज्यूडिशियल स्टांप, कॉपिंग टिकट और कोर्ट फीस टिकट भी बरामद किए गए हैं जो ट्रेजेडी ऑफिस से चुराई गए थे. इसके साथी आरोपी के पास से 484 स्टांप कागज भी बरामद किए गए हैं. आरोपी स्टांप वेंडर, कलर प्रिंटर के जरिए नॉन ज्यूडिशियल स्टांप टिकट भी फर्जी तैयार करता था. आरोपी के घर से करीब 500 नॉन ज्यूडिशियल स्टांप जब्त किए गए हैं. इसके साथ ही नोट गिनने की मशीन और स्टांप पर लगाई जाने वाली सरकारी मोहरें भी बरामद की गई हैं.
पढ़ें: छबड़ा नगर पालिका में हुए 43 लाख के गबन केस में 2 आरोपी गिरफ्तार
वर्ष 2016 से चल रहा था गोरखधंधा: पुलिस जांच में पता चला है कि स्टांप वेंडर आशीष जैन और कोष कार्यालय के तत्कालीन प्रभारी नारायण लाल यादव के बीच 2016 से यह गोरखधंधा चल रहा था. वर्ष 2016 में पहली बार 100000 रुपए के स्टांप बिना चालान जमा किए हुए ही नारायण लाल ने आशीष को दे दिए थे. इसके बाद एक बार यह धंधा शुरू हुआ, तो फिर बंद नहीं हुआ. कोविड के दौर में यह धंधा दोनों ने चरम पर पहुंचा दिया था. साथ में पता चला कि स्ट्रांग रूम खोलकर स्टांप निकालकर आशीष जैन को दे देता और कहता कि रुपए बेचकर जमा कर देता. कई बार आशीष कमीशन के रूप में पैसे दे देता था, तो कई बार नहीं देता था. एक बार दलदल में फंसे उसके बाद दोनों कभी निकल ही नहीं पाए.
पढ़ें: 26 लाख से ज्यादा के गबन के मामले में स्कूल का कनिष्ठ सहायक निलंबित, थाने में मामला दर्ज
स्टांप बेचकर चालान जमा किया: पुलिस जांच में यह भी पता चला कि कई बार ऐसा भी हुआ, जब लाखों के स्टांप ट्रेजरी से निकाल लिए गए. इसके बाद स्टांप वेंडर आशीष जैन ने इनको बेच दिया. जो रुपए आए उनमें से कुछ का चालान जमा कर ट्रेजरी ऑफिस में जमा करा दिया. ऐसा दोनों ने कई बार किया है. जबकि ट्रेजरी के नियम अनुसार हमेशा स्टांप का पैसा चालान के जरिए एडवांस में जमा होता है.
धाराएं जोड़ी, और किसी का हाथ नहीं: एसपी अग्रवाला ने बताया कि पूरे मामले में केवल 2 लोगों का हाथ था. यादव स्टांप चुराता था और जैन को दे देता था. कई बार जैन का नौकर भरत ट्रेजरी जाता और स्टांप लेकर आता था. इसलिए उसको भी आरोपी बनाया गया है. उसे जल्द गिरफ्तार किया जाएगा. इसके साथ ही एसपी ने बताया कि पूरे मामले में अन्य किसी भी वेंडर या कर्मचारी का नाम नहीं आया है. इसलिए अब इस पूरे मामले की जांच इन तीनों लोगों पर ही टिकी है. नकली टिकट मिलने कारण इसमें धाराएं भी अलग से जोड़ी गई हैं.