नई दिल्ली: भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारा खान पान और लाइफ स्टाइल हमारी हेल्थ पर बुरा असर डाल रहा है. कम नहीं, फास्ट फूड, अधिक मसाले वाला भोजन और कम होती शारीरिक गतिविधियां कारण हैं लीवर की बीमारियों का. धीरे-धीरे ये बीमारियां हमारे लीवर को कमजोर बना रही है. इसलिए बहुत जरूरी हो गया है लिवर की केयर करना. 19 अप्रैल को हर साल विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है इस दिन को मनाने का उद्देश्य बढ़ती लिवर संबंधी बीमारियों को कम करना और लोगों को इसके प्रति जागरुक करना.
विश्व में हर साल लिवर रोगियों की संख्या बढ़ रही है. लोगों को लिवर रोगों से बचाव और इसके उपचार के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है. सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी एवं पैनिक्रियाटिको बिलियरी साइंसेज के निदेशक प्रोफेसर अनिल अरोड़ा ने बताया कि लिवर मनुष्य के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. ये शरीर का सबसे बड़ा और भारी अंग होता है. जिसका वजन 1200 से 1800 ग्राम होता है. यह पेट के ऊपर के हिस्से में दाहिनी ओर होता है.
24 घंटे वर्क मोड में रहता है आपका लिवर
शरीर से संबंधित सारी मैटाबोलिक एक्टिविटी लिवर ही संपन्न करता है. हम जो भी खाते हैं वह बड़ी आंत के माध्यम से सीधा लिवर में पहुंचता है. अगर कोई आठ घंटे तक खाना नहीं खाता है तो उसके शरीर में शुगर की मात्रा कम न हो इसका इंतजाम भी लिवर ही करता है. मस्तिष्क को हर मिनट शुगर की जरूरत होती है. इसलिए लिवर आप सो रहे हो या जाग रहे हो 24 घंटे आपकी सेवा में लगा रहता है. लिवर शरीर में फैट, वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेड की मात्रा को इस तरह व्यवस्थित रखता है कि आपके शरीर में न इनकी बहुतायत हो और न कमी रहे. इसलिए लिवर का पूरा ख्याल रखना चाहिए.
लिवर पर फैट जमना है खतरनाक
डा. अरोड़ा के मुताबिक लिवर से संबंधित अधिकतर समस्याएं अनियमित जीवन शैली के कारण होती हैं. भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने शरीर पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं. खानपान के अलावा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम और परिश्रम की भी जरूरत होती है. लेकिन, बहुत कम लोग ही यह कर पाते हैं. जो लोग नहीं कर पाते हैं उनके शरीर के अलग-अलग अंगों पर फैट (चर्बी) जमने लगती है. फिर यह चर्बी लिवर पर भी आकर जम जाती है. डा. अनिल अरोड़ा ने बताया कि लिवर मरीजों की मदद के लिए कई संस्थाएं काम करती हैं उनमें दिल्ली लिवर फाउंडेशन, लिवर केयर फाउंडेशन, अमेरिकन लिवर फाउंडेशन नाम की संस्थाएं भी प्रमुख रूप से सक्रिय हैं.
दुनिया में हर साल 20 लाख लोग गंवा रहे जान
डा. अनिल अरोड़ा ने बताया कि सर गंगाराम अस्पताल में हर साल गंभीर लिवर की समस्या वाले पांच हजार से ज्यादा मरीज भर्ती होते हैं. इनमें सिरोसिस, एक्यूट पेनक्रियाटिटिस, क्रोनिक पेनक्रियाटिटिस, लिवर एब्सेस, ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मरीज शामिल होते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में अलग-अलग तरह की लिवर की समस्याओं के मरीजों को भी भर्ती करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि भर्ती करने से 10 गुना ज्यादा मरीजों को हर साल ओपीडी में देखा जाता है. लिवर संबंधी समस्या के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि एक स्टडी के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल 20 लाख से अधिक लोग लिवर की बीमारियों के कारण जान गंवा देते हैं.
पिछले तील साल में सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती हुए लिवर के मरीज
साल मरीजों की संख्या
2021 3963
2022 5149
2023 5679
इस तरह से होता है लिवर को नुकसान
- अल्कोहॉल का सेवन करने से
- ज्यादा तली हुई चीजें खाने से
- ज्यादा मीठा खाने से
- फास्ट फूड का अधिक सेवन करने से
- अत्यधिक दवाओं के सेवन से
- बहुत ज्यादा वेट बढ़ने से
डा. अरोड़ा ने बताया कि जब लिवर पर फैट जमने लगता है तब लिवर को अपना काम करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इससे पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाती है और न ही लिवर इंसुलिन को आगे आपूर्ति कर पाता है. इससे शुगर की बीमारी हो जाती है. फिर हार्ट पर भी इसका असर होने लगता है. जिससे हार्ट संबंधी बीमारी भी बढ़ने लगती है. ब्लड प्रेशर भी बढ़ने लगता है, जो धीरे-धीरे कई परेशानियों का कारण बनता है.
लिवर पर फैट जमने से होती हैं ये बीमारियां
- डायबिटीज
- मोटापा
- आर्टरी ब्लॉकेज
- हार्ट अटैक का खतरा
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
- ब्लड शुगर बढ़ना
- शरीर के अलग-अलग हिस्सों में मोटापा बढ़ना
लिवर खराब होने की शुरूआत फैटी लिवर
लिवर खराब होने की शुरूआत फैटी लिवर के चरण से होती है. विशेषज्ञों के अनुसार जब शरीर में बनने वाले ग्लूकोज को लिवर अब्जॉर्ब नहीं कर पाता है तो फैटी लिवर की समस्या शुरू होती है. यह भी फैट जमने के कारण ही होती है. फैटी लिवर की स्थिति में लिवर का वजन अपने कुल वजन का पांच से 10 प्रतिशत अधिक हो जाता है. लिवर सिरोसिसजब लिवर पर फैट एक सीमा से अधिक हो जाता है और लिवर 30 से 40 प्रतिशत ही काम करना शुरू कर देता है तो इस स्थिति को लिवर सिरोसिस की शुरूआत माना जाता है. लिवर सिरोसिस होने पर मरीज का लंबा इलाज चलता है. अगर सिरोसिस के स्तर पर भी लिवर रोग की पहचान न हो पाए तो यह कैंसर के रूप में परिवर्तित हो जाता है.
लिवर को फिट रखने के लिए क्या करें
- अपने खान-पान पर अधिक ध्यान दें
- खाने में हरी-सब्जियां, फल, अदरक, लहसुन शामिल करें
- दालें, चना, अखरोट, मखाने, दही, दूध डाइट में शामिल करें.
- जॉगिंग, रस्सी कूदना, दौड़ लगाना, योगासन रोजाना करें
- प्रोटीन और फाइबर रिच डाइट लें.
मानक के अनुसार कितना होना चाहिए लिवर पर फैट
डा. अनिल अरोड़ा ने बताया कि मानक के अनुसार लिवर पर फैट की मात्रा 240 कैप होनी चाहिए. अगर इससे अधिक स्कोर होता है तो समझिए कि जितना ज्यादा स्कोर है लिवर पर उतना ही अधिक फैट जमा है. इसलिए इसको कंट्रोल में रखना चाहिए और समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए.
दिल्ली में हर दूसरे व्यक्ति को फैटी लिवर की समस्या
वसंत विहार स्थित यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के निदेशक डॉ एसके सरीन के अनुसार, दिल्ली में हर दूसरे व्यक्ति में नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की शिकायतें मिल रही हैं. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है. आईएलबीएस द्वारा दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिकों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों पर कुछ समय पहले एक अध्ययन किया गया था. इस अध्ययन में 50% मरीज नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या से ग्रसित पाए गए थे. आज विश्व फैटी लिवर दिवस के अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. सरीन इस रिपोर्ट को जारी करेंगे, जिसमें दिल्ली में फैटी लिवर के मरीजों को लेकर के स्थिति साफ होगी. डॉक्टर सरीन ने बताया कि देशभर में करीब 30% लोगों को नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या है. पहले शराब पीने वाले लोगों में लिवर की समस्या सबसे अधिक दिखती थी, लेकिन अब डायबिटीज, मोटापा, ब्लड प्रेशर अनिमित जीवन शैली के कारण अन्य लोगों में भी लिवर की समस्या तेजी से बढ़ रही है.
फैटी लिवर का कैसे पता लगाएं
फैटी लिवर का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए. इसके अलावा लिवर पर फैट कितना है उसकी मात्रा पता कराने के लिए एक फाइब्रोस्कैन का टेस्ट होता है. यह टेस्ट मशीन द्वारा लिवर के ऊपर से ही टच करके ही फैट की मात्रा की जानकारी दे देता है. इसके बाद डॉक्टर फैट की मात्रा को देखते हुए दवाई, डाइट और योगा करने के लिए एक चार्ट बनाकर दे देते हैं. जिसको फॉलो करने से फैटी लिवर की समस्या ठीक हो जाती है.
लिवर खराब होने के लक्षण
- पीली आंखें और पीलिया होना
- गहरे रंग का मूत्र
- पैरों और पेट पर सूजन आना
- खून की उल्टी होना
- काली पॉटी होना
- त्वचा में खुजली
क्यों और कब से मनाया जाता है विश्व लिवर डे
विश्व लिवर डे 19 अप्रैल 1966 यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ द लिवर की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इसकी शुरूआत वर्ष 2010 में हुई. इस साल की लिवर डे की थीम अपने लिवर को स्वस्थ रखें और समय-समय पर जांच कराते रहें. रखी गई है.