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162 साल पुरानी बर्ड घाट रामलीला कमेटी पर भ्रष्टाचार का आरोप, मामले की जांच शुरू की

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 24, 2024, 5:01 PM IST

पूर्वांचल की सबसे पुरानी और 162 वर्ष पुरानी बर्ड घाट रामलीला कमेटी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. शासन ने कमिश्नर को जांच का आदेश दिया है.

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रामलीला कमेटी पर नियमों के विपरीत गतिविधियों का आरोप

गोरखपुर: पूर्वांचल की सबसे पुरानी और 162 वर्ष से संचालित होने वाली बर्ड घाट रामलीला कमेटी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. कमेटी के अधीन जिस रामलीला मैदान पर हर वर्ष रामलीला का भव्य आयोजन होता है, उसका जीर्णोद्धार और नव निर्माण प्रदेश की योगी सरकार ने 5 करोड़ रुपये देकर कराया है. इसका शिलान्यास खुद मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से हुआ था. लेकिन मौजूदा समय में कमेटी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. इसकी जांच मुख्यमंत्री के निर्देश पर, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने जिला प्रशासन से करके रिपोर्ट भेजने को कहा है.

इसके बाद बरसों पुरानी इस रामलीला कमेटी और मैदान को लेकर सवाल खड़ा होने लगा है. शासन में इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से मिलकर हांसूपुर वार्ड की पार्षद लाली गुप्ता के प्रतिनिधि/ पति दिनेश कुमार गुप्ता ने की है. इसके बाद शिकायतकर्ता और रामलीला कमेटी से जुड़े हुए लोग आमने-सामने आ गए हैं. वहीं आरोपों से घिरी कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों ने साफ कहा है कि, राजनीतिक द्वेष में की गई इस शिकायत का वह जांच कमेटी को जवाब देंगे. उन्होंने जरूरी सभी औपचारिकताओं और नियम कानून का पालन किया है.

रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार का आरोप
रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार का आरोप

यही वजह है कि जब उनके खिलाफ शिकायत की गई, तो उन्होंने स्वयं से आईजीआरएस पर, अपनी कमेटी की जांच शासन से करने की मांग कर दी है जिससे दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाए. जांच एसडीएम सदर को मिली है. बिना खाता खोले इस मैदान के बुकिंग और अन्य मद में धन के बंदरबाट की बात शिकायत में है. रामलीला मैदान की बुकिंग में नियम शर्तों का उल्लंघन करने, मांस मदिरा का मैदान में प्रयोग करने, और देर रात तक यहां सांस्कृतिक आयोजनों की आड़ में अनैतिक कृत्य किए जाने की शिकायत हुई है.

शिकायतकर्ता दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि जब उन्होंने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की और तय शर्तों के उल्लंघन की हकीकत पेश किया तो, इस मामले में शासन से कमिश्नर को जांच का आदेश हुआ. उस पर उन्होंने डीएम कृष्णा करूनेश को इस मामले में जांच कराने को कहा. शनिवार को इस मामले की जांच एसडीएम सदर को डीएम ने सौंप दी है. दिनेश कुमार गुप्ता का कहना है कि रामलीला मैदान में जो भी आयोजन होने हैं वह सांस्कृतिक और धार्मिक होने हैं. लेकिन रामलीला कमेटी ने इसे टेंडर करके शादी विवाह के लिए स्थाई मैरिज हाल बना दिया.

रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार की कमिश्नर कर रहे जांच
रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार की कमिश्नर कर रहे जांच

इसके नाम पर यहां गंदगी फैलनी शुरू हुई. देर रात तक यहां डीजे और फूहडता पेरोसने वाले गाने बजाने लगे. एक पूर्व पार्षद ने यह टेंडर ले रखा है. इसलिए आसपास के लोगों की शिकायत को भी पुलिस सुनकर भी अनसुना कर देती थी. मोहल्ले वालों का भी रामलीला मैदान में दे रात तक होने वाले आयोजनों से, जीना हराम था. राम के नाम पर इस धार्मिक स्थल पर, रामलीला कमेटी टेंडर देकर अश्लीलता और मांसाहार, शराब परोसने जैसे मामले की दोषी है. जो शासन द्वारा तय किए गए नियमों के विपरीत था. इसलिए उन्हें जनहित में मुख्यमंत्री से शिकायत करनी पड़ी.

ॉअब मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लिया है तो भगवान राम ने पर भ्रष्टाचार करने वाले बेनकाब होंगे. यही नहीं रामलीला मैदान की बुकिंग से मिलने वाली धनराशि के लिए मौजूदा कमेटी ने, एडीएम प्रशासन के साथ जॉइंट अकाउंट भी नहीं खोला है. और आमदनी को कहां खर्च कर रहे हैं इसका कोई हिसाब नहीं है. जबकि शासन के निर्देश पर जॉइंट अकाउंट का खोल जाना अनिवार्य है. रामलीला कमेटी, रामलीला मैदान को सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों के लिए किराए पर दे सकती है. साथ ही गरीब बेटियों की शादी के लिए इसे निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा.

प्रशासन को भी यदि इसकी आवश्यकता पड़ती है तो भी उसे निशुल्क में उपलब्ध होगा. लेकिन रामलीला कमेटी ने टेंडर निकालकर इस सालाना 13 लाख 50000 के किराए पर, मैरिज हाल के रूप में संचालित करने के लिए पूर्व पार्षद को दे दिया. इससे आने वाली धनराशि को संयुक्त खाते में जमा करना था लेकिन, डेढ़ साल में संयुक्त खाता भी नहीं खोला जा सका. नियमों के विपरीत गतिविधियों के संचालन का आरोप है. शिकायतकर्ता का कहना है कि साक्ष्य उनके पास मौजूद है इसलिए वह पीछे हटने वाले नहीं.

ईटीवी भारत ने इस मामले में आरोपों से घिरे कमेटी के पदाधिकारियों से बात किया तो, महामंत्री हरिद्वार वर्मा ने कहा कि उनकी कमेटी सभी आरोपों की जांच के लिए तैयार है. जहां तक जॉइंट अकाउंट खोले जाने की बात है तो कमेटी के पदाधिकारियों ने, एडीएम प्रशासन से इसके लिए कई बार प्रयास किया लेकिन प्रशासन की तरफ से इसमें सहयोग नहीं मिला. इसलिए जो भी बुकिंग होती रही उससे मिलने वाली धनराशि रामलीला कमेटी के अकाउंट में जमा होता है. और व्यवस्थाओं के संचालन के लिए जहां खर्च करना होता है.

उन्होंने कहा कि शासन से जो निर्देश प्राप्त हुए थे उसके कालम नंबर पांच पर कमेटी के अधिकार का उल्लेख किया गया है. जिसके तहत ही कमेटी सारा कार्य कर रही है. शिकायतकर्ता के आरोप निराधार हैं. तो वहीं कमेटी के पूर्व अध्यक्ष पंकज गोयल ने शिकायतकर्ता दिनेश गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि वह पार्षद पति होने के नाते चाहते हैं कि, रामलीला कमेटी उन्हें रामलीला मैदान को सौंप दे और वह उसका निजी स्तर पर प्रयोग करें लेकिन यह होने वाला नहीं. अब शिकायत हुई है तो उसकी जांच का सामना किया जाएगा. रामलीला कमेटी को रामलीला मैदान के रखरखाव और रामलीला के आयोजन के लिए, खर्च होने वाले धन का प्रबंध इस मैदान के जरिए ही करना है. इसलिए उसने नियमों का पालन करते हुए सभी पहल किया है.

ये भी पढ़ें- कासगंज ट्रैक्टर-ट्रॉली हादसा: यूपी पुलिस के सिपाही ने जान पर खेल कर बचाई 6 लोगों की जिंदगी

रामलीला कमेटी पर नियमों के विपरीत गतिविधियों का आरोप

गोरखपुर: पूर्वांचल की सबसे पुरानी और 162 वर्ष से संचालित होने वाली बर्ड घाट रामलीला कमेटी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. कमेटी के अधीन जिस रामलीला मैदान पर हर वर्ष रामलीला का भव्य आयोजन होता है, उसका जीर्णोद्धार और नव निर्माण प्रदेश की योगी सरकार ने 5 करोड़ रुपये देकर कराया है. इसका शिलान्यास खुद मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से हुआ था. लेकिन मौजूदा समय में कमेटी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. इसकी जांच मुख्यमंत्री के निर्देश पर, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने जिला प्रशासन से करके रिपोर्ट भेजने को कहा है.

इसके बाद बरसों पुरानी इस रामलीला कमेटी और मैदान को लेकर सवाल खड़ा होने लगा है. शासन में इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से मिलकर हांसूपुर वार्ड की पार्षद लाली गुप्ता के प्रतिनिधि/ पति दिनेश कुमार गुप्ता ने की है. इसके बाद शिकायतकर्ता और रामलीला कमेटी से जुड़े हुए लोग आमने-सामने आ गए हैं. वहीं आरोपों से घिरी कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों ने साफ कहा है कि, राजनीतिक द्वेष में की गई इस शिकायत का वह जांच कमेटी को जवाब देंगे. उन्होंने जरूरी सभी औपचारिकताओं और नियम कानून का पालन किया है.

रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार का आरोप
रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार का आरोप

यही वजह है कि जब उनके खिलाफ शिकायत की गई, तो उन्होंने स्वयं से आईजीआरएस पर, अपनी कमेटी की जांच शासन से करने की मांग कर दी है जिससे दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाए. जांच एसडीएम सदर को मिली है. बिना खाता खोले इस मैदान के बुकिंग और अन्य मद में धन के बंदरबाट की बात शिकायत में है. रामलीला मैदान की बुकिंग में नियम शर्तों का उल्लंघन करने, मांस मदिरा का मैदान में प्रयोग करने, और देर रात तक यहां सांस्कृतिक आयोजनों की आड़ में अनैतिक कृत्य किए जाने की शिकायत हुई है.

शिकायतकर्ता दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि जब उन्होंने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की और तय शर्तों के उल्लंघन की हकीकत पेश किया तो, इस मामले में शासन से कमिश्नर को जांच का आदेश हुआ. उस पर उन्होंने डीएम कृष्णा करूनेश को इस मामले में जांच कराने को कहा. शनिवार को इस मामले की जांच एसडीएम सदर को डीएम ने सौंप दी है. दिनेश कुमार गुप्ता का कहना है कि रामलीला मैदान में जो भी आयोजन होने हैं वह सांस्कृतिक और धार्मिक होने हैं. लेकिन रामलीला कमेटी ने इसे टेंडर करके शादी विवाह के लिए स्थाई मैरिज हाल बना दिया.

रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार की कमिश्नर कर रहे जांच
रामलीला कमेटी में भ्रष्टाचार की कमिश्नर कर रहे जांच

इसके नाम पर यहां गंदगी फैलनी शुरू हुई. देर रात तक यहां डीजे और फूहडता पेरोसने वाले गाने बजाने लगे. एक पूर्व पार्षद ने यह टेंडर ले रखा है. इसलिए आसपास के लोगों की शिकायत को भी पुलिस सुनकर भी अनसुना कर देती थी. मोहल्ले वालों का भी रामलीला मैदान में दे रात तक होने वाले आयोजनों से, जीना हराम था. राम के नाम पर इस धार्मिक स्थल पर, रामलीला कमेटी टेंडर देकर अश्लीलता और मांसाहार, शराब परोसने जैसे मामले की दोषी है. जो शासन द्वारा तय किए गए नियमों के विपरीत था. इसलिए उन्हें जनहित में मुख्यमंत्री से शिकायत करनी पड़ी.

ॉअब मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लिया है तो भगवान राम ने पर भ्रष्टाचार करने वाले बेनकाब होंगे. यही नहीं रामलीला मैदान की बुकिंग से मिलने वाली धनराशि के लिए मौजूदा कमेटी ने, एडीएम प्रशासन के साथ जॉइंट अकाउंट भी नहीं खोला है. और आमदनी को कहां खर्च कर रहे हैं इसका कोई हिसाब नहीं है. जबकि शासन के निर्देश पर जॉइंट अकाउंट का खोल जाना अनिवार्य है. रामलीला कमेटी, रामलीला मैदान को सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों के लिए किराए पर दे सकती है. साथ ही गरीब बेटियों की शादी के लिए इसे निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा.

प्रशासन को भी यदि इसकी आवश्यकता पड़ती है तो भी उसे निशुल्क में उपलब्ध होगा. लेकिन रामलीला कमेटी ने टेंडर निकालकर इस सालाना 13 लाख 50000 के किराए पर, मैरिज हाल के रूप में संचालित करने के लिए पूर्व पार्षद को दे दिया. इससे आने वाली धनराशि को संयुक्त खाते में जमा करना था लेकिन, डेढ़ साल में संयुक्त खाता भी नहीं खोला जा सका. नियमों के विपरीत गतिविधियों के संचालन का आरोप है. शिकायतकर्ता का कहना है कि साक्ष्य उनके पास मौजूद है इसलिए वह पीछे हटने वाले नहीं.

ईटीवी भारत ने इस मामले में आरोपों से घिरे कमेटी के पदाधिकारियों से बात किया तो, महामंत्री हरिद्वार वर्मा ने कहा कि उनकी कमेटी सभी आरोपों की जांच के लिए तैयार है. जहां तक जॉइंट अकाउंट खोले जाने की बात है तो कमेटी के पदाधिकारियों ने, एडीएम प्रशासन से इसके लिए कई बार प्रयास किया लेकिन प्रशासन की तरफ से इसमें सहयोग नहीं मिला. इसलिए जो भी बुकिंग होती रही उससे मिलने वाली धनराशि रामलीला कमेटी के अकाउंट में जमा होता है. और व्यवस्थाओं के संचालन के लिए जहां खर्च करना होता है.

उन्होंने कहा कि शासन से जो निर्देश प्राप्त हुए थे उसके कालम नंबर पांच पर कमेटी के अधिकार का उल्लेख किया गया है. जिसके तहत ही कमेटी सारा कार्य कर रही है. शिकायतकर्ता के आरोप निराधार हैं. तो वहीं कमेटी के पूर्व अध्यक्ष पंकज गोयल ने शिकायतकर्ता दिनेश गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि वह पार्षद पति होने के नाते चाहते हैं कि, रामलीला कमेटी उन्हें रामलीला मैदान को सौंप दे और वह उसका निजी स्तर पर प्रयोग करें लेकिन यह होने वाला नहीं. अब शिकायत हुई है तो उसकी जांच का सामना किया जाएगा. रामलीला कमेटी को रामलीला मैदान के रखरखाव और रामलीला के आयोजन के लिए, खर्च होने वाले धन का प्रबंध इस मैदान के जरिए ही करना है. इसलिए उसने नियमों का पालन करते हुए सभी पहल किया है.

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