अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभाग के सर्जनों ने शरीर की हड्डी संरचना सम्बन्धी विकार को ठीक करने के लिए एक दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. सर्जरी के बाद एक लड़की को नया जीवन मिल गया है. लड़की एकोंड्रोप्लासिया से पीड़ित थी. इस बीमारी को हड्डियों का बौनापन भी कहते है. इसमें हाथ या पैर की हड्डियों का विकास नहीं होता है.
न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. रमन मोहन शर्मा ने बताया कि हाथरस की रहने वाली मानसी एकोंड्रोप्लासिया नामक बीमारी से पीड़ित थी. यह दुर्लभ प्रकार का कंकाल विकार है, जो लगभग 25 हजार लोगों में से एक में होता है. इस कारण लड़की की लंबाई बढ़ नहीं पा रही थी. ऐसे मामलों में रोगियों के हाथ और पैर की लंबाई कम रह जाती है. हालांकि इनमें से अधिकांश बच्चे सामान्य लंबाई वाले माता-पिता से पैदा होते हैं और पूर्ण स्वस्थ जीवन जीते हैं.
प्रो. शर्मा ने बताया कि जांच करने पर छोटी गर्दन वाली मानसी में क्रेनियोवर्टेब्रल जंक्शन विसंगति पाई गई जो एकोंड्रोप्लासिया की दुर्लभ अभिव्यक्तियों में से एक है. खोपड़ी के आधार पर उसकी हड्डियां रीढ़ की हड्डी को दबा रही थीं. उसकी सर्जरी की गई. जिसमें गर्दन की हड्डियों को फिर से संरेखित किया गया और स्क्रू और रॉड से ठीक किया गया और अब लड़की ठीक हो रही है और सर्जन परिणाम से संतुष्ट हैं. ऐसे मामलों में शरीर रचना को समझने के लिए 3डी प्रिंटिंग काफी मदद कर सकती है.
न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. एमएफ हुदा ने कहा कि जेएनएमसी के डॉक्टर स्कोलियोसिस सर्जरी, स्पाइनल विकृति, क्रेनियोवर्टेब्रल जंक्शन सर्जरी और स्पाइनल ट्यूमर सर्जरी जैसे सभी उन्नत स्पाइन सर्जरी करके इलाज कर रहे हैं. अब मरीजों को ऐसी बीमारियों के इलाज के लिए दूर के केंद्रों पर जाने की जरूरत नहीं है. मानसी की सर्जरी टीम के डॉ. उबैद सिद्दीकी और उनकी टीम ने ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया दिया था. डॉ. नीलेश चौधरी, डॉ. निखिल वडवान, अनवर अली, लिली दत्त, हरिपाल, कासिम और उस्मान टीम ने चिकित्सकों के साथ सर्जरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
टीम के सर्जन डॉ. अहमद अंसारी ने बताया कि क्रेनियोवर्टेब्रल जंक्शन मस्तिष्क को रीढ़ की हड्डी से जोड़ता है. इसलिए इस क्षेत्र में सर्जरी बहुत जटिल होती है. हम जल्द ही जेएनएमसी में नियमित आधार पर एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी शुरू करेंगे. डॉ. ताबिश खान ने बताया कि ऐसे मामलों के लिए अच्छी प्रीऑपरेटिव प्लानिंग की जरूरत होती है. पिछले 10 सालों में विभाग में क्रेनियोवर्टेब्रल जंक्शन विसंगतियों के 200 से ज्यादा मामलों का ऑपरेशन किया गया है. मेडिसिन संकाय की डीन व मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल और सीएमएस प्रोफेसर वीणा माहेश्वरी ने मेडिकल कॉलेज ने डॉक्टरों को बधाई दी और कहा कि न्यूरोसर्जरी में एमसीएच की दो सीटें हैं जो जेएनएमसी के लिए गौरव की बात है.
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