जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय का 33वां दीक्षांत समारोह बुधवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेन्टर में आयोजित किया गया. इस समारोह में राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कलराज मिश्र ने विभिन्न परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 126 विधार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए. खास बात यह रही कि स्वर्णपदक प्राप्त करने में छात्राओं ने बाजी मार ली. कुल 126 में से 102 स्वर्ण पदक छात्राओं को ही दिए गए. साथ ही 467 पीएचडी उपाधि धारकों को उनकी उपाधि का वितरण किया गया एवं वर्ष 2022 की परीक्षाओं में पास हुए 01 लाख 66 हजार 139 विद्यार्थियों को भी उपाधियों का भी वितरण किया गया.
दीक्षांत समारोह से पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में लगभग 02 करोड 96 लाख रुपए की लागत से निर्मित संविधान पार्क का लोकार्पण किया. इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
समारोह में राज्यपाल मिश्र ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति को पूरी तरह से लागू करने पर जोर देना चाहिए. साथ ही ऐसे पाठ्यक्रम बनाए जाने चाहिए, जिनसे भारत विकास की राह पर तेजी से अग्रसर हो सके. उन्होंने कहा कि संविधान से जुड़ी सोच देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है.
संविधान पार्क का लोकार्पण: दीक्षांत समारोह से पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय के संविधान पार्क का लोकार्पण किया. इस मौके पर मिश्र ने कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली नई पीढ़ी संविधान के मर्म को समझें. इसी उद्देश्य से राजभवन की पहल पर विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क निर्मित करने की पहल हुई है. उन्होंने संविधान की मूल प्रति पर उकेरे चित्रों की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के उदात्त मूल्यों को इनसे समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने शांति निकेतन के प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस को बुलाकर संविधान की मूल प्रति पर रेखांकन करवाए थे. राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय शोध और अनुसंधान में मौलिकता की संस्कृति के लिए कार्य करें. ऐसे शोध और अनुसंधान हों, जिनका वृहद स्तर पर समाज और राष्ट्र को लाभ मिले.