नई दिल्ली: दिल्ली सरकार (डीयू) के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों को अभी तक सरकार ने सहायक प्रोफेसरों की स्थाई नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित करने की अनुमति नहीं दी है. इस वजह से इन कॉलेजों में अभी तक भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. इन्हीं 12 कालेजों में से एक महाराजा अग्रसेन कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य प्रोफेसर संजीव तिवारी ने बताया कि जब तक सरकार से अनुमति नहीं मिलेगी तब तक हम विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकते हैं.
संजीव तिवारी ने यह भी बताया कि जिन चार कॉलेजों ने विज्ञापन निकाले भी थे, वहां भी बिना अनुमति के विज्ञापन निकाले गए थे. इस वजह से वहां भी अभी तक इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. इन चार कॉलेजों में दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भाष्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस व अदिति महाविद्यालय शामिल हैं. उन्होंने बताया कि 12 कॉलेज पूरी तरह दिल्ली सरकार द्वार वित्त पोषित हैं इसलिए इनमें भर्ती के लिए दिल्ली सरकार की अनुमति आवश्यक है.
दिल्ली सरकार इसलिए नहीं दे रही अनुमति: दरअसल, यह 12 कॉलेज दिल्ली सरकार से वित्तपोषित तो हैं. लेकिन, उनकी दिल्ली सरकार के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है. दिल्ली सरकार कॉलेजों को जो पैसा देती है उस पैसे का हिसाब मांगने का भी अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं है. इसलिए सरकार इन कॉलेजों का पैसा हमेशा रोक कर रखती है. इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिलता है. कॉलेज की गवर्निंग बॉडी में भी दिल्ली विश्वविद्यालय का दखल रहता है. अधिकांश कॉलेजों में अभी तक गवर्निंग बॉडी का गठन नहीं हुआ है, क्योंकि दिल्ली सरकार अपने और दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन अपने-अपने समर्थित लोगों को गर्वनिंग बॉडी का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं.
दिल्ली सरकार से ज्यादा इन कॉलेज में दिल्ली विश्वविद्यालय का दखल रहता है. इन कॉलेज की जवाबदेही भी पूरी तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रति है. साथ ही इन कॉलेज में होने वाली भर्तियों में भी दिल्ली विश्वविद्यालय का ही अधिकतर दखल रहता है. यह सोचकर ही दिल्ली सरकार इन कॉलेज में भर्ती प्रक्रिया को लटका रही है. आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन एएडीटीए के राष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर आदित्य नारायण मिश्रा का कहना है कि अगर सरकार इन कॉलेजों को पूरा पैसा देती है तो सरकार के प्रति इन कॉलेज की जवाबदेही भी होनी चाहिए. दिल्ली सरकार के लोगों का गवर्निंग बॉडी में भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
3 साल से फंसा है गवर्निंग बॉडी के गठन का मामला: बता दें कि इन कॉलेज में गवर्निंग बॉडी के गठन का भी मामला 3 साल से दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच अटका हुआ है. दिल्ली सरकार द्वारा जो नाम दिल्ली विश्वविद्यालय को गवर्निंग बॉडी में शामिल करने के लिए भेजे गए थे उन नाम को डीयू की कार्यकारी परिषद में ही नहीं लाया गया और ना ही कार्यकारी परिषद से नामों को पास कराके गवर्निंग बॉडी का गठन किया गया. दिल्ली सरकार चाहती है कि पहले गवर्निंग बॉडी का गठन होकर उनके लोग गवर्निंग बॉडी में शामिल हों उसके बाद ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कराई जाए.
करीब 600 पदों पर होनी है नियुक्ति: इन कॉलेजों में लगभग 600 पदों पर सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति की जानी है. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले दो साल से डीयू से संबद्ध कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है जिसमें लगभग 50 से अधिक कॉलेजों ने अपने यहाँ स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली है. बाकी कॉलेजों में नियुक्ति प्रक्रिया जारी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण 12 मार्च से चार जून तक के लिए नियुक्तियों को रोक दिया गया था. डीयू के बाकी कॉलेजों व विभागों में अभी तक लगभग 4600 पदों पर स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है.
ये भी पढ़ें: दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति न होने से टीचर्स में गुस्सा, फोरम ने जल्द भर्ती किए जाने की उठाई मांग