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तुलसी-शालिग्राम विवाह: मंगल गीतों के साथ माता तुलसी को भगवान शालिग्राम के साथ किया विदा - Tulsi Vivah 2024

जयपुर के आमेर स्थित मंदिर ठाकुर सीताराम में तुलसी-शालिग्राम का विवाह महोत्सव आयोजित किया गया. वैदिक मंत्रोचार के साथ 7 फेरे लेकर तुलसी शालिग्राम का विवाह संपन्न हुआ.

Tulsi Shaligram Vivah mahotsav
तुलसी-शालिग्राम विवाह (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 10, 2024, 11:12 PM IST

जयपुर में हुआ तुलसी-शालिग्राम विवाह महोत्सव (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. अक्षय तृतीया के अवसर पर राजधानी के आमेर में तुलसी-शालिग्राम का विवाह महोत्सव आयोजित किया गया. आमेर के मेहंदी का बास स्थित मंदिर ठाकुर सीताराम में सामूहिक माता तुलसी संघ शालिग्राम भगवान का विवाह बड़े धूमधाम से हुआ. 11 स्थान से पधारे दूल्हे शालिग्राम गिरधारी जी मंदिर गांधी चौक आमेर से बारात सज कर मंदिर ठाकुर सीताराम जी के दरबार में पहुंची. बारात में बैंड बाजे की धुन पर नाचती-गाती महिलाएं शामिल हुई.

मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 11 स्थानों से दूल्हे शालिग्राम बारात लेकर पहुंचे. बारात गांधी चौक से सजकर ठाकुर सीताराम जी मंदिर पहुंची. दुल्हन के परिजनों ने पुष्प वर्षा करके बारातियों का स्वागत किया. शालिग्राम तुलसी के विवाह को लेकर सभी में काफी उत्साह देखने को मिला. महिलाओं ने मंगल गीत गए. वैदिक मंत्रोचार के साथ 7 फेरे लेकर तुलसी शालिग्राम का विवाह संपन्न हुआ. सैकड़ों की संख्या में लोग तुलसी शालिग्राम विवाह के साक्षी बने. इस मौके पर सभी भक्तजनों को बाल विवाह नहीं करने की शपथ भी दिलाई गई.

पढ़ें: Tulsi Vivah 2023 : भगवान शालिग्राम-तुलसी विवाह का शुभ-मुहूर्त व पूजन विधि

कन्यादान का बड़ा महत्व: राधा गोपीनाथ मंदिर सराय बावडी के पुजारी विकास कुमार शर्मा ने कहा कि विवाह समारोह के दौरान हवन यज्ञ का आयोजन भी किया गया. जिसमें अनेक लोगों ने आहूतियां दी. विवाह में अनेक गाायक कलाकारों ने अपने गायन से दर्शकों का खूब मन मोहा. विवाह कार्यक्रम के बाद प्रसादी का आयोजन किया गया. समाज में कन्यादान का बहुत ही महत्व है. प्रत्येक व्यक्ति को कन्यादान में अवश्य शामिल होना चाहिए.

पढ़ें: Tulsi Vivah 2022: देवउठनी एकादशी पर होता है तुलसी विवाह, जानें कथा!

मंगल गीतों के साथ माता तुलसी को विदा: इस विवाह समारोह में लोगों ने वैवाहिक गीतों के अलावा भजन कीर्तन भी किया. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सात फेरों की रस्म पूरी कर माता तुलसी को भगवान शालिग्राम के साथ विदाई किया गया. विदाई के समय तब आयोजकों की आंखें नम हो गईं.

पढ़ें: जोधपुर: माघ पूर्णिमा पर शालिग्राम-तुलसी विवाह, सदियों पुरानी है परंपरा

विवाह से एक दिन पहले लग्न लेकर पहुंचे भगवान शालिग्राम के द्वार: विवाह के एक दिन पहले लग्न समारोह आयोजित किया गया. आमेर स्थित ठाकुर सीताराम मंदिर से सराय बावड़ी स्थित राधा गोपीनाथ मंदिर में लग्न पत्रिका लेकर पहुंचे, जहां रीति रिवाज के साथ लग्न पत्रिका की रस्म निभाई गई. महिलाओं और पुरुषों ने भगवान शालिग्राम के लग्न समारोह की सभी रस्में अदा की. राधा गोपीनाथ मंदिर में भगवान शालिग्राम का मेहंदी और हल्दी समारोह भी आयोजित किया गया. महिलाओं ने भजन कीर्तन के साथ नृत्य किया.

जयपुर में हुआ तुलसी-शालिग्राम विवाह महोत्सव (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. अक्षय तृतीया के अवसर पर राजधानी के आमेर में तुलसी-शालिग्राम का विवाह महोत्सव आयोजित किया गया. आमेर के मेहंदी का बास स्थित मंदिर ठाकुर सीताराम में सामूहिक माता तुलसी संघ शालिग्राम भगवान का विवाह बड़े धूमधाम से हुआ. 11 स्थान से पधारे दूल्हे शालिग्राम गिरधारी जी मंदिर गांधी चौक आमेर से बारात सज कर मंदिर ठाकुर सीताराम जी के दरबार में पहुंची. बारात में बैंड बाजे की धुन पर नाचती-गाती महिलाएं शामिल हुई.

मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 11 स्थानों से दूल्हे शालिग्राम बारात लेकर पहुंचे. बारात गांधी चौक से सजकर ठाकुर सीताराम जी मंदिर पहुंची. दुल्हन के परिजनों ने पुष्प वर्षा करके बारातियों का स्वागत किया. शालिग्राम तुलसी के विवाह को लेकर सभी में काफी उत्साह देखने को मिला. महिलाओं ने मंगल गीत गए. वैदिक मंत्रोचार के साथ 7 फेरे लेकर तुलसी शालिग्राम का विवाह संपन्न हुआ. सैकड़ों की संख्या में लोग तुलसी शालिग्राम विवाह के साक्षी बने. इस मौके पर सभी भक्तजनों को बाल विवाह नहीं करने की शपथ भी दिलाई गई.

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कन्यादान का बड़ा महत्व: राधा गोपीनाथ मंदिर सराय बावडी के पुजारी विकास कुमार शर्मा ने कहा कि विवाह समारोह के दौरान हवन यज्ञ का आयोजन भी किया गया. जिसमें अनेक लोगों ने आहूतियां दी. विवाह में अनेक गाायक कलाकारों ने अपने गायन से दर्शकों का खूब मन मोहा. विवाह कार्यक्रम के बाद प्रसादी का आयोजन किया गया. समाज में कन्यादान का बहुत ही महत्व है. प्रत्येक व्यक्ति को कन्यादान में अवश्य शामिल होना चाहिए.

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मंगल गीतों के साथ माता तुलसी को विदा: इस विवाह समारोह में लोगों ने वैवाहिक गीतों के अलावा भजन कीर्तन भी किया. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सात फेरों की रस्म पूरी कर माता तुलसी को भगवान शालिग्राम के साथ विदाई किया गया. विदाई के समय तब आयोजकों की आंखें नम हो गईं.

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विवाह से एक दिन पहले लग्न लेकर पहुंचे भगवान शालिग्राम के द्वार: विवाह के एक दिन पहले लग्न समारोह आयोजित किया गया. आमेर स्थित ठाकुर सीताराम मंदिर से सराय बावड़ी स्थित राधा गोपीनाथ मंदिर में लग्न पत्रिका लेकर पहुंचे, जहां रीति रिवाज के साथ लग्न पत्रिका की रस्म निभाई गई. महिलाओं और पुरुषों ने भगवान शालिग्राम के लग्न समारोह की सभी रस्में अदा की. राधा गोपीनाथ मंदिर में भगवान शालिग्राम का मेहंदी और हल्दी समारोह भी आयोजित किया गया. महिलाओं ने भजन कीर्तन के साथ नृत्य किया.

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