नयी दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) यह सुनिश्चित करेगा कि गुजरात, तेलंगाना और उत्तराखंड में आगामी राज्य संघ के चुनावों में खेल संहिता का पालन किया जाए. इसके साथ ही वह 27 मार्च से राष्ट्रीय शिविर बहाल करने के लिए भी तैयार है. राजस्थान जैसे कई राज्य संघों में 70 साल की निर्धारित आयु से अधिक उम्र के पदाधिकारी काम कर रहे थे. डब्ल्यूएफआई यह सुनिश्चित करना चाहता है कि चुनाव में खेल संहिता के उम्र और कार्यकाल से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। इस कारण 72 वर्षीय नानू सिंह को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिली.
इसी तरह से उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक में भी खेल संहिता के तहत चुनाव कराए गए. डब्ल्यूएफआई के एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, 'हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि राज्य संघों के चुनाव में उचित उम्मीदवार ही भाग लें. सरकार ने जो नियम तय किए हैं हम उनका उल्लंघन नहीं होने देंगे. आज हमने चंडीगढ़ में चुनाव कराए तथा जल्द ही गुजरात, उत्तराखंड और तेलंगाना में खेल संहिता के तहत चुनाव कराए जाएंगे.
डब्ल्यूएफआई ने इसके साथ ही 16 महीने बाद 27 मार्च से राष्ट्रीय शिविर बहाल करने का फैसला किया है. पुरुषों के लिए सोनीपत और महिलाओं के लिए गांधीनगर में शिविर का आयोजन किया जा सकता है. डब्ल्यूएफआई ने पिछले साल जनवरी से किसी तरह के राष्ट्रीय शिविर का आयोजन नहीं किया है. सूत्र ने कहा, 'सोनीपत का साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण) केंद्र में हमेशा की तरह पुरुषों के शिविर का आयोजन किया जाएगा जबकि महिलाओं का शिविर गुजरात के गांधीनगर या पंजाब के पटियाला में होगा. भोपाल भी एक अन्य विकल्प है लेकिन पूरी संभावना है कि शिविर गांधीनगर में लगाया जाएगा.
डब्ल्यूएफआई ने इसके साथ ही राज्य इकाइयों से एथलीट आयोग के चुनाव के लिए दो पहलवानों को नामित करने के लिए भी कहा है. गैर सरकारी संगठन उड़ान से जुड़ी मोनिका खेड़ा समिति की प्रमुख होगी. एथलीट आयोग के चुनाव 24 और 25 अप्रैल को छत्तीसगढ़ में फेडरेशन कप के दौरान होंगे. डब्ल्यूएफआई ने हाल में योगेश्वर दत्त को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था लेकिन अब जबकि पहली बार चुनाव हो रहे हैं, तो लंदन ओलंपिक का कांस्य पदक विजेता यह पहलवान उम्मीदवार नहीं बन सकता.
कुश्ती की विश्व संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के नियमों के अनुसार कोई सक्रिय खिलाड़ी या पिछले 4 वर्षों में कम से कम एक बार प्रतिस्पर्धी मुकाबला खेलने वाला खिलाड़ी ही एथलीट आयोग का चुनाव लड़ सकता है. यही वजह है कि योगेश्वर इसके चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.