नई दिल्ली : नम आंखों और खट्टी मीठी यादों के साथ भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक से भारत वापस लौट चुकी हैं. बेहद करीब से मेडल से चूकी इस धाकड़ पहलवान का स्वदेश में जोरदार स्वागत हुआ. सरकार की ओर से विनेश को एक चैंपियन करार दिया गया, और उन्हें हर वो सम्मान मिलेगा जो उन्हें मेडल जीतने पर मिलता ऐसा ऐलान भी किया. मगर, क्या यह काफी है?
25 अगस्त 1994 को जन्मी विनेश फोगाट का आज 30 साल की हो गईं. भारत के सबसे प्रसिद्ध कुश्ती परिवारों में से एक से ताल्लुक रखने वाली विनेश अपनी चचेरी बहनों गीता फोगाट और बबीता कुमारी के नक्शेकदम पर चलीं. तीन ओलंपिक खेल चुकी इस पहलवान ने संन्यास का ऐलान कर दिया है, लेकिन उनके परिवार और फैंस को यही उम्मीद है कि विनेश 2028 ओलंपिक खेलें.
पेरिस में गोल्ड मेडल पाने के लिए एक ही दिन में विनेश ने तीन धुरंधर पहलवानों को पटखनी दी, लेकिन नियमों के आगे हार गई.
'मां मैं हार गई और कुश्ती जीत गई...', ये शब्द विनेश का दर्द बयां करने के लिए काफी है, क्योंकि ये पहला मौका नहीं था जब इस महिला पहलवान को अपने भाग्य के आगे हार मानी पड़ी. 2016, 2020 और अब 2024 इन तीनों मौकों पर विनेश का उनके भाग्य ने साथ नहीं दिया.
कभी चोट, कभी बड़ा उलटफेर और अब मात्र 100 ग्राम के कारण फाइनल से डिसक्वालीफाई होना किसी भी खिलाड़ी के लिए सहन करना आसान नहीं है. ऐसा नहीं है कि इस पहलवान के नाम कोई मेडल नहीं है.
विनेश फोगाट ने कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार 3 गोल्ड जीते हैं. उन्होंने यह गोल्ड 2014 ग्लास्गो, 2018 गोल्ड कोस्ट और 2022 बर्मिंघम गेम्स में जीते थे. इसके अलावा विनेश ने 2018 जकार्ता एशियन गेम्स में भी स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. एशियन चैम्पियनशिप 2021 में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. इसके अलावा उन्होंने एशियन चैम्पियनशिप में 3 सिल्वर मेडल भी जीते. वर्ल्ड चैम्पियनशिप में विनेश फोगाट अब तक 2 बार ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर चुकी हैं, लेकिन ओलंपिक के मंच पर इस खिलाड़ी का हाल 'चोकर' जैसा हो गया है.