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पैदा होते ही चढ़ा पैरों पर प्लास्टर, पूरा बचपन चलने को हुईं मोहताज, अब पैरालंपिक में दौड़कर रचा इतिहास - Preeti Pal life story

Preeti Pal : पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के गांव की बेटी प्रीति पाल ने पेरिस में हो रहे पैरा पैरालंपिक गेम्स में देश का मान बढाया है. दो मैडल प्राप्त करने वाली प्रीति की कहानी बेहद ही संघर्ष भरी है. ईटीवी भारत से प्रीति पाल के दादा जी दादी जी और परिवार के सदस्यों ने बात की हैं. आईए जानते हैं किस तरह संघर्ष करके प्रीति ने देश के लिए पदक जीते हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Preeti Pal
प्रीति पाल (EVT Bharat)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Sep 4, 2024, 6:30 PM IST

मेरठ : भारत की पैरा खिलाड़ी प्रीति पाल ने पेरिस में आयोजित गेम्स में दो मैडल देश को दिलाने में सफलता पाई है. बीते दिन हुई प्रतियोगिता में फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए प्रीति ने 30.01 सेकेंड में दौड़ पूरी की और अपना दूसरा पदक जीता था, जिसके बाद से वह सुर्खियों में आ गई हैं. प्रीति पाल ने महिलाओं की टी 35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में 14.21 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से कांस्य हासिल किया था. उसके बाद कल हुई प्रतियोगिता में उन्होंने दूसरा मेडल देश को दिलाया. प्रीति ने मई महीने में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था.

प्रीति पाल की कहानी (ETV Bharat)

बचपन में ही प्रीति के पैरों में हुई थी समस्या
मूल रूप से प्रीति पाल मुजफरनगर जिले की रहने वाली हैं और वर्तमान में प्रीति पाल के दादा-दादी और चाचा-चाची मेरठ जिले के गांव कसेरू बक्सर में रहते हैं. ईटीवी भारत से प्रीति पाल के दादाजी ने बताया कि परिवार मुजफ्फरनगर में है. वह क्योंकि पी डब्लूडी विभाग में सेवारत हैं, इसलिए यहीं रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची ने बहुत संघर्ष किया है, जब प्रीति महज 6 दिन की थीं तभी उनकी दोनों टांगों पर प्लास्टर चढ़ गया था. क्योंकि बच्ची की टांगों में समस्या थी. लगभग 8 वर्ष की उम्र तक मासूम बच्ची के तौर पर प्रीति ने बहुत कुछ झेला है.

प्रीति को सही करने के लिए दादी ने किए ये प्रयास
प्रीति पाल के दादाजी ऋषिपाल सिंह वर्तमान में लोक निर्माण विभाग में मेरठ में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि बचपन में ही यह पता चल गया था कि प्रीति को कई गंभीर समस्या हैं. प्रीति की दादी मां सरोजदेवी ने बताया कि क्योंकि वह गांव की रहने वाली हैं. गांव में जब भी ग्रहण पड़ता तो अपनी पोत्री को सुरक्षित रखने के लिए उसके प्रकोप से बचाने के लिए आधे शरीर को कभी मिट्टी में दबाते तो कभी किसी के द्वारा बताए जाने पर गोबर में दबाया करते थे. उन्होंने बताया कि आज वे बेहद खुश हैं कि उनकी पोती ने पूरे खानदान का देश का नाम रोशन कर दिया है. उसने दो मैडल जीतक़र उन्हें दोहरी खुशी दी है.

क्या करते हैं प्रीति के भाई-बहन
बता दें कि प्रीति का पैतृक गांव मुजफ्फरनगर जिले का हाशिमपुर है. प्रीति चार भाई बहन हैं. प्रीति से बड़ी एक बहन है, जबकि प्रीति के दो उससे छोटे भाई हैं. प्रीति ने BCA किया हुआ है. उसके बाद वह वर्तमान में मैंनेजमेंट की पढ़ाई एक प्राइवेट संस्थान से कर रही हैं. जबकि उनका छोटा भाई अनिकेत एम सी ए कर रहा है. सबसे छोटा भाई विवेक बीसीए कर रहा है. प्रीति दूसरे नंबर की हैं, प्रीति की बड़ी बहन नेहा हैं. हालांकि प्रीति एक किसान परिवार में जन्मी हैं, लेकिन उनके पिता अनिल पाल अब डेयरी चलाते हैं और दूध का खरीदने बेचने का काम करते हैं.

चाची और भाई-बहन ने बोली प्रीति के लिए बड़ी बात
प्रीति के चचेरे भाई ने बताया उन्हें भी अपनी दीदी की तरह बनना है और देश का मान बढ़ाना है. प्रीति की चाची बालेश ने बताया कि वह यही कहेंगी कि बेटियों को अवसर दें बेटियां अपने बल पर मेहनत करके सभी का नाम रोशन करती हैं. उन्होंने कहा कि प्रीति ने बहुत मेहनत की है. प्रीति की चचेरी बहन ने बताया कि वह बेहद खुश हैं.

प्रीति ने 2013 से मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में दौड़ने की शुरुआत की थी. उसके बाद वह खुद को और निखारने के लिए दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में जाकर प्रशिक्षण लिया. प्रीति की बहन नेहा का कहना है कि उनकी छोटी बहन पर उन्हें गर्व है. उन्होंने बताया कि प्रीति का आठ नौ साल तक ट्रीटमेंट चला प्लास्टर तो तभी हो गया था, जब ये 6 दिन की थी, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी.

प्रीति के दादा जी को लगातार आ रहे हैं बधाई के कॉल्स
प्रीति को सेरेब्रल जैसी गंभीर बिमारी है उसके बावजूद उसने जो कर दिखाया उससे वह संतुष्ट हैं. प्रीति के दादाजी ने बताया कि, जब से बिटिया ने देश के लिए पदक जीते हैं तब से लगातार उनके पास लोगों के बधाई देने के लिए कॉल्स आ रहे हैं, जिससे वह बेहद ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उसकी मेहनत है जो उसे आज इस मुकाम ले आई है.

बता दें कि प्रीति पाल ने इसी साल मई में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया था. प्रीति ने महिलाओं की 135, 200 मीटर के इवेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए ये मेडल अपने नाम किए थे. सिर्फ इतना ही नहीं तब प्रीति पाल विश्व चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला पैरा एथलीट भी बन गई थीं. प्रीति को अपने इसी शानदार प्रदर्शन की वजह से पेरिस पैरालंपिक में कोटा हासिल हुआ था. हालांकि उससे पहले भी प्रीति ने बेंगलुरु में इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो गोल्ड अपने नाम किए थे.

ये खबर भी पढ़ें: 16 की उम्र में हुए अनाथ, खाने के पड़े लाले, U-19 कप्तान मोहम्मद अमान का संघर्ष बताते हुए रो पड़ी उनकी बहन

मेरठ : भारत की पैरा खिलाड़ी प्रीति पाल ने पेरिस में आयोजित गेम्स में दो मैडल देश को दिलाने में सफलता पाई है. बीते दिन हुई प्रतियोगिता में फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए प्रीति ने 30.01 सेकेंड में दौड़ पूरी की और अपना दूसरा पदक जीता था, जिसके बाद से वह सुर्खियों में आ गई हैं. प्रीति पाल ने महिलाओं की टी 35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में 14.21 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से कांस्य हासिल किया था. उसके बाद कल हुई प्रतियोगिता में उन्होंने दूसरा मेडल देश को दिलाया. प्रीति ने मई महीने में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था.

प्रीति पाल की कहानी (ETV Bharat)

बचपन में ही प्रीति के पैरों में हुई थी समस्या
मूल रूप से प्रीति पाल मुजफरनगर जिले की रहने वाली हैं और वर्तमान में प्रीति पाल के दादा-दादी और चाचा-चाची मेरठ जिले के गांव कसेरू बक्सर में रहते हैं. ईटीवी भारत से प्रीति पाल के दादाजी ने बताया कि परिवार मुजफ्फरनगर में है. वह क्योंकि पी डब्लूडी विभाग में सेवारत हैं, इसलिए यहीं रहते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची ने बहुत संघर्ष किया है, जब प्रीति महज 6 दिन की थीं तभी उनकी दोनों टांगों पर प्लास्टर चढ़ गया था. क्योंकि बच्ची की टांगों में समस्या थी. लगभग 8 वर्ष की उम्र तक मासूम बच्ची के तौर पर प्रीति ने बहुत कुछ झेला है.

प्रीति को सही करने के लिए दादी ने किए ये प्रयास
प्रीति पाल के दादाजी ऋषिपाल सिंह वर्तमान में लोक निर्माण विभाग में मेरठ में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि बचपन में ही यह पता चल गया था कि प्रीति को कई गंभीर समस्या हैं. प्रीति की दादी मां सरोजदेवी ने बताया कि क्योंकि वह गांव की रहने वाली हैं. गांव में जब भी ग्रहण पड़ता तो अपनी पोत्री को सुरक्षित रखने के लिए उसके प्रकोप से बचाने के लिए आधे शरीर को कभी मिट्टी में दबाते तो कभी किसी के द्वारा बताए जाने पर गोबर में दबाया करते थे. उन्होंने बताया कि आज वे बेहद खुश हैं कि उनकी पोती ने पूरे खानदान का देश का नाम रोशन कर दिया है. उसने दो मैडल जीतक़र उन्हें दोहरी खुशी दी है.

क्या करते हैं प्रीति के भाई-बहन
बता दें कि प्रीति का पैतृक गांव मुजफ्फरनगर जिले का हाशिमपुर है. प्रीति चार भाई बहन हैं. प्रीति से बड़ी एक बहन है, जबकि प्रीति के दो उससे छोटे भाई हैं. प्रीति ने BCA किया हुआ है. उसके बाद वह वर्तमान में मैंनेजमेंट की पढ़ाई एक प्राइवेट संस्थान से कर रही हैं. जबकि उनका छोटा भाई अनिकेत एम सी ए कर रहा है. सबसे छोटा भाई विवेक बीसीए कर रहा है. प्रीति दूसरे नंबर की हैं, प्रीति की बड़ी बहन नेहा हैं. हालांकि प्रीति एक किसान परिवार में जन्मी हैं, लेकिन उनके पिता अनिल पाल अब डेयरी चलाते हैं और दूध का खरीदने बेचने का काम करते हैं.

चाची और भाई-बहन ने बोली प्रीति के लिए बड़ी बात
प्रीति के चचेरे भाई ने बताया उन्हें भी अपनी दीदी की तरह बनना है और देश का मान बढ़ाना है. प्रीति की चाची बालेश ने बताया कि वह यही कहेंगी कि बेटियों को अवसर दें बेटियां अपने बल पर मेहनत करके सभी का नाम रोशन करती हैं. उन्होंने कहा कि प्रीति ने बहुत मेहनत की है. प्रीति की चचेरी बहन ने बताया कि वह बेहद खुश हैं.

प्रीति ने 2013 से मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में दौड़ने की शुरुआत की थी. उसके बाद वह खुद को और निखारने के लिए दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में जाकर प्रशिक्षण लिया. प्रीति की बहन नेहा का कहना है कि उनकी छोटी बहन पर उन्हें गर्व है. उन्होंने बताया कि प्रीति का आठ नौ साल तक ट्रीटमेंट चला प्लास्टर तो तभी हो गया था, जब ये 6 दिन की थी, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी.

प्रीति के दादा जी को लगातार आ रहे हैं बधाई के कॉल्स
प्रीति को सेरेब्रल जैसी गंभीर बिमारी है उसके बावजूद उसने जो कर दिखाया उससे वह संतुष्ट हैं. प्रीति के दादाजी ने बताया कि, जब से बिटिया ने देश के लिए पदक जीते हैं तब से लगातार उनके पास लोगों के बधाई देने के लिए कॉल्स आ रहे हैं, जिससे वह बेहद ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उसकी मेहनत है जो उसे आज इस मुकाम ले आई है.

बता दें कि प्रीति पाल ने इसी साल मई में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त किया था. प्रीति ने महिलाओं की 135, 200 मीटर के इवेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए ये मेडल अपने नाम किए थे. सिर्फ इतना ही नहीं तब प्रीति पाल विश्व चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला पैरा एथलीट भी बन गई थीं. प्रीति को अपने इसी शानदार प्रदर्शन की वजह से पेरिस पैरालंपिक में कोटा हासिल हुआ था. हालांकि उससे पहले भी प्रीति ने बेंगलुरु में इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो गोल्ड अपने नाम किए थे.

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