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संघर्ष में बीता जीवन, पिता ने निभाया मां और कोच का रोल, अब पैरालिंपिक सिल्वर जीत मचा दिया धमाल - Thulasimathi Murugesan

Paris Paralympics 2024 : पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने वाली पशु चिकित्सक तुलसीमाथी मुरुगेसन के पिता ने उनके जीवन के संघर्ष और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का खुलासा करेत हुए ईटीवी भारत के साथ बात की है. पढ़िए पूरी खबर..

Thulasimathi Murugesan
तुलसीमाथी मुरुगेसन (ANI PHOTOS)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Sep 4, 2024, 8:30 PM IST

चेन्नई (तमिलनाडु): पेरिस पैरालिंपिक 2024 में सिल्वर मेडल जीतने वाली पशु चिकित्सक तुलसीमाथी मुरुगेसन के पिता ने ईटीवी भारत से उनकी संघर्ष और चुनौतियां से भरी कहानी साझा की है. पैरा शटलर के पिता ने कहा, 'मेरी बेटी ने पैरालिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद मुझसे फोन पर बात की. उसने, 'मैं तब स्वर्ण पदक नहीं जीत सकी, लेकिन अगली बार मैं निश्चित रूप से स्वर्ण पदक जीतूंगी'. फाइनल में चीन की यांग किउ जिया का सामना करने वाली तुलसीमाथी मुरुगेसन के पिता ने ईटीवी भारत से कहा, 'उसने निडर होकर खेला और यह जीत हासिल की है'.

वह भारत के तमिलनाडु के कांचीपुरम में पुराने रेलवे स्टेशन के पास रहती है और पशु चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है. इस बीच अपनी लगन और प्रशिक्षण के जरिए उसने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. इसलिए, 'मेरी बेटी पहले ही एशियाई खेलों में चीन जा चुकी है और उनकी धरती पर स्वर्ण पदक जीत चुकी है. इसलिए, वह अगली बार निश्चित रूप से स्वर्ण पदक जीतेगी.

Thulasimathi Murugesan father
तुलसीमति मुरुगेसन पिता (ETV Bharat)

मुरुगेसन का कहना है कि एक मेडिकल छात्रा, जिसने रुक-रुक कर अभ्यास किया और पैरालिंपिक तक पहुंची और बैडमिंटन महिला एकल वर्ग में रजत पदक जीता था. यह तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण और युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन के प्रयासों का ही नतीजा है.

इसका कारण यह था कि, 'मेरी बेटी, जो पशु चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है, छुट्टी नहीं ले सकती. हालांकि, मैंने तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण के सदस्य सचिव से संपर्क किया और इस बारे में बात की. उन्होंने तुरंत मंत्री उदयनिधि स्टालिन से मुलाकात की और मेरी बेटी को रखते हुए 45 दिनों की छुट्टी और प्रशिक्षण की अपील की, ​​फिर, बहुत ही तेजी से मेरी बेटी ने छुट्टी मांगी. मैं इस समय उनका आभार व्यक्त करना चाहूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि पदक जीतने के बाद बोलने वाली 22 वर्षीय तुलसीमाथी ने भी इस आभार को याद किया'.

इस समय तुलसीमाथी मुरुगेसन समेत 6 खिलाड़ियों को 2 साल के अनुबंध के साथ तमिलनाडु खेल विकास प्राधिकरण के इलीट कार्यक्रम में चुना गया है. इसके अनुसार पैरालिंपियन खिलाड़ी तुलसीमाथी मुरुगेसन, मरियप्पन थंगावेलु, राजेश रमेश, विद्या रामराज और पृथ्वीराज थोंडैमन तथा शतरंज खिलाड़ी वैशाली का चयन किया गया है. उन्हें प्रशिक्षण और उपकरणों की आवश्यकताओं के लिए प्रति वर्ष 30 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है. यहीं पर मुरुगेसन ने तुलसीमाथी को न केवल एक पिता के रूप में बल्कि एक बेहतरीन कोच के रूप में भी ताकत दी है.

इस बारे में उन्होंने कहा, 'मैंने खेल के दौरान एक कोच के रूप में और अन्य समय में एक मां के रूप में उसका समर्थन किया है. मैं उसे बहुत छोटी उम्र से ही बैडमिंटन खेलना सिखा रहा हूं. हमारे घर के पास एक जिला खेल का मैदान है, इसलिए मैं उसे तब से वहाँ प्रशिक्षण दे रहा हूं जब वह बहुत छोटी थी. तुलसीमति, जिन्हें बचपन से ही खेलों में रुचि थी. मुरुगेसन ने बिना सोचे-समझे उत्तर दिया, 'जो छात्र अच्छी तरह से पढ़ाई कर सकते हैं, वे खेलों में भी अच्छा खेलेंगे. इसके अलावा, खेल में सामरिक और सूक्ष्म होना महत्वपूर्ण है. यह तुलसीमति ही थीं जिन्होंने यह सब संभव बनाया'.

ये खबर भी पढ़ें : पैदा होते ही चढ़ा पैरों पर प्लास्टर, पूरा बचपन चलने को हुईं मोहताज, अब पैरालंपिक में दौड़कर रचा इतिहास

चेन्नई (तमिलनाडु): पेरिस पैरालिंपिक 2024 में सिल्वर मेडल जीतने वाली पशु चिकित्सक तुलसीमाथी मुरुगेसन के पिता ने ईटीवी भारत से उनकी संघर्ष और चुनौतियां से भरी कहानी साझा की है. पैरा शटलर के पिता ने कहा, 'मेरी बेटी ने पैरालिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद मुझसे फोन पर बात की. उसने, 'मैं तब स्वर्ण पदक नहीं जीत सकी, लेकिन अगली बार मैं निश्चित रूप से स्वर्ण पदक जीतूंगी'. फाइनल में चीन की यांग किउ जिया का सामना करने वाली तुलसीमाथी मुरुगेसन के पिता ने ईटीवी भारत से कहा, 'उसने निडर होकर खेला और यह जीत हासिल की है'.

वह भारत के तमिलनाडु के कांचीपुरम में पुराने रेलवे स्टेशन के पास रहती है और पशु चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है. इस बीच अपनी लगन और प्रशिक्षण के जरिए उसने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. इसलिए, 'मेरी बेटी पहले ही एशियाई खेलों में चीन जा चुकी है और उनकी धरती पर स्वर्ण पदक जीत चुकी है. इसलिए, वह अगली बार निश्चित रूप से स्वर्ण पदक जीतेगी.

Thulasimathi Murugesan father
तुलसीमति मुरुगेसन पिता (ETV Bharat)

मुरुगेसन का कहना है कि एक मेडिकल छात्रा, जिसने रुक-रुक कर अभ्यास किया और पैरालिंपिक तक पहुंची और बैडमिंटन महिला एकल वर्ग में रजत पदक जीता था. यह तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण और युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन के प्रयासों का ही नतीजा है.

इसका कारण यह था कि, 'मेरी बेटी, जो पशु चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है, छुट्टी नहीं ले सकती. हालांकि, मैंने तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण के सदस्य सचिव से संपर्क किया और इस बारे में बात की. उन्होंने तुरंत मंत्री उदयनिधि स्टालिन से मुलाकात की और मेरी बेटी को रखते हुए 45 दिनों की छुट्टी और प्रशिक्षण की अपील की, ​​फिर, बहुत ही तेजी से मेरी बेटी ने छुट्टी मांगी. मैं इस समय उनका आभार व्यक्त करना चाहूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि पदक जीतने के बाद बोलने वाली 22 वर्षीय तुलसीमाथी ने भी इस आभार को याद किया'.

इस समय तुलसीमाथी मुरुगेसन समेत 6 खिलाड़ियों को 2 साल के अनुबंध के साथ तमिलनाडु खेल विकास प्राधिकरण के इलीट कार्यक्रम में चुना गया है. इसके अनुसार पैरालिंपियन खिलाड़ी तुलसीमाथी मुरुगेसन, मरियप्पन थंगावेलु, राजेश रमेश, विद्या रामराज और पृथ्वीराज थोंडैमन तथा शतरंज खिलाड़ी वैशाली का चयन किया गया है. उन्हें प्रशिक्षण और उपकरणों की आवश्यकताओं के लिए प्रति वर्ष 30 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है. यहीं पर मुरुगेसन ने तुलसीमाथी को न केवल एक पिता के रूप में बल्कि एक बेहतरीन कोच के रूप में भी ताकत दी है.

इस बारे में उन्होंने कहा, 'मैंने खेल के दौरान एक कोच के रूप में और अन्य समय में एक मां के रूप में उसका समर्थन किया है. मैं उसे बहुत छोटी उम्र से ही बैडमिंटन खेलना सिखा रहा हूं. हमारे घर के पास एक जिला खेल का मैदान है, इसलिए मैं उसे तब से वहाँ प्रशिक्षण दे रहा हूं जब वह बहुत छोटी थी. तुलसीमति, जिन्हें बचपन से ही खेलों में रुचि थी. मुरुगेसन ने बिना सोचे-समझे उत्तर दिया, 'जो छात्र अच्छी तरह से पढ़ाई कर सकते हैं, वे खेलों में भी अच्छा खेलेंगे. इसके अलावा, खेल में सामरिक और सूक्ष्म होना महत्वपूर्ण है. यह तुलसीमति ही थीं जिन्होंने यह सब संभव बनाया'.

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