नई दिल्ली : भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान और स्टार खिलाड़ी ने संन्यास का ऐलान कर दिया है. 2005 में भारत के लिए डेब्यू करने वाले सुनील छेत्री के नाम कईं रिकॉर्ड भी हैं. छेत्री सिर्फ एक फुटबॉल स्टार नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत से सब कुछ हासिल कर खुद को अगली पीढ़ी के लिए प्रेरित किया. भारतीय कप्तान 6 जून को कुवैत के खिलाफ साल्ट लेक स्टेडियम में घरेलू प्रशंसकों के सामने आखिरी बार नीले रंग में दिखाई देंगे.
सुनील छेत्री का जन्म वर्तमान तेलंगाना के सिंकंदराबाद में हुआ था पिता फोज की नौकरी करते थे इस वजह से पिता की पोस्टिंग अलग-अलग जगह होने की वजह से उनको काफी बार स्कूल बदलना पड़ा. उनके पिता ने भी अपने युवा अवस्था में फुटबॉल खेला इतना ही नहीं उनकी माता भी सुशीला ने भी नेपाल की राष्ट्रीय टीम के लिए फुटबॉल खेला था. बस यही वजह है कि फुटबॉल के लिए उनका जुनून पैदा हो गया और आज तक नहीं हटा.
छेत्री जिस भी स्कूल में जाते अपने स्कूल के लिए खेलते हुए शानदार प्रदर्शन करते थे. हालांकि, उन्होंने इस खेल को अपना पेशा बनाने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन भाग्य ने उनके लिए ऐसा ही लिखा था. 16 साल के सुनील छेत्री ने नई दिल्ली के एक कॉलेज में 12वीं कक्षा में दाखिला लिया था. उसके बाद कुआलालंपुर में एशियाई स्कूल चैंपियनशिप में खेलने के लिए भारतीय टीम में बुलाया गया था. सौभाग्य से, भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध फुटबॉल क्लबों में से एक मोहन बागान ने सुनील छेत्री की प्रतिभा को देखा और उन्हें आगामी घरेलू सीजन के लिए साइन किया. बस फिर यहीं से शुरू हुई सुनील छेत्री के करियर की कहानी.
सुनील छेत्री ने फुटबॉल में कमाया खूब नाम
सुनील छेत्री ने 2011 एएफसी एशियन कप में भाग लिया और उन्हें पहली बार 2012 एएफसी चैलेंज कप क्वालीफायर में राष्ट्रीय टीम का कप्तान बनाया गया. सुनील छेत्री की कप्तानी में उन्होंने 2008 में भारत के साथ एएफसी चैलेंज कप जीता. उन्होंने 2011, 2015, 2021 और 2023 में SAFF चैंपियनशिप खिताब जीतकर भारत को दक्षिण एशियाई फुटबॉल में एक प्रमुख ताकत के रूप में स्थापित करने में मदद की. भारत ने 2007, 2009 और 2012 में छेत्री के साथ तीन नेहरू कप खिताब जीते. वह 2018 और 2023 में इंटरकांटिनेंटल कप जीता में भारत का हिस्सा रहे.
छेत्री ने 2007, 2011, 2013, 2014, 2017, 2018-19 और 2021-22 सीजन में कुल सात बार प्रतिष्ठित ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब जीता है. उन्होंने 2009, 2018 और 2019 में FPI इंडियन प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार भी जीता है.
छेत्री को भारत सरकार 2 बार कर चुकी है सम्मानित
भारतीय कप्तान के शानदार प्रदर्शन के कारण उनको दो बार सम्मानित कर चुकी है. पहली बार 2011 में अर्जुन पुरस्कार से उनको सम्मानित किया गया. उसके बाद 2021 में उन्हें देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार भी हासिल किया.
सुनील छेत्री के रिकॉर्ड
कुल मिलाकर, भारतीय टीम के शानदार शानदार सुनील छेत्री ने दो दशक के करियर में 365 क्लब मैचों में 158 गोल किए हैं. उन्होंने जून 2005 में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ भारत के लिए सीनियर स्तर पर पदार्पण किया और अपने पहले ही मैच में नेट पर वापसी की. छेत्री ने भारत के लिए 150 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 94 गोल किए हैं, जिससे वह पूरे अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में तीसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बन गए हैं. सक्रिय खिलाड़ियों में वह केवल अर्जेंटीना के लियोनेल मेस्सी (180 मैचों में 106 गोल) और पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो (205 मैचों में 128 गोल) जैसे सितारों से पीछे हैं.