छत्रपति संभाजीनगर : छत्रपति संभाजीनगर के 13 वर्षीय रुद्र पांडे ने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. रुद्र पांडे 'सेरेब्रल पाल्सी' बीमारी से पीड़ित हैं. उन्होंने साबित किया कि भले ही शरीर रोग से ग्रस्त हो, लेकिन यदि मानसिक स्वास्थ्य अच्छा है, तो उस पर काबू पाया जा सकता है. रुद्र मस्तिष्क से संबंधित बीमारी सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है. रुद्र ने राष्ट्रीय ताइक्वांडो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. अपने परिवार द्वारा दिए गए भरोसे के कारण, उन्होंने न केवल प्रतियोगिता में राज्य का नेतृत्व किया बल्कि पदक जीतने में भी सफल रहे. कराटे के व्यक्तिगत खेल तायक्वोंडो में उनके प्रदर्शन ने उनके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए खेलने का मार्ग बनाया है.
सेरेब्रल पाल्सी फेडरेशन ऑफ इंडिया हर साल सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित लड़कों के लिए टूर्नामेंट का आयोजन करता है. इस वर्ष यह प्रतियोगिता मार्च के अंतिम सप्ताह में चंडीगढ़ में आयोजित की गई थी. इसमें 13 राज्यों से सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बालकों ने भाग लिया. छत्रपति संभाजीनगर के 13 वर्षीय रुद्र पांडे ने भी इस टूर्नामेंट में भाग लिया. रुद्र पिछले कुछ वर्षों से कराटे की ताइक्वांडो शैली सीख रहे हैं. वह रोज सुबह स्कूल जाते थे और शाम को दो घंटे अभ्यास करते थे. एमेच्योर ताइक्वांडो एसोसिएशन के अध्यक्ष केडी शार्दुल, सचिव नीरज बोरसे, लता कलवार सहित अन्य सदस्यों ने उनका उत्साह बढ़ाया. इसके चलते रुद्र के पिता सुशांत पांडे ने राय व्यक्त की कि वह राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले सकता है.
रूद्र पांडे को 70 फीसदी बीमारी
रुद्र पांडे आठवीं कक्षा में पढ़ता है, रुद्र सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है. सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क से संबंधित एक बीमारी है. चूँकि जन्म के समय मस्तिष्क सामान्य रूप से विकसित नहीं होता है, इसलिए शरीर में कमजोरी और बीमारियां आ जाती हैं. रूद्र पांडे को 70 फीसदी बीमारी है. उसे अक्सर चक्कर आना, दौरे पड़ने के लक्षण दिखाई देते हैं. उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त है. उनकी एक आंख से भी कम दिखाई देता है. इस बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमाया है. उन्होंने कहा, यह सब परिवार के समर्थन के कारण संभव हो सका.
क्या है 'सेरेब्रल पाल्सी' बिमारी
सेरेब्रल पाल्सी एक बहुत ही दर्दनाक बीमारी मानी जाती है. इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल के लिए हमेशा एक व्यक्ति की आवश्यकता होती है. इसलिए ऐसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल करना कभी-कभी परिवार के लिए भी मुश्किल हो जाता है. लेकिन रुद्र के परिवार के सदस्यों ने उसके मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने में उसकी मदद की. उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि वह इस बीमारी से पीड़ित हैं. उसके साथ एक सामान्य लड़के की तरह व्यवहार किया और उसे कराटे जैसे खेल में दाखिला दिलाया. खेलों से उन्हें अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद मिली. दूसरी ओर, उनके मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ क्योंकि उन्होंने अपने मन में दृढ़ता से स्थापित कर लिया कि उन्हें कोई बीमारी नहीं है. रुद्र की मां गौरी पांडे ने कहा, उसने धीरे-धीरे खेल सीखना शुरू किया और इसके माध्यम से अपनी बीमारी को नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीता.