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केरल के ट्रैक एंड फील्ड एथलीट अब्दुल्ला अबुबकर ट्रिपल जंप के लिए तैयार, आज करेंगी चुनौती पेश - Paris Olympics 2024

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By ETV Bharat Sports Team

Published : Aug 7, 2024, 9:09 PM IST

Updated : Aug 7, 2024, 10:44 PM IST

Paris Olympics 2024: केरल से ताल्लुक रखने वाले भारत के ट्रैक और फील्ड एथलीट अब्दुल्ला अबुबकर, चल रहे पेरिस ओलंपिक 2024 में ट्रिपल जंप स्पर्धा में भाग लेते हुए फाइनल में जगह बनाने की कोशिश करेंगे, अगर वह पदक जीतते हैं, तो वह भारत के लिए ट्रिपल जंप में पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय एथलीट बन जाएंगे. पढ़िए पूरी खबर...

Abdullah Abubakar
अब्दुल्ला अबुबकर (ETV Bharat)

कोझिकोड (केरल): कोझिकोड के होनहार ट्रिपल जंपर अब्दुल्ला अबुबकर आज रात 10:45 बजे पेरिस ओलंपिक में ट्रिपल जंप इवेंट के क्वालीफाइंग राउंड में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं. नादापुरम वलयम का पूरा गांव अपने स्थानीय नायक के प्रदर्शन का बेसब्री से इंतजार करते हुए टीवी स्क्रीन पर चिपका रहेगा. अबुबकर के पिता अबुबकर ने अपनी उम्मीदें जाहिर कीं और सभी से प्रार्थना करने का आह्वान किया. उन्होंने ईटीवी भारत से कहा, 'मेरे बेटे को प्रतियोगिता जीतने, पदक जीतने और आगे बढ़ने के लिए सभी की प्रार्थनाओं की जरूरत है'.

अब्दुल्ला के शिक्षक ने बोली बड़ी बात
अब्दुल्ला के शिक्षक और वलयम के मूल निवासी पीके खालिद मास्टर ने कहा, 'नादापुरम वलयम के निवासी अब्दुल्ला के जीवन भर के सपने को साकार होते देखकर बहुत खुश हैं. उसका सपना ओलंपिक खेलों में भाग लेना था. वह सपना अब पूरा हो गया है. अब उसका लक्ष्य ओलंपिक पदक जीतना है. अगर वह आज अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाता है, तो यह संभव है. उसके माता-पिता ने हमेशा उसका साथ दिया है. हर कोई उम्मीद के साथ इंतजार कर रहा है'.

दोस्तों के बीच "अब्दु" के नाम से मशहूर अब्दुल्ला अबुबकर कोझीकोड जिले के नादापुरम के पास वलयम गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा पलक्कड़ जिले में पूरी की. अपने स्कूली दिनों के दौरान, उन्होंने स्प्रिंट, हाई जंप, लॉन्ग जंप और हर्डल जैसी कई स्पर्धाओं में भाग लिया. पलक्कड़ के कल्लदी कुमारमपुथुर एचएसएस में नौवीं कक्षा में उन्हें एहसास हुआ कि ट्रिपल जंप ही उनका असली लक्ष्य है. एक साल बाद, उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीता और 2013-14 में राज्य स्कूल खेलों में एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी के रूप में उभरे.

अबुबकर ने बाद में कोथमंगलम के मार अथानासियस कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढ़ाई की. 2015 में, वे जूनियर वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बने और हॉरिजॉन्टल जंप के सहायक कोच हरिकृष्णन के तहत SAI बैंगलोर में प्रशिक्षण लिया. उन्होंने बर्मिंघम में आयोजित 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने पांचवें प्रयास में 17.02 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक जीता, और 17 मीटर की छलांग तीन बार पार करने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए. एशियाई खेलों में अबुबकर पदक जीतने से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे.

चोट से लड़कर यहां पहुंचे है अब्दुल्ला
पैर, घुटने और टखने में लगी चोटों के बावजूद अब्दुल्ला का दृढ़ संकल्प कभी कम नहीं हुआ. उन्होंने भुवनेश्वर में आयोजित भारतीय ग्रां प्री एथलेटिक्स में 17.19 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक जीता, जो रंजीत माहेश्वरी के बाद किसी भारतीय ट्रिपल जंपर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. उन्होंने चेन्नई में राष्ट्रीय सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 17.14 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक भी जीता. 2017 में अब्दुल्ला ने खेल कोटे के तहत भारतीय वायु सेना में नौकरी हासिल की, जो उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है. पेरिस में प्रतिस्पर्धा करते हुए अब्दुल्ला न केवल ओलंपिक पदक की तलाश में हैं, बल्कि पूरे गाँव के सपनों और उम्मीदों को भी पूरा करना चाहते हैं.

ये खबर भी पढ़ें : विनेश फोगट की जेपी नड्डा ने की प्रशंसा, कहा- 'आपकी अयोग्यता ने लाखों भारतीयों की उम्मीदों को तोड़ दिया

कोझिकोड (केरल): कोझिकोड के होनहार ट्रिपल जंपर अब्दुल्ला अबुबकर आज रात 10:45 बजे पेरिस ओलंपिक में ट्रिपल जंप इवेंट के क्वालीफाइंग राउंड में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं. नादापुरम वलयम का पूरा गांव अपने स्थानीय नायक के प्रदर्शन का बेसब्री से इंतजार करते हुए टीवी स्क्रीन पर चिपका रहेगा. अबुबकर के पिता अबुबकर ने अपनी उम्मीदें जाहिर कीं और सभी से प्रार्थना करने का आह्वान किया. उन्होंने ईटीवी भारत से कहा, 'मेरे बेटे को प्रतियोगिता जीतने, पदक जीतने और आगे बढ़ने के लिए सभी की प्रार्थनाओं की जरूरत है'.

अब्दुल्ला के शिक्षक ने बोली बड़ी बात
अब्दुल्ला के शिक्षक और वलयम के मूल निवासी पीके खालिद मास्टर ने कहा, 'नादापुरम वलयम के निवासी अब्दुल्ला के जीवन भर के सपने को साकार होते देखकर बहुत खुश हैं. उसका सपना ओलंपिक खेलों में भाग लेना था. वह सपना अब पूरा हो गया है. अब उसका लक्ष्य ओलंपिक पदक जीतना है. अगर वह आज अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाता है, तो यह संभव है. उसके माता-पिता ने हमेशा उसका साथ दिया है. हर कोई उम्मीद के साथ इंतजार कर रहा है'.

दोस्तों के बीच "अब्दु" के नाम से मशहूर अब्दुल्ला अबुबकर कोझीकोड जिले के नादापुरम के पास वलयम गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा पलक्कड़ जिले में पूरी की. अपने स्कूली दिनों के दौरान, उन्होंने स्प्रिंट, हाई जंप, लॉन्ग जंप और हर्डल जैसी कई स्पर्धाओं में भाग लिया. पलक्कड़ के कल्लदी कुमारमपुथुर एचएसएस में नौवीं कक्षा में उन्हें एहसास हुआ कि ट्रिपल जंप ही उनका असली लक्ष्य है. एक साल बाद, उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीता और 2013-14 में राज्य स्कूल खेलों में एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी के रूप में उभरे.

अबुबकर ने बाद में कोथमंगलम के मार अथानासियस कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढ़ाई की. 2015 में, वे जूनियर वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बने और हॉरिजॉन्टल जंप के सहायक कोच हरिकृष्णन के तहत SAI बैंगलोर में प्रशिक्षण लिया. उन्होंने बर्मिंघम में आयोजित 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने पांचवें प्रयास में 17.02 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक जीता, और 17 मीटर की छलांग तीन बार पार करने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए. एशियाई खेलों में अबुबकर पदक जीतने से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे.

चोट से लड़कर यहां पहुंचे है अब्दुल्ला
पैर, घुटने और टखने में लगी चोटों के बावजूद अब्दुल्ला का दृढ़ संकल्प कभी कम नहीं हुआ. उन्होंने भुवनेश्वर में आयोजित भारतीय ग्रां प्री एथलेटिक्स में 17.19 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक जीता, जो रंजीत माहेश्वरी के बाद किसी भारतीय ट्रिपल जंपर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. उन्होंने चेन्नई में राष्ट्रीय सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 17.14 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक भी जीता. 2017 में अब्दुल्ला ने खेल कोटे के तहत भारतीय वायु सेना में नौकरी हासिल की, जो उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है. पेरिस में प्रतिस्पर्धा करते हुए अब्दुल्ला न केवल ओलंपिक पदक की तलाश में हैं, बल्कि पूरे गाँव के सपनों और उम्मीदों को भी पूरा करना चाहते हैं.

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Last Updated : Aug 7, 2024, 10:44 PM IST
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