पेरिस: भारतीय महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी ने कहा है कि वह तब तक हार नहीं मानेंगी जब तक वह पोडियम पर नहीं पहुंच जातीं. उनका मानना है कि वह चार साल में लॉस एंजिल्स में पोडियम पर पहुंच सकती हैं. दीपिका के लिए हमेशा से यह सबसे बड़े मंच पर दबाव की स्थिति में पर्याप्त धैर्य नहीं दिखा पाने का मामला रहा है. दीपिका ने इंडिया हाउस में पीटीआई से खास बातचीत में कहा, 'जाहिर है, मैं भविष्य में और खेलना चाहती हूं और अपना खेल जारी रखूंगी'.
मैं हार नहीं मानूंगी - दीपिका
दीपिका ने कहा, 'मैं वास्तव में ओलंपिक पदक जीतना चाहती हूं और जब तक मैं इसे हासिल नहीं कर लेती, मैं हार नहीं मानूंगी. मैं कड़ी मेहनत करूंगी और मजबूती से वापसी करूंगी. सबसे पहले मैं खुद को और मजबूती से पेश करूंगी. कई चीजें हैं, जैसे तेज शूटिंग, जिसके बारे में मुझे थोड़ा और सीखने की जरूरत है और खुद को उसी के अनुसार प्रशिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है. मैंने ओलंपिक से जो सीखा है, वह यह है कि देर से शूटिंग करना काम नहीं आता, आपके पास बड़ी गलतियां करने की कोई गुंजाइश नहीं है, इसलिए आपको उस पर नियंत्रण रखना होगा. मैं यहीं से सीखूंगी'.
Women's Individual Recurve, 1/8 Elimination Round
— SAI Media (@Media_SAI) August 3, 2024
In a display of dominant archery, Deepika Kumari beats Germany’s🇩🇪 Michelle Kroppen 6-4.
She will face the winner between Romania's 🇷🇴 Madalina Amaistroaie and South Korea's 🇰🇷 Nam Su-Hyeon in the quarterfinal at 4.30 pm IST.… pic.twitter.com/15MP6b7kwD
शंघाई विश्व कप के सेमीफाइनल में पराजित कोरियाई तीरंदाज नाम सुहयोन के सामने दीपिका ने दो सेट की बढ़त ले ली, लेकिन दूसरे सेट को भुना नहीं सकीं. उन्होंने 7 अंकों के रेड रिंग में निशाना साधा और कोरियाई तीरंदाज ने 6-4 से जीत दर्ज कर ली. इसके साथ ही दीपिका मैच हार गईं. हालंकि नाम को रजत पदक से संतोष करना पड़ा था.
मैं पदक जीतना चाहती हूं - दीपिका
इस परिणाम को याद करते हुए दीपिका ने कहा, 'मैं नर्वस नहीं थी. मैं मजबूती से खेल रही थी, लेकिन एक शॉट (7 अंक का) वास्तव में गलत हो गया और यही कारण था कि मैं मैच हार गई. कुल मिलाकर, यह एक अच्छा अनुभव था. अगले ओलंपिक में मैं मानसिक रूप से मज़बूत होना चाहती हूं और पदक जीतना चाहती हूं मैं वास्तव में ओलंपिक पदक जीतना चाहती हूं. वीज़ा में देरी के कारण तीरंदाज़ों के पास मिश्रित टीम स्पर्धा से ठीक पहले तक भारत की खेल मनोवैज्ञानिक गायत्री वर्तक मौजूद नहीं थीं.