लाहौर (पाकिस्तान) : पाकिस्तान के अरशद नदीम को 2024 पेरिस ओलंपिक की तैयारी के दौरान सुविधाओं के मामले में संघर्ष करना पड़ा, लेकिन पाकिस्तान ने स्वर्ण जीतने की उनकी उपलब्धि का जश्न मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लाहौर पहुंचने पर एथलीट का हीरो जैसा स्वागत किया गया और भीड़ भी पागल हो गई. उनके स्वागत में पानी की सलामी दी गई, ठीक उसी तरह जैसे पिछले महीने मुंबई फायर ब्रिगेड (एमएफबी) ने टी20 विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम का स्वागत किया था.
Water canon salute to Turkish Airline plane at Lahore airport carrying Pakistans 🇵🇰 first ever individual Olympic Gold Medalist🥇 Arshad Nadeem. pic.twitter.com/BXTIaGZ8tu
— 🇵🇰عمران غنی (@Imranghani77) August 10, 2024
अरशद नदीम ने जीता स्वर्ण पदक
पिछले ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा को स्वर्ण पदक जीतने के लिए कई लोगों ने बहुत सराहा था, लेकिन नदीम ने भाला फेंक के फाइनल में 92.97 मीटर की दूरी तय करके ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ दिया. उन्होंने 2008 बीजिंग खेलों में नॉर्वे के एंड्रियास थोरकिल्डसन के 90.57 मीटर के ओलंपिक रिकॉर्ड को तोड़ा. साथ ही, नदीम ओलंपिक के इतिहास में पाकिस्तान के पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बने. साथ ही, यह बार्सिलोना में 1992 के खेलों के बाद से देश का पहला पदक था.
Huge Huge Huge respect for #Arshad_Nadeem ❤️❤️❤️❤️❤️👌👌👌#ArshadNadeem #Paris2024 pic.twitter.com/5pg7iuuGTL
— Qadir Khawaja (@iamqadirkhawaja) August 11, 2024
लाहौर में अरशद नदीम का हुआ भव्य स्वागत
27 वर्षीय खिलाड़ी रविवार को लाहौर हवाई अड्डे पर पहुंचे और उनका स्वागत वाटर कैनन सलामी के साथ किया गया. फैंस में बहुत उत्साह था और वे ज़ोरदार नारे लगा रहे थे. फिर वह अपने पिता से मिले और दोनों गले मिले. उसके बाद उनके पिता ने उनके गले में माला पहनाई. भीड़ 'अरशद नदीम अमर रहे! पाकिस्तान अमर रहे!' के नारे लगा रही थी. इसके बाद पाकिस्तानी एथलीट ने एक खुली बस परेड में हिस्सा लिया.
Arshad Nadeem's success story should be taught in schools across Pakistan. Son of a bricklayer from a small town Mian Channu won Gold medal in the Olympics, among 10,700 athletes from 206 countries 🇵🇰❤️❤️❤️#Paris2024 #Olympics pic.twitter.com/0AuyX1gLah
— Farid Khan (@_FaridKhan) August 11, 2024
नदीम की प्रेरणादायक कहानी
नदीम का करियर ग्राफ एक प्रेरणादायक कहानी है. उनका जन्म और पालन-पोषण पाकिस्तान के ग्रामीण पंजाब में मिट्टी के ईंटों वाले घर में हुआ था. बचपन में उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए घर पर बनाए गए भाले ही उनके अभ्यास का एकमात्र साधन थे. पाकिस्तानी एथलीट गेहूं के खेतों में इस खेल का अभ्यास करते थे.