नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों में से एक एमएस धोनी आज अपना 43वां जन्मदिन मना रहे हैं. कैप्टन कूल के नाम से मशहूर कप्तान एमएस धोनी ने झारखंड से अपना सफर शुरू किया और अपनी पावर-हिटिंग और बेहतरीन फिनिशिंग के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बड़ी सफलता हासिल की.
उनकी कहानी धैर्य, सफल होने की भूख और अंत में एक शानदार भविष्य को आकार देने की है. धोनी हमेशा से क्रिकेटर्स के लिए प्रेरणा रहे हैं. खेल में एक उज्ज्वल करियर को आकार देने की दिशा में उनका पहला कदम उनके शहर रांची से से शुरू हुआ, जब रांची के क्रिकेट जगत में उनके बारे में चर्चा होने लगी.
यह युवा लड़का जो ताकत के बिना भी अपनी इच्छानुसार सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों को छकाता था. लेकिन, सिस्टम उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में विफल रहा क्योंकि टियर-ए शहरों के खिलाड़ी उनसे पहले राष्ट्रीय टीम में जगह बना चुके थे. लंबे बालों वाले इस युवा लड़के ने फिर रेलवे के लिए टिकट कलेक्टर के रूप में काम करना शुरू किया और उनकी रणजी टीम में शामिल हो गए. इसके बाद प्रशिक्षण अनुसंधान विकास विंग के स्काउट्स ने धोनी को देखकर उनका हुनर पहचाना.
केन्या के खिलाफ किया अंतरराष्ट्रीय डेब्यू
विकेटकीपर-बल्लेबाज को जल्द ही केन्या के भारत ए दौरे पर भेज दिया गया. दाएं हाथ के बल्लेबाज ने उस दौरे पर अपने पावर-हिटिंग कौशल का प्रदर्शन किया और नवंबर 2004 में राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने का रास्ता साफ किया.
अपने पहले कुछ वर्षों में ही, पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ शानदार पारियों के साथ अपने टेलेंट का परिचय दिया. धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 148 रन बनाए और अगले साल एक कदम और आगे बढ़कर नाबाद 183 रनों की पारी खेलकर तहलका मचा दिया. इसके बाद इस शानदार फिनिशर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने एक बेहतरीन व्हाइट-बॉल करियर बनाया और अक्सर अपनी फिनिशिंग से टीम को जीत दिलाई.
शानदार हैं धोनी के आंकड़े
धोनी ने टेस्ट में 38.09 की औसत से 4876 रन और 50.58 की औसत से 10773 वनडे रन बनाए हैं. उन्होंने अपने करियर में 126.13 की स्ट्राइक रेट से 1617 टी20 रन भी बनाए हैं. दुनिया हमेशा धोनी को 2011 के वनडे विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में लगाए गए उनके शानदार छक्के के लिए याद रखेगी. वह पूरे टूर्नामेंट में फॉर्म में नहीं थे, लेकिन उन्होंने इस महत्वपूर्ण इवेंट के फाइनल में नाबाद 91 रनों की पारी खेली और महत्वपूर्ण मोड़ पर टीम को खिताब दिलाने में मदद की.
कप्तानी में टीम ने हासिल की खास उपलब्धियां
राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर जैसे भारतीय टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों ने धोनी को अगले कप्तान के रूप में सुझाया था और यह कदम लंबे समय में राष्ट्रीय टीम के लिए फायदेमंद साबित हुआ. उनके नेतृत्व में भारत ने तीन ICC ट्रॉफी जीतीं. उन्होंने 2007 में टी20 विश्व कप का पहला संस्करण जीता, 2009 में टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर पहुंचे, 2011 में वनडे विश्व कप जीता और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में विजयी हुए.
2007 में मिला भारत को पहला खिताब
कैप्टन कूल का पहला काम 2007 का टी20 विश्व कप था, जिसमें उन्होंने कई युवा खिलाड़ियों को जीत दिलाई. अनुभवहीन टीम की विश्व कप जीत ने सभी को चौंका दिया और इसने भारतीय क्रिकेट में एक क्रांति की नींव रखी. साथ ही, धोनी ने फाइनल के आखिरी ओवर में जोगिंदर शर्मा को गेंदबाजी करने जैसे कुछ अजीब फैसले लिए और उन्हें इसका फायदा भी मिला. उनकी चतुर कप्तानी का एक और संकेत यह था कि उन्होंने खिलाड़ियों को बॉल-आउट का अभ्यास कराया और पाकिस्तान के खिलाफ मैच टाई होने पर यह कारगर साबित हुआ.
धोनी की कप्तानी में मिला दूसरी वनडे वर्ल्ड कप ट्रॉफी
कप्तानी की अगली बड़ी उपलब्धि 2011 के वनडे विश्व कप में भारत की जीत थी. इस टूर्नामेंट में सचिन तेंदुलकर भारत के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे, जिन्होंने 53.55 की औसत से 482 रन बनाए थे. साथ ही, जहीर खान 21 विकेट लेकर टूर्नामेंट में संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे और उन्होंने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी.
चैंपियन ट्रॉफी में धोनी ने किया कमाल
धोनी की कप्तानी में ICC इवेंट में अगला अविश्वसनीय अभियान 2013 में आया, जब टीम ने बदलाव के दौर से गुजरने के बाद ICC चैंपियंस ट्रॉफी जीती. कैप्टन कूल ने कुछ कठिन चयन निर्णय लिए और उन्होंने चैंपियंस की एक टीम बनाई. इस जीत ने उन्हें इतिहास में तीनों ICC ट्रॉफी - ODI विश्व कप, T20 विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाला पहला कप्तान बना दिया और उन्होंने इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज करा लिया.
धोनी ने वनडे में 55 प्रतिशत मैचों में जीत हासिल की है. उन्होंने 200 वनडे मैचों में में से 110 मैच जीते हैं जबकि, उनकी कप्तानी में टीम ने 74 T20I में से 41 मैच जीते हैं.
एतिहासिक दिन लिया संन्यास
भारतीय क्रिकेट के दिग्गज कप्तान एमएस धोनी ने भारत के एतिहासिक दिन 15 अगस्त 2020 को क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी. धोनी ने 2019 वनडे विश्व कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना आखिरी वनडे मुकाबला खेला था जहां, भारत को दिल तोड़ने वाली हार का सामना करना पड़ा था. तब से संन्यास की आधिकारिक घोषणा तक एमएस धोनी ने एक भी मैच नहीं खेला. 30 दिसंबर, 2014 को धोनी ने रेड बॉल क्रिकेट से संन्यास लिया, जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉक्सिंग डे टेस्ट के बाद धोनी ने लाल गेंद वाले क्रिकेट को अलविदा कह दिया.