नालंदा: मलेशिया में दो दिवसीय एशियन रग्बी अंडर-18 चैंपियनशिप का आगाज 28 सितंबर से हो रहा है. भारतीय टीम में पहली बार बिहार से 8 खिलाड़ी का चयन किया गया है. इसमें से बालक वर्ग में 4 और बालिका वर्ग में 4 खिलाड़ी हैं. इनमें अंडर-18 बालक वर्ग में गोल्डन, रितेश रंजन, सागर प्रकाश और रोहित कुमार हैं, जबकि बालिका वर्ग में सलोनी कुमारी, अंशु, आरती और चांदनी शामिल हैं. यह गेम्स मलेशिया के जोहोर में 28 और 29 सितंबर को होगी.
नालंदा के रितेश मलेशिया मलेशिया में चलेगा जादू: बिहार के नालंदा जिले की रहने वाले रितेश रंजन ने रग्बी के जरिए दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. माता-पिता के नाराजगी के बाद भी रितेश जोश व जुनून से खेलना शुरू किया. उनके पिता विजय कुमार की इच्छा थी वह पढ़ लिखकर बड़ा अफसर बने लेकिन रितेश के खेल के जूनून के आगे माता-पिता को झुकना पड़ा.
पढ़ाई में नहीं लगता था मन: रितेश के पिता विजय कुमार ने बताया कि 2017 में मोहल्ले के रग्बी कोच गौरव सिंह से रितेश की मुलाकात हुई. उसके बाद रितेश बिना बताये प्रशिक्षण करने लगा. उन्होंने बताया कि एक दिन रितेश घर वालों को बता दिया कि पढ़ाई में मन नहीं लगता है इसलिए खेल के क्षेत्र में ही कुछ आगे करना चाहता हूं. उसके बाद से रितेश कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज रग्बी खेलने मलेशिया जा रहा है. इससे पूरा परिवार काफी खुश है.
"रग्बी अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में शामिल होने से पूरा परिवार काफ़ी खुश हैं. बेटा पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेलने के लिए मलेशिया जा रहा है. रग्बी प्रतियोगिता मलेशिया के जोहोर में 28 और 29 सितंबर को होगी. मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय रग्बी टीम चैंपियन बनेगा." -विजय कुमार, रितेश के पिता
नालंदा जिला रग्बी को कोच है रितेश: रितेश नालंदा जिला का रग्बी कोच हैं. करीब 3 साल से मुख्यालय बिहारशरीफ के सदर अस्पताल के पीछे मगध कॉलोनी में किराए के मकान में परिवार के साथ रहते हैं. रितेश 6 राष्ट्रीय रग्बी चैंपियनशिप में खेल चुके हैं. पहली बार अंतर्राष्ट्रीय रग्बी चैंपियनशिप में खेलने के लिए मलेशिया जा रहे हैं. रितेश मूलत: पटना के बाढ़ अनुमंडल क्षेत्र के चिंतामन चक गांव के रहने वाले हैं.
उम्र कम होने की वजह से नहीं हुई दारोगा की नौकरी: रितेश की मां जयंती कुमारी आंगनबाड़ी सेविका के पद पर कार्यरत हैं. रितेश की मां ने बताया कि 18 साल पूरा नहीं होने की वजह से मेडल लाओ इनाम पाओ के लिए दारोगा के लिए चयनित हुआ. लेकिन 18 साल पूरा नहीं हुआ था इसलिए नौकरी नहीं हुई है. राज्य और राष्ट्र स्तर पर कई सम्मान के साथ मेडल जीत के लाया है. रितेश आज बहुत गर्व होता है कि परिवार के साथ अपना और देश का नाम रोशन करे.
ये भी पढ़ें
19 साल की उम्र में पुलिस अधिकारी बनी धर्मशीला कुमारी ब्यूटी, जानें कामयाबी की कहानी
पिता किसान हैं, लोग खेलने पर मजाक उड़ाते थे, आज बिहार की यह बेटी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा रही मान