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क्रिकेट को जिसने भारत में दिलाया मुकाम, जानिए कौन हैं इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की बैंड बजाने वाले लाला अमरनाथ - Who is Lala Amarnath

Lala Amarnath Birthday: लाला अमरनाथ के बारे में आपमें से शायद कुछ लोग ना जानते हों, क्योंकि वो भारतीय टीम में उस समय खेलते थे, जब आपमें से शायद कई लोगों का जन्म ना हुआ हो लेकिन आज हम आपको उनके बारे में बताने वाले हैं कि वो कौन थे. पढ़िए पूरी खबर...

lala amarnath
लाला अमरनाथ (IANS PHOTOS)
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By IANS

Published : Sep 11, 2024, 9:38 AM IST

Updated : Sep 11, 2024, 1:53 PM IST

नई दिल्ली: लाला अमरनाथ आजाद भारत के पहले कप्तान थे. वो एक ऐसे क्रिकेटर जिन्होंने भारत के लिए पहला टेस्ट शतक लगाया. वो भी उन्होंने अपने डेब्यू मैच में लगाया था. यह मुकाबला जिमखाना ग्राउंड पर साल 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया था. इससे एक साल पहले ही भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला था. उन दिनों क्रिकेट पर इंग्लैंड का दवदबा था.

कौन है लाला अमरनाथ
एक साधारण बैकग्राउंड से आए लाला अमरनाथ क्रिकेट पर शाही वर्चस्व के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले क्रिकेटर भी थे. उन्होंने डोनाल्ड ब्रैडमैन को भी पहली बार हिट विकेट आउट किया था. भारतीय क्रिकेट में कई मायनों में 'पहले' व्यक्ति लाला अमरनाथ का जन्म आज ही दिन 11 सितंबर को कपूरथला (पंजाब) में हुआ था, उस दौर में लाला अमरनाथ ने 24 टेस्ट मैच खेले थे और उनकी औसत मात्र 24.38 की थी.

इतनी साधारण औसत वाला खिलाड़ी असाधारण कैसे हुआ था? इस बात का जवाब उस दौर में लाला के प्रभाव से मिलता है. रणजीत सिंह जहां पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट टीम में जगह बनाकर दुनिया को भारतीय प्रतिभा से परिचित कराया था, तो लाला अमरनाथ ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने आमजन तक क्रिकेट को पहुंचाने में बड़ी भूमिका अदा की थी. उनके तीन बेटों में दो भारतीय क्रिकेट के लिए खेले थे. 1983 की विश्व कप विजेता टीम के मोहिंदर अमरनाथ उनके ही बेटे हैं.

लाला अमरनाथ ने पक्के इरादे, तेज क्रिकेट दिमाग क्रिकेट पर गहरा प्रभाव छोड़ा था. तब क्रिकेट राजनीति भी काफी हावी थी. अस्थिरता के इस दौर में अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के मुख्य चेहरे के तौर पर खड़े रहे थे. क्रिकेट को लेकर समझ इतनी गहरी थी कि उनके रिटायरमेंट के बाद लिए गए फैसलों का भी बड़ा दूरगामी प्रभाव हुआ था. वह पहले भारतीय कप्तान थे जिसने लगातार 10 टेस्ट मैचों तक टीम को लीड किया था. 15 टेस्ट मैचों तक उनकी कप्तानी चली जिसमें भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज की थी. 1952 में फिरोजशाह कोटला में खेला गया यह मुकाबला भारतीय प्रभुत्व की छाप छोड़ने वाला साबित हुआ था.

इन फैसलों से लाला ने सबको चौंकाया
पाकिस्तान के खिलाफ 1952 में ही ईडन गार्डन्स में हुए टेस्ट मैच के बाद लाला ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. लेकिन यह क्रिकेट में उनके योगदान का अंत नहीं बल्कि एक और शुरुआत थी. उन्होंने संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट के चयनकर्ता, मैनेजर, कोच और प्रसारक के रूप में काम किया था. चयनकर्ता के अध्यक्ष के तौर पर 1959-60 का किस्सा बड़ा चर्चित है जब उन्होंने एक ऐसे ऑफ स्पिनर (जसु पटेल) की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एंट्री कराई थी जो दूर-दूर तक टीम का हिस्सा नहीं था.

कानपुर की पिच को पढ़ते ही उन्होंने यह फैसला लिया था. बाद में पटेल ने उस मैच में अपनी गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलिया की कमर तोड़ दी थी और भारत को एक ऐतिहासिक जीत मिली थी. ऐसे ही 1960 का एक किस्सा है जब ईरानी का सबसे पहला मैच हो रहा था. दिल्ली के करनैल सिंह स्टेडियम में खेले गए इस मैच में लाला के एक और फैसले ने उनकी क्रिकेट समझ को पुख्ता किया था. लाला तब रेस्ट ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. लेकिन मैच के समय उनको चोट लग गई थी. तब उन्होंने टीम की बैटिंग लाइन में एक ऐसे खिलाड़ी को उतारने का फैसला किया जो वास्तव में टीम का हिस्सा नहीं था.

यह था 12वां खिलाड़ी, तब यह एक तरह से क्रिकेट के नियमों की अवहेलना ही थी. लाला अमरनाथ और अंपायर इस पर राजी थे. प्रेम भाटिया को लाला अमरनाथ ने 12वें खिलाड़ी की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिन्होंने पहली पारी में 9वें और दूसरी पारी में तीसरे नंबर पर बैटिंग करते हुए क्रमश 22 और 50 रन बनाए थे. इसके सालों बाद आईसीसी ने सब्स्टीट्यूट का नियम लागू किया था. यानी एक ऐसा खिलाड़ी जो मूल रूप से टीम का हिस्सा नहीं होता था, लेकिन किसी चोट या ऐसी घटना के कारण टीम में जगह बना सकता था. 5 अगस्त, 2000 को भारतीय क्रिकेट के आइकन लाला अमरनाथ ने दुनिया को अलविदा कह दिया गया था.

ये खबर भी पढ़ें : भारत-बांग्लादेश के बीच कानपुर में इन दिन खेला जाएगा टेस्ट मैच, जानिए कैसा है सुरक्षा का बंदोबस्त

नई दिल्ली: लाला अमरनाथ आजाद भारत के पहले कप्तान थे. वो एक ऐसे क्रिकेटर जिन्होंने भारत के लिए पहला टेस्ट शतक लगाया. वो भी उन्होंने अपने डेब्यू मैच में लगाया था. यह मुकाबला जिमखाना ग्राउंड पर साल 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया था. इससे एक साल पहले ही भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला था. उन दिनों क्रिकेट पर इंग्लैंड का दवदबा था.

कौन है लाला अमरनाथ
एक साधारण बैकग्राउंड से आए लाला अमरनाथ क्रिकेट पर शाही वर्चस्व के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले क्रिकेटर भी थे. उन्होंने डोनाल्ड ब्रैडमैन को भी पहली बार हिट विकेट आउट किया था. भारतीय क्रिकेट में कई मायनों में 'पहले' व्यक्ति लाला अमरनाथ का जन्म आज ही दिन 11 सितंबर को कपूरथला (पंजाब) में हुआ था, उस दौर में लाला अमरनाथ ने 24 टेस्ट मैच खेले थे और उनकी औसत मात्र 24.38 की थी.

इतनी साधारण औसत वाला खिलाड़ी असाधारण कैसे हुआ था? इस बात का जवाब उस दौर में लाला के प्रभाव से मिलता है. रणजीत सिंह जहां पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट टीम में जगह बनाकर दुनिया को भारतीय प्रतिभा से परिचित कराया था, तो लाला अमरनाथ ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने आमजन तक क्रिकेट को पहुंचाने में बड़ी भूमिका अदा की थी. उनके तीन बेटों में दो भारतीय क्रिकेट के लिए खेले थे. 1983 की विश्व कप विजेता टीम के मोहिंदर अमरनाथ उनके ही बेटे हैं.

लाला अमरनाथ ने पक्के इरादे, तेज क्रिकेट दिमाग क्रिकेट पर गहरा प्रभाव छोड़ा था. तब क्रिकेट राजनीति भी काफी हावी थी. अस्थिरता के इस दौर में अमरनाथ भारतीय क्रिकेट के मुख्य चेहरे के तौर पर खड़े रहे थे. क्रिकेट को लेकर समझ इतनी गहरी थी कि उनके रिटायरमेंट के बाद लिए गए फैसलों का भी बड़ा दूरगामी प्रभाव हुआ था. वह पहले भारतीय कप्तान थे जिसने लगातार 10 टेस्ट मैचों तक टीम को लीड किया था. 15 टेस्ट मैचों तक उनकी कप्तानी चली जिसमें भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज की थी. 1952 में फिरोजशाह कोटला में खेला गया यह मुकाबला भारतीय प्रभुत्व की छाप छोड़ने वाला साबित हुआ था.

इन फैसलों से लाला ने सबको चौंकाया
पाकिस्तान के खिलाफ 1952 में ही ईडन गार्डन्स में हुए टेस्ट मैच के बाद लाला ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. लेकिन यह क्रिकेट में उनके योगदान का अंत नहीं बल्कि एक और शुरुआत थी. उन्होंने संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट के चयनकर्ता, मैनेजर, कोच और प्रसारक के रूप में काम किया था. चयनकर्ता के अध्यक्ष के तौर पर 1959-60 का किस्सा बड़ा चर्चित है जब उन्होंने एक ऐसे ऑफ स्पिनर (जसु पटेल) की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एंट्री कराई थी जो दूर-दूर तक टीम का हिस्सा नहीं था.

कानपुर की पिच को पढ़ते ही उन्होंने यह फैसला लिया था. बाद में पटेल ने उस मैच में अपनी गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलिया की कमर तोड़ दी थी और भारत को एक ऐतिहासिक जीत मिली थी. ऐसे ही 1960 का एक किस्सा है जब ईरानी का सबसे पहला मैच हो रहा था. दिल्ली के करनैल सिंह स्टेडियम में खेले गए इस मैच में लाला के एक और फैसले ने उनकी क्रिकेट समझ को पुख्ता किया था. लाला तब रेस्ट ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. लेकिन मैच के समय उनको चोट लग गई थी. तब उन्होंने टीम की बैटिंग लाइन में एक ऐसे खिलाड़ी को उतारने का फैसला किया जो वास्तव में टीम का हिस्सा नहीं था.

यह था 12वां खिलाड़ी, तब यह एक तरह से क्रिकेट के नियमों की अवहेलना ही थी. लाला अमरनाथ और अंपायर इस पर राजी थे. प्रेम भाटिया को लाला अमरनाथ ने 12वें खिलाड़ी की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिन्होंने पहली पारी में 9वें और दूसरी पारी में तीसरे नंबर पर बैटिंग करते हुए क्रमश 22 और 50 रन बनाए थे. इसके सालों बाद आईसीसी ने सब्स्टीट्यूट का नियम लागू किया था. यानी एक ऐसा खिलाड़ी जो मूल रूप से टीम का हिस्सा नहीं होता था, लेकिन किसी चोट या ऐसी घटना के कारण टीम में जगह बना सकता था. 5 अगस्त, 2000 को भारतीय क्रिकेट के आइकन लाला अमरनाथ ने दुनिया को अलविदा कह दिया गया था.

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Last Updated : Sep 11, 2024, 1:53 PM IST
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