नई दिल्ली : आईपीएल और अन्य देशों के घरेलू टूर्नामेंटों में विदेशी खिलाड़ियों का शामिल होना काफी सामान्य बात है. जिसमें अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी इंग्लैंड की काउंटी चैंपियनशिप और ऑस्ट्रेलिया के शेफील्ड शील्ड जैसी टूर्नामेंट में भाग लेते हैं. लेकिन भारत की रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में विदेशी खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति नहीं है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड विदेशी खिलाड़ियों को घरेलू टूर्नामेंटों में भाग लेने की अनुमति नहीं देता है. यह रणनीति भारतीय क्रिकेट के विकास की वजह से अपनाई गई है. भारतीय क्रिकेट बोर्ड के इस कदम के पीछे का कारण देश में उपलब्ध प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सामने लाना है. देश भर में काफी क्रिकेटर होने की वजह से बोर्ड का मानना है कि दलीप ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी को भारतीय खिलाड़ियों की सेवा करनी चाहिए.
विदेशी खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफी में खेलने की इजाजत ने देने के पीछे सा कारण साफ है. बीसीसीआई चाहता है कि स्थानीय भारतीय खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा और कौशल दिखाने का मंच मिल सके, और अपनी प्रतिभा और शानदार प्रदर्शन की वजह से वह राष्ट्रीय टीम में आसानी से जगह बना सके. इससे भारतीय युवा खिलाड़ियों को सुरक्षा मिलती है कि उनकी जगह कोई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी जगह नहीं ले सके.
भारत के घरेलू क्रिकेट में बेहद कॉम्पिटिशन है. जिसमें देश भर से 38 टीमें भाग लेती हैं. बीसीसीआई की रणनीति ने सुनिश्चित किया है कि यह प्रतियोगिता भविष्य के अंतरराष्ट्रीय सितारों के लिए एक कठोर परीक्षण का मैदान बनी रहे.
दूसरी ओर, काउंटी क्रिकेट इंग्लैंड में खेला जाने वाला टूर्नामेंट है और इसका संचालन इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड करता है. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड क्रिकेट एक खिलाड़ी को खेलने की अनुमति देते हैं. यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, वेस्टइंडीज, पाकिस्तान और श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के पास विदेशी खिलाड़ियों को अपने घरेलू रेड-बॉल प्रतियोगिताओं में भाग लेने की अनुमति देने का प्रावधान है, हालांकि, ऐसा बहुत कम मौकों पर होता है.
इसके विपरीत, बीसीसीआई ने विदेशी क्रिकेटरों के लिए भारत के घरेलू सर्किट में खेलने का अवसर बंद कर दिया है. हालांकि, पहले ऐसे बहुत कम मौके आए हैं जब विदेशी खिलाड़ियों ने भारतीय घरेलू क्रिकेट में भाग लिया हो.