चेन्नई: यशवर्धन सिंह ने जैसे ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2023 में स्वर्ण पदक जीता तो इस अवसर पर उनके पिता सत्यजीत ने बेटे की उपलब्धि पर गर्व करते हुए कहा कि ये एक लंबी यात्रा में महज छोटे कदम हैं. बुधवार को टीएनपीईएसयू कॉम्प्लेक्स में 60-63 किग्रा फाइनल में जीत हासिल की. खेलो इंडिया यूथ गेम्स में अपने प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं गुवाहाटी में एक प्रतिभागी था और फिर पुणे में रजत पदक विजेता और अब यहां स्वर्ण पदक विजेता हूं'.
यशवर्धन की यात्रा छठी कक्षा में शुरू हुई और धीरे-धीरे उन्होंने अपना नाम इस क्षेत्र में अपने प्रदर्शन के दम पर बनाया. सिक्किम में राष्ट्रीय युवा मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक एक महत्वपूर्ण क्षण था. यह यात्रा सब जूनियर और जूनियर एशियाई स्तरों पर सफलता के साथ जारी रही, जिससे बॉक्सिंग रिंग में एक मजबूत ताकत के रूप में यशवर्धन की स्थिति मजबूत हो गई. यशवर्धन के करियर लक्ष्य केवल उनकी व्यक्तिगत खोज नहीं हैं. यह उनके पिता का साझा सपना है,
यशवर्धन के पिता अपने बेटे को ओलंपिक में प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक जीतते देखने की इच्छा रखते हैं. उनके पिता का कहना है, 'मैं चाहता हूं कि वह ओलंपिक पदक जीते जिसका मैं केवल सपना देख सकता हूं'. उनके परिवार के लिए बॉक्सिंग सिर्फ एक खेल नहीं है. यह एक विरासत है. जब भी कोई युवा बॉक्सिंग रिंग में उतरता है, तो पिता और पुत्र की जोड़ी एक साथ अपने सपनों का भार लेकर जीत और गौरव की कहानी लिखने पर केंद्रित होती है.