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एमएस धोनी के मानहानि मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट ने की स्थगित - IPL Gambling

MS Dhoni's defamation case : मद्रास उच्च न्यायालय ने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी द्वारा आईपीएल जुए के संबंध में एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ दायर मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है. पढे़ं पूरी खबर.

Madras High Court and MS Dhoni
मद्रास हाईकोर्ट और एमएस धोनी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Aug 20, 2024, 7:48 PM IST

चेन्नई (तमिलनाडु) : 2014 में, पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मद्रास उच्च न्यायालय में आईपीएस अधिकारी संपत कुमार, जी मीडिया कॉर्पोरेशन और अन्य के खिलाफ आईपीएल जुए के मामले पर एक टेलीविजन बहस के दौरान उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी फैलाने के लिए मानहानि का मामला दायर किया था.

एमएसडी ने याचिका में यह भी उल्लेख किया कि, उन्हें 100 करोड़ रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया जाना चाहिए. आईपीएस अधिकारी संपत कुमार पर 2014 में हुई घटना के संबंध में प्रेस को इंटरव्यू न देने पर अंतरिम प्रतिबंध लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इन आदेशों के खिलाफ मामले पर रोक लगा दी.

जब यह मामला पिछली बार न्यायाधीश ए ए नक्कीरन के समक्ष सुनवाई के लिए आया था, तो निजी टेलीविजन की ओर से बताया गया था कि चूंकि यह मामला उनके खिलाफ भी दायर किया गया है, इसलिए उन्हें मामले में शामिल किया जाना चाहिए और धोनी की ओर से जवाब देने का आदेश दिया जाना चाहिए.

इस पर धोनी के वकील ने आपत्ति जताई और कहा कि इतने सालों बाद केस में शामिल होने की दलील को स्वीकार नहीं करना चाहिए. इससे ट्रायल पर असर पड़ेगा. इसमें सीधे तौर पर सिर्फ जी टीवी का जिक्र है. बताया गया कि कोर्ट के फैसले से उन पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा। धोनी की दलील को खारिज करते हुए जज ने धोनी को नई दायर याचिका पर जवाब देने का आदेश दिया और सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए टाल दी.

इस मामले में आज (20 अगस्त) फिर सुनवाई हुई. तब धोनी और निजी टेलीविजन पक्ष को बताया गया कि बहस के लिए समय दिया जाना चाहिए. इसके बाद जज ने सुनवाई 3 सितंबर तक के लिए टाल दी.

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चेन्नई (तमिलनाडु) : 2014 में, पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मद्रास उच्च न्यायालय में आईपीएस अधिकारी संपत कुमार, जी मीडिया कॉर्पोरेशन और अन्य के खिलाफ आईपीएल जुए के मामले पर एक टेलीविजन बहस के दौरान उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी फैलाने के लिए मानहानि का मामला दायर किया था.

एमएसडी ने याचिका में यह भी उल्लेख किया कि, उन्हें 100 करोड़ रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया जाना चाहिए. आईपीएस अधिकारी संपत कुमार पर 2014 में हुई घटना के संबंध में प्रेस को इंटरव्यू न देने पर अंतरिम प्रतिबंध लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इन आदेशों के खिलाफ मामले पर रोक लगा दी.

जब यह मामला पिछली बार न्यायाधीश ए ए नक्कीरन के समक्ष सुनवाई के लिए आया था, तो निजी टेलीविजन की ओर से बताया गया था कि चूंकि यह मामला उनके खिलाफ भी दायर किया गया है, इसलिए उन्हें मामले में शामिल किया जाना चाहिए और धोनी की ओर से जवाब देने का आदेश दिया जाना चाहिए.

इस पर धोनी के वकील ने आपत्ति जताई और कहा कि इतने सालों बाद केस में शामिल होने की दलील को स्वीकार नहीं करना चाहिए. इससे ट्रायल पर असर पड़ेगा. इसमें सीधे तौर पर सिर्फ जी टीवी का जिक्र है. बताया गया कि कोर्ट के फैसले से उन पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा। धोनी की दलील को खारिज करते हुए जज ने धोनी को नई दायर याचिका पर जवाब देने का आदेश दिया और सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए टाल दी.

इस मामले में आज (20 अगस्त) फिर सुनवाई हुई. तब धोनी और निजी टेलीविजन पक्ष को बताया गया कि बहस के लिए समय दिया जाना चाहिए. इसके बाद जज ने सुनवाई 3 सितंबर तक के लिए टाल दी.

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