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आईओए ने कुश्ती की तदर्थ समिति को भंग किया, डब्ल्यूएफआई ने जिम्मा संभाला - IOA dissolves ad hoc committee

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने कुश्ती की तदर्थ समिति को भंग कर दिया है और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को कुश्ती का पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण दे दिया है.

IOA dissolves ad hoc committee
IOA dissolves ad hoc committee
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By PTI

Published : Mar 18, 2024, 8:04 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबन हटाने और उसे पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण मिलने के बाद कुश्ती की तदर्थ समिति को भंग कर दिया.

आईओए ने कहा कि राष्ट्रीय महासंघ के निलंबन रद्द होने के बाद खेल के संचालन के लिए तदर्थ समिति की 'कोई जरूरत नहीं' है. आईओए ने कहा कि तदर्थ समिति ने डब्ल्यूएफआई के सहयोग से अगले महीने के ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के लिए चयन ट्रायल का सफल आयोजन कर लिया है.

खेल मंत्रालय ने दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर तदर्थ समिति का गठन किया था. उनका यह दाव हालांकि उस समय उलटा पड़ गया जब इस खेल की वैश्विक संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू (यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग) ने फरवरी में डब्ल्यूएफआई से निलंबन हटा दिया.

आईओए ने 10 मार्च को जारी आदेश में कहा, 'माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर तदर्थ समिति को भंग करने का निर्णय डब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ पर लगे प्रतिबंध को हटाने और आईओए द्वारा नियुक्त समिति द्वारा चयन ट्रायल के सफल समापन को देखते हुए लिया गया है'.

डब्ल्यूएफआई प्रमुख संजय सिंह ने चुनाव में जीत दर्ज करने वाली समिति को राष्ट्रीय महासंघ के संचालन का जिम्मा देने के लिए आईओए का शुक्रिया किया. उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हम डब्ल्यूएफआई का पूर्ण नियंत्रण देने के लिए आईओए को धन्यवाद देते हैं. हम पहलवानों को सारी सुविधाएं देंगे. हम जल्द ही राष्ट्रीय शिविर आयोजित करेंगे और अगर पहलवान विदेश में अभ्यास करना चाहते हैं तो हम यह सुविधा भी देंगे. अब पूरा ध्यान ओलंपिक पर है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे पांच-छह पहलवान क्वालिफाई करेंगे'.

संजय सिंह के नेतृत्व में नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई द्वारा कथित तौर पर अपने नियमों का उल्लंघन करने के बाद 23 दिसंबर को भूपेंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया गया था.

तदर्थ समिति ने इस महीने की शुरुआत में अप्रैल में किर्गिस्तान में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप और एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के लिए टीमों का चयन करने के लिए ट्रायल का आयोजन किया था. इस ट्रायल में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने भी भाग लिया था. विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वर्ग में ओलंपिक क्वालीफायर में जीत दर्ज करने में सफल रही लेकिन बजरंग को हार का सामना करना पड़ा था.

ट्रायल के सफल समापन के बाद खेल की बागडोर डब्ल्यूएफआई को सौंप दी गई है. आईओए ने डब्ल्यूएफआई को यौन उत्पीड़न और नियमों के पालन जैसे अन्य मुद्दों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक 'सुरक्षा समिति अधिकारी' नियुक्त करने का निर्देश दिया.

आईओए पत्र में कहा गया, 'यूडब्ल्यूडब्ल्यू के निर्देश के मुताबिक यह जरूरी है कि डब्ल्यूएफआई दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की चिंताओं को दूर करने और नियमों और दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द सुरक्षा समिति / अधिकारी नियुक्त करे'.

इसके कहा गया, 'डब्ल्यूएफआई को स्थापित प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से एथलीट आयोग के चुनाव कराने का भी निर्देश दिया गया है. डब्ल्यूएफआई की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए यह कदम आवश्यक है'.

आदेश में डब्ल्यूएफआई को आईओए द्वारा कुश्ती मामलों के प्रबंधन के लिए तदर्थ पैनल को दिए गए 'ऋण को चुकाने' का भी निर्देश दिया गया है.

संजय सिंह ने कहा, 'जिस दिन मैंने चुनाव जीता, आप जानते हैं कि वह मेरे लिए कांटों का ताज था. रूकावटों के बावजूद हमने हर चीज की कोशिश की जो कर सकते थे. चाहे वह राष्ट्रीय चैम्पियनशिप (पुणे में) का आयोजन करना हो, या दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक तदर्थ समिति को अधिकारी और रेफरी प्रदान करना हो. मुझे यकीन है कि यह हमारे लिए संघर्ष का अंत है'.

इस घटनाक्रम से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि वह तदर्थ पैनल को भंग करने के आईओए के कदम से 'आश्चर्यचकित' हैं. उन्होंने कहा, 'खेल मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था और उसने अभी तक निलंबन रद्द करने के आदेश जारी नहीं किए हैं. इसके अलावा, मामला अदालत में है, इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि आईओए ने तदर्थ पैनल को क्यों भंग कर दिया'.

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नई दिल्ली : भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबन हटाने और उसे पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण मिलने के बाद कुश्ती की तदर्थ समिति को भंग कर दिया.

आईओए ने कहा कि राष्ट्रीय महासंघ के निलंबन रद्द होने के बाद खेल के संचालन के लिए तदर्थ समिति की 'कोई जरूरत नहीं' है. आईओए ने कहा कि तदर्थ समिति ने डब्ल्यूएफआई के सहयोग से अगले महीने के ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के लिए चयन ट्रायल का सफल आयोजन कर लिया है.

खेल मंत्रालय ने दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर तदर्थ समिति का गठन किया था. उनका यह दाव हालांकि उस समय उलटा पड़ गया जब इस खेल की वैश्विक संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू (यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग) ने फरवरी में डब्ल्यूएफआई से निलंबन हटा दिया.

आईओए ने 10 मार्च को जारी आदेश में कहा, 'माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर तदर्थ समिति को भंग करने का निर्णय डब्ल्यूडब्ल्यू द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ पर लगे प्रतिबंध को हटाने और आईओए द्वारा नियुक्त समिति द्वारा चयन ट्रायल के सफल समापन को देखते हुए लिया गया है'.

डब्ल्यूएफआई प्रमुख संजय सिंह ने चुनाव में जीत दर्ज करने वाली समिति को राष्ट्रीय महासंघ के संचालन का जिम्मा देने के लिए आईओए का शुक्रिया किया. उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हम डब्ल्यूएफआई का पूर्ण नियंत्रण देने के लिए आईओए को धन्यवाद देते हैं. हम पहलवानों को सारी सुविधाएं देंगे. हम जल्द ही राष्ट्रीय शिविर आयोजित करेंगे और अगर पहलवान विदेश में अभ्यास करना चाहते हैं तो हम यह सुविधा भी देंगे. अब पूरा ध्यान ओलंपिक पर है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे पांच-छह पहलवान क्वालिफाई करेंगे'.

संजय सिंह के नेतृत्व में नवनिर्वाचित डब्ल्यूएफआई द्वारा कथित तौर पर अपने नियमों का उल्लंघन करने के बाद 23 दिसंबर को भूपेंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया गया था.

तदर्थ समिति ने इस महीने की शुरुआत में अप्रैल में किर्गिस्तान में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप और एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के लिए टीमों का चयन करने के लिए ट्रायल का आयोजन किया था. इस ट्रायल में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने भी भाग लिया था. विनेश फोगाट ने 50 किग्रा वर्ग में ओलंपिक क्वालीफायर में जीत दर्ज करने में सफल रही लेकिन बजरंग को हार का सामना करना पड़ा था.

ट्रायल के सफल समापन के बाद खेल की बागडोर डब्ल्यूएफआई को सौंप दी गई है. आईओए ने डब्ल्यूएफआई को यौन उत्पीड़न और नियमों के पालन जैसे अन्य मुद्दों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक 'सुरक्षा समिति अधिकारी' नियुक्त करने का निर्देश दिया.

आईओए पत्र में कहा गया, 'यूडब्ल्यूडब्ल्यू के निर्देश के मुताबिक यह जरूरी है कि डब्ल्यूएफआई दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की चिंताओं को दूर करने और नियमों और दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द सुरक्षा समिति / अधिकारी नियुक्त करे'.

इसके कहा गया, 'डब्ल्यूएफआई को स्थापित प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से एथलीट आयोग के चुनाव कराने का भी निर्देश दिया गया है. डब्ल्यूएफआई की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए यह कदम आवश्यक है'.

आदेश में डब्ल्यूएफआई को आईओए द्वारा कुश्ती मामलों के प्रबंधन के लिए तदर्थ पैनल को दिए गए 'ऋण को चुकाने' का भी निर्देश दिया गया है.

संजय सिंह ने कहा, 'जिस दिन मैंने चुनाव जीता, आप जानते हैं कि वह मेरे लिए कांटों का ताज था. रूकावटों के बावजूद हमने हर चीज की कोशिश की जो कर सकते थे. चाहे वह राष्ट्रीय चैम्पियनशिप (पुणे में) का आयोजन करना हो, या दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक तदर्थ समिति को अधिकारी और रेफरी प्रदान करना हो. मुझे यकीन है कि यह हमारे लिए संघर्ष का अंत है'.

इस घटनाक्रम से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि वह तदर्थ पैनल को भंग करने के आईओए के कदम से 'आश्चर्यचकित' हैं. उन्होंने कहा, 'खेल मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था और उसने अभी तक निलंबन रद्द करने के आदेश जारी नहीं किए हैं. इसके अलावा, मामला अदालत में है, इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि आईओए ने तदर्थ पैनल को क्यों भंग कर दिया'.

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