कोटा : भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर कुलदीप यादव निजी कोचिंग संस्थान के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रविवार को कोटा पहुंचे. इस अवसर पर उन्होंने कोचिंग के बच्चों के साथ बातचीत की. कुलदीप ने इस दौरान कहा कि करियर में शिक्षकों और कोच का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है.
शिक्षक और कोच के महत्व को बताते हुए कुलदीप यादव ने बताया कि पहले वे फास्ट बॉलर बनना चाहते थे, लेकिन उनके कोच ने कम हाइट को देखते हुए उनका इरादा बदलवा दिया और उन्हें स्पिन गेंदबाजी की दिशा में मार्गदर्शन किया. इसके अलावा उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई के बारे में भी बात की. कुलदीप ने बताया कि जब वह स्कूल जाते थे, तो कुछ पीरियड्स के बाद ही पढ़ाई के लिए जाते थे, लेकिन अक्सर वह सो जाते थे और उनकी क्लास टीचर उन्हें डिस्टर्ब भी नहीं करती थीं.
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ओलंपिक में क्रिकेट और गोल्ड की उम्मीद : कुलदीप से जब पूछा गया कि क्या क्रिकेट आने वाले समय में ओलंपिक में शामिल होगा, तो उन्होंने कहा कि अगर वे भारतीय टीम के सदस्य होंगे, तो वे ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड जीतने के लिए पूरी तरह से संघर्ष करेंगे. अक्षर पटेल के उपकप्तान बनने के सवाल पर कुलदीप ने कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में टीम की घोषणा हुई है. इसमें अक्षर पटेल का वाईस कैप्टन बनना एक अच्छी खबर है, क्योंकि उन्होंने आईपीएल और भारत के लिए बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है.
कुलदीप से जब पूछा गया कि उन्हें टी-20, वनडे और टेस्ट क्रिकेट में से कौन सा फॉर्मेट ज्यादा पसंद है, तो उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट काफी चुनौतीपूर्ण होता है और वे तीनों फॉर्मेट खेलना पसंद करते हैं. उन्होंने अंडर-19 वर्ल्ड कप के बारे में भी बात की और कहा कि जब अंडर-19 क्रिकेट खेलते हैं, तो लगता है कि क्रिकेट की असल शुरुआत अब हुई है. इसके बाद जब वे आईपीएल के लिए चुने गए तो वहां पर सीनियर खिलाड़ियों के साथ खेलने का अनुभव उन्हें बहुत कुछ सिखाने वाला था.
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मेहनत का कोई विकल्प नहीं : कुलदीप ने यह भी बताया कि 13 साल पहले वे रणजी क्रिकेट खेलने के लिए कोटा आए थे और कोटा के बारे में उन्होंने बहुत सुना था कि यह जगह करियर बनाने के लिए जानी जाती है. यहां से डॉक्टर और इंजीनियर पूरे देश और दुनिया में सफलता प्राप्त कर रहे हैं. कुलदीप ने यह भी कहा कि सफलता के साथ-साथ अच्छा इंसान बनना भी जरूरी है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता.
कोच के मार्गदर्शन का महत्व : कुलदीप ने अपने संघर्षों का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने 11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था. पहले वे फुटबॉल खेलते थे, लेकिन एक चोट के बाद उनके चाचा ने उन्हें क्रिकेट खेलने की सलाह दी. इसके बाद बहुत कठिन संघर्ष के बाद वे क्रिकेटर बने. कुलदीप ने अपने कोच के बारे में भी बताया कि उनके कोच ने कम हाइट के कारण उन्हें फास्ट बॉलिंग छोड़कर स्पिन गेंदबाजी की ओर प्रेरित किया. इस बदलाव के बाद ही वे लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाज बने. उन्होंने कहा कि कोच में ऐसी खासियत होती है कि वे खिलाड़ी की क्षमता देखकर उसे सही दिशा दिखाते हैं.
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टीचर को दिया धन्यवाद : अंत में कुलदीप ने अपनी स्कूल टीचर अंजलि मिश्रा का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने उन्हें क्रिकेट में ध्यान केंद्रित करने की स्वतंत्रता दी. कुलदीप ने कहा कि जब वे स्कूल में पढ़ाई के दौरान सो जाते थे, तो अंजलि मैम उन्हें कभी डिस्टर्ब नहीं करती थीं. बाद में जब वे इंटरनेशनल क्रिकेटर बने तो डरबन में अंजलि मैम से मुलाकात हुई और उन्होंने कहा कि यदि वह उन्हें डिस्टर्ब करतीं, तो उनका विजन शायद खराब हो जाता.