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कोच गंभीर-मोर्केल नहीं, हर्षित राणा ने इन्हें दिया अपनी सफलता का श्रेय - INDIA VS AUSTRALIA

ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए पहली बार टीम इंडिया टेस्ट कॉल-अप आने के बाद तेज गेंदबाज हर्षित याणा ने अपनी सफलता का श्रेय किसे दिया ?

Harshit Rana
हर्षित राणा (ANI Photo)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Oct 28, 2024, 4:54 PM IST

नई दिल्ली : भारत की ऐतिहासिक 2020-21 टेस्ट सीरीज जीत हर किसी को याद है. इस दिन एक युवा क्रिकेटर हर्षित राणा ने एक सपना देखा था, जो अब तीन साल बाद हकीकत बनने वाला है. भारत की 18 सदस्यीय टीम में 3 अनकैप्ड खिलाड़ियों में से एक हर्षित राणा बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम में शामिल हैं.

घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार परफॉर्मेंस के बाद राणा की यात्रा उनके समर्पण को दर्शाती है. उम्मीद है कि अनुभवी खिलाड़ियों और गौतम गंभीर की कोचिंग में वह इस मौके को पूरी तरह भुनाने में सफल होंगे.

हर्षित राणा को टीम इंडिया टेस्ट कॉल-अप
आईपीएल 2024 के बाद से राणा भारतीय टीम का अभिन्न अंग रहे हैं, वह लगातार टीम के साथ यात्रा करते रहे हैं और उन्होंने अच्छा अनुभव हासिल किया है. जिम्बाब्वे, श्रीलंका और बांग्लादेश के दौरों के दौरान डेब्यू न करने के बावजूद, राणा ने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों के साथ अपने कौशल को निखारा है. उन्होंने खासकर ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों के बारे में इन गेंदबाजों से बहुत कुछ सीखा और होमवर्क किया होगा.

राणा को आईपीएल ने निखारा
आईपीएल के जरिए राणा ने अपने कौशल को खूब निखारा है. उन्होंने 2024 में 13 मैचों में 19 विकेट लिए और 20.15 के प्रभावशाली औसत के साथ सबका ध्यान खींचा. इस प्रदर्शन के कारण उन्हें जिम्बाब्वे दौरे पर टी20 के लिए भारत की ओर से शुरुआती कॉल-अप मिला. हालांकि, वह प्लेइंग-11 में शामिल नहीं हो पाए लेकिन यह अनुभव उनके लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ. भारत के बॉलिंग कोच मोर्ने मोर्कल से सीखते हुए, राणा ने प्रत्येक सेशन के लिए अलग-अलग लक्ष्यों के साथ अपने कौशल को निखारने पर ध्यान केंद्रित किया.

गंभीर-मोर्केल ने बहुत कुछ सिखाया
राणा ने कहा, 'मोर्ने मोर्कल हम पर कड़ी नजर रखते हैं और प्रत्येक गेंदबाज नेट पर क्या कर रहा है, इस पर उनका फोकस हमेशा रहता है. वह हमेशा हमें बताते हैं कि हमें प्रत्येक गेंद पर क्या लक्ष्य रखना चाहिए. इससे मुझे स्पष्टता मिलती है कि मुझे आगे क्या करना है. उन्होंने मुझे हर गेंदबाजी सत्र के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य रखने की सलाह दी है. टीम के इतने अनुभवी खिलाड़ियों के साथ खेलना शानदार होगा. कोच गौतम गंभीर से भी हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है'.

पिता का सपना- मैं इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट खेलूं
राणा ने आगे कहा, 'मुझे तब पता चला कि मैं ऑस्ट्रेलिया जा रहा हूं जब टीम की आधिकारिक घोषणा की गई. लेकिन मुझे इस बात का संकेत था कि मेरा चयन हो सकता है क्योंकि उन्होंने मुझे तैयारी के लिए टीम में रखा था. ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुना जाना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. मैं प्रतिस्पर्धी रवैये के साथ क्रिकेट खेलना पसंद करता हूं, जो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की भावना से मेल खाता है. जबकि मेरे पिता का सपना है कि मैं इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट मैच खेलूं, व्यक्तिगत रूप से, मैं एक टीम के रूप में ऑस्ट्रेलिया का सामना करने के लिए अधिक आकर्षित महसूस करता हूं. मुझे इस दौरे के लिए टीम में अपना नाम देखकर गर्व है'.

पिता का आभारी हूं
हर्षित ने अपना पहला टेस्ट मैच अपने पिता प्रदीप राणा को समर्पित किया, जिन्होंने हैमर थ्रो और भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) में सीआरपीएफ का प्रतिनिधित्व किया था. हर्षित ने अपने पिता के त्याग को याद किया. उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा कहता हूं कि मैं अपने पिता का आभारी हूं. जब मैं चोटों के कारण निराश था, तो उन्होंने ही मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, कभी मुझे टूटने नहीं दिया. वह हमेशा मुझसे कहते थे कि अगर यह आज नहीं हुआ, तो कल होगा और अगर कल नहीं हुआ, तो परसों होगा. भले ही यह कभी न हो, फिर भी उन्हें मेरी कड़ी मेहनत पर हमेशा गर्व रहा. मेरे लिए उनके शब्द बहुत मायने रखते हैं'.

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घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार परफॉर्मेंस के बाद राणा की यात्रा उनके समर्पण को दर्शाती है. उम्मीद है कि अनुभवी खिलाड़ियों और गौतम गंभीर की कोचिंग में वह इस मौके को पूरी तरह भुनाने में सफल होंगे.

हर्षित राणा को टीम इंडिया टेस्ट कॉल-अप
आईपीएल 2024 के बाद से राणा भारतीय टीम का अभिन्न अंग रहे हैं, वह लगातार टीम के साथ यात्रा करते रहे हैं और उन्होंने अच्छा अनुभव हासिल किया है. जिम्बाब्वे, श्रीलंका और बांग्लादेश के दौरों के दौरान डेब्यू न करने के बावजूद, राणा ने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों के साथ अपने कौशल को निखारा है. उन्होंने खासकर ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों के बारे में इन गेंदबाजों से बहुत कुछ सीखा और होमवर्क किया होगा.

राणा को आईपीएल ने निखारा
आईपीएल के जरिए राणा ने अपने कौशल को खूब निखारा है. उन्होंने 2024 में 13 मैचों में 19 विकेट लिए और 20.15 के प्रभावशाली औसत के साथ सबका ध्यान खींचा. इस प्रदर्शन के कारण उन्हें जिम्बाब्वे दौरे पर टी20 के लिए भारत की ओर से शुरुआती कॉल-अप मिला. हालांकि, वह प्लेइंग-11 में शामिल नहीं हो पाए लेकिन यह अनुभव उनके लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ. भारत के बॉलिंग कोच मोर्ने मोर्कल से सीखते हुए, राणा ने प्रत्येक सेशन के लिए अलग-अलग लक्ष्यों के साथ अपने कौशल को निखारने पर ध्यान केंद्रित किया.

गंभीर-मोर्केल ने बहुत कुछ सिखाया
राणा ने कहा, 'मोर्ने मोर्कल हम पर कड़ी नजर रखते हैं और प्रत्येक गेंदबाज नेट पर क्या कर रहा है, इस पर उनका फोकस हमेशा रहता है. वह हमेशा हमें बताते हैं कि हमें प्रत्येक गेंद पर क्या लक्ष्य रखना चाहिए. इससे मुझे स्पष्टता मिलती है कि मुझे आगे क्या करना है. उन्होंने मुझे हर गेंदबाजी सत्र के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य रखने की सलाह दी है. टीम के इतने अनुभवी खिलाड़ियों के साथ खेलना शानदार होगा. कोच गौतम गंभीर से भी हमें बहुत कुछ सीखने मिलता है'.

पिता का सपना- मैं इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट खेलूं
राणा ने आगे कहा, 'मुझे तब पता चला कि मैं ऑस्ट्रेलिया जा रहा हूं जब टीम की आधिकारिक घोषणा की गई. लेकिन मुझे इस बात का संकेत था कि मेरा चयन हो सकता है क्योंकि उन्होंने मुझे तैयारी के लिए टीम में रखा था. ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुना जाना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. मैं प्रतिस्पर्धी रवैये के साथ क्रिकेट खेलना पसंद करता हूं, जो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की भावना से मेल खाता है. जबकि मेरे पिता का सपना है कि मैं इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट मैच खेलूं, व्यक्तिगत रूप से, मैं एक टीम के रूप में ऑस्ट्रेलिया का सामना करने के लिए अधिक आकर्षित महसूस करता हूं. मुझे इस दौरे के लिए टीम में अपना नाम देखकर गर्व है'.

पिता का आभारी हूं
हर्षित ने अपना पहला टेस्ट मैच अपने पिता प्रदीप राणा को समर्पित किया, जिन्होंने हैमर थ्रो और भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) में सीआरपीएफ का प्रतिनिधित्व किया था. हर्षित ने अपने पिता के त्याग को याद किया. उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा कहता हूं कि मैं अपने पिता का आभारी हूं. जब मैं चोटों के कारण निराश था, तो उन्होंने ही मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, कभी मुझे टूटने नहीं दिया. वह हमेशा मुझसे कहते थे कि अगर यह आज नहीं हुआ, तो कल होगा और अगर कल नहीं हुआ, तो परसों होगा. भले ही यह कभी न हो, फिर भी उन्हें मेरी कड़ी मेहनत पर हमेशा गर्व रहा. मेरे लिए उनके शब्द बहुत मायने रखते हैं'.

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