मुंबई: 'सब कुछ ठीक है, लेकिन तुम थोड़ी अलग हो, हम तुम्हें नौकरी दे सकते हैं. लेकिन हमारी कंपनी के अन्य कर्मचारी आपसे विचलित होंगे. 4 फीट 2 इंच लंबी दिशा पांड्या जब अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश में निकलीं तो उन्हें भी ऐसे ही कारण सुनने को मिले. एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि पूरे 16 बार उन्हें उनकी हाइट की वजह से इंटरव्यू में रिजेक्ट किया गया. लेकिन, इतना रिजेक्शन मिलने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने इसके खिलाफ लड़ने का फैसला किया. आज दिशा पांड्या ने अपने नाम को सार्थक करते हुए छोटे कद वाले लोगों के लिए एक संस्था की स्थापना की है. आज वे उस संगठन के माध्यम से 600 लोगों का नेतृत्व कर रही हैं. तो आइए दिशा पांडे की सफलता की कहानी पर एक नजर डालते हैं.
पहला एसोसिएशन जो छोटे कद के लोगों के लिए काम करता है
जब हम किसी ऐसे दोस्त का परिचय कराते हैं जो छोटे कद का होता है, तो हम अक्सर मजाक उड़ता है. यही बात दिशा और उसके साथियों पर भी लागू होती है. उन्होंने अपनी कमियों को कम न आंकते हुए डटकर लड़ने का फैसला किया. आज उनकी संस्था पूरे देश में काम कर रही है. यह छोटे कद वाले लोगों के लिए काम करने वाली देश की पहली संस्था बन गई है. इस संस्था को दिशा और उनके साथियों ने 'लिटिल पीपल ऑफ इंडिया' नाम दिया है.
मेरे साथी छात्र अक्सर मुझे चिढ़ाते थे - दिशा
ईटीवी भारत से बात करते हुए दिशा पांड्या ने कहा, 'जब मैं स्कूल जाती थी तो मेरे साथी छात्र अक्सर मुझे चिढ़ाते थे. छोटी सी उम्र में मैंने दो दुनियाओं का अनुभव किया. एक मेरा घर था और दूसरा बाहर. मेरे माता-पिता भी इससे पीड़ित थे एक ही बीमारी से, इसलिए मैंने सोचा कि हर कोई हमारे जैसा था, लेकिन जब हम स्कूल गए, तो यह विपरीत था कि हम उन खेलों में भाग नहीं ले सके जो हम स्कूल में खेलते थे'.
बड़ी कंपनियों के लिए किया काम - दिशा
आज नौकरी के लिए कई प्लेटफॉर्म हैं, जहां नौकरी की रिक्तियों की जानकारी आसानी से मिल जाती है. अगर आप 10-12 साल पीछे जाएंगे तो आपको एहसास होगा कि नौकरी ढूंढने के लिए आपको अखबारों में विज्ञापन देखने पड़ते थे. मैं एक इंटरव्यू के लिए जा रही थी, मैंने वहां खुद को साबित किया, मैंने ऐसी कई बड़ी कंपनियों के लिए काम किया है'.
द लिटिल पीपल ऑफ इंडिया की स्थापना
दिशा पांड्या द्वारा स्थापित संस्था 'द लिटिल पीपल ऑफ इंडिया' की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है. जब दिशा काम से घर जा रही थी, तो ट्रेन में उसकी मुलाकात एक छोटे कद के व्यक्ति से हुई. ये शख्स कोई और नहीं बल्कि वर्ल्ड क्लास पैरा एथलीट मार्क धरमाई थे. मार्क ने अपने जैसे छोटे कद के लोगों के लिए काम करने का सुझाव दिया. उन्होंने पांच लोगों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया. 5 लोगों के व्हाट्सएप ग्रुप से शुरू हुई यह मुहिम अब 600 लोगों के व्हाट्सएप ग्रुप तक पहुंच गई है. दिशा इस संस्था के माध्यम से सदस्यों के लिए विभिन्न गतिविधियों का संचालन करती है.
दिशा ने कहा, 'ये लोग रोजगार के लिए सर्कस, फिल्मों और धारावाहिकों में काम करते हैं. उनका मजाक उड़ाया जाता है. उन्हें इसके लिए भुगतान मिलता है. लेकिन, इस तस्वीर को अब बदलना होगा. यहां हर कोई अपनी पहचान बनाना चाहता है. हम यही करने की कोशिश कर रहे हैं'.
32 साल की उम्र में की थी दिशा ने शादी
दिशा का सामाजिक और निजी जीवन हमेशा संघर्षपूर्ण रहा है. कई लोगों को लगता है कि आपकी हाइट छोटी है. तुमसे शादी कौन करेगा? वे ऐसा कहते थे. लेकिन, दिशा ने हार नहीं मानी. दिशा ने 32 साल की उम्र में शादी की थी. दिशा के पति भी इसी बीमारी से पीड़ित हैं. इनका कद भी छोटा होता है.
दिशा कहती हैं, 'उनका और मेरा साथ मिला. शुरुआत में कुछ मुश्किलें आईं, लेकिन हमने उस पर काबू पा लिया. आज हम खुश हैं. हमारे दो बच्चे हैं. यहां तक कि जब मेरे बच्चे थे, तब भी लोग चिढ़ाने और सलाह देने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे. फिर भी मैंने लोगों से कहा, आप उन लोगों को क्यों खराब कर रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि उस संघर्ष से कैसे खुश रहना है'.