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एशियन गेम्स में खेलेगी बिहार की खुशी, 50 साल में पहली बार इंडियन वॉलीबाल टीम में किसी बिहारी का हुआ चयन - Asian Games

Asian Games: एशिन गेम्स में होने वाले वॉलीबॉल मैच में औरंगाबाद की खुशी का चयन हुआ है. उन्हें इंडियन वॉलीबाल टीम में शामिल किया गया है. 50 साल में पहली बार ऐसा होगा कि जब महिला वॉलीबॉल में बिहार की किसी महिला खिलाड़ी का चयन हुआ है.

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एशिन गेम्स में खेलेगी बिहार की खुशी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 7, 2024, 2:24 PM IST

पटना: प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती. मजबूत संकल्प और इच्छाशक्ति हो तो मनुष्य किसी भी सफलता को प्राप्त कर सकता है. यह साबित किया है औरंगाबाद के गमती गांव के स्वर्गीय संतोष कुमार सिंह की बेटी खुशी कुमारी ने. खुशी का चयन एशिन गेम्स के लिए आयोजित भारतीय वीमेंस वॉलीबॉल कैंप में हुआ है. यह बिहार के लिए गर्व की बात है. बीते 50 साल में पहली बार किसी बिहारी महिला खिलाड़ी का चयन महिला वॉलीबॉल में हुआ है. इस उपलब्धि में उसके संघर्ष को दरकिनार नहीं किया जा सकता.

पिछले साल ही वॉलीबाल से जुड़ी: खुशी जिला और राज्यस्तर पर एथलेटिक्स में पदक की झड़ी लगा चुकी है. वह पिछले साल ही वॉलीबाल से जुड़ी है. खुशी के अंदर वॉलीबॉल खेलने का शौक उसके गांव से जागा. जहां वे अपने गांव के लड़कों को खेलता देखती थी. एक दिन मैदान में वॉलीबाल खेलने उतर पड़ी. वह अपने गांव के लड़कों के साथ अकेले खेलने वाली एकमात्र लड़की थी. वहां पर ना ही उनकी कोई टीम थी और ना ही उन्हें ट्रेनिंग देने वाला कोई कोच था.

सुबह 4 बजे प्रैक्टिस करने जाती: कहती है कि वे खुद ही सेल्फ प्रैक्टिस करती थी. वह रोज सुबह 4 बजे प्रैक्टिस के लिए औरंगाबाद जाती थी और रात 8 बजे अकेले लौटती थी. इसे लेकर आस-पड़ोस के लोग उनकी मां रीना देवी को ताना मारते थे. सब कहते थे की लड़की हाथ से निकल गई है. इतनी देर तक लड़कों के बीच रहती है. खुशी के पिता का देहांत 2016 में ही हो गया था, इस कारण खुशी को लेकर लोग कई बातें कहा करते थे.

200 लड़कियों में हुआ चयन: कहा जाता है कि किसी में कुछ न कुछ गुण छुपा हुआ होता है. खुशी को हाइट का बहुत फायदा हुआ. उनकी हाइट ने भारतीय टीम में उनकी जगह को थोड़ा आसान बना दिया. खुशी की हाइट 136 सेंटीमीटर है. खुशी बताती है कि उसका चयन वीमेंस कैंप के लिए 200 लड़कियों में से हुआ है.

प्रैक्टिस में हुई थी परेशानी: खुशी ने बताया कि एक बार ट्रायल के दौरान उसकी मुलाकात गया में वॉलीबॉल कोच अमन से हुई. उन्होंने अपनी प्रैक्टिस को लेकर परेशानियां बताई. इसके बाद पटना बुलाया गया और पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के सब इंस्पेक्टर संजय सिंह और कांस्टेबल अमन कुमार और ममता के अधीन प्रशिक्षण दिया गया.

मेंस टीम में गया के रिषी लाल का चयन: गया के रिषी लाल आजाद का चयन भी बंगलुरु में होने वाले साइ के नेशनल वॉलीबॉल कैंप के लिए हुआ है. 18 वर्षीय रिषी इस कैंप में भाग लेने वाले बिहार के दूसरे वॉलीबॉल प्लेयर हैं. इससे पहले बॉबी ने नेशनल टीम में जगह बनाई थी. रिषी की हाइट भी 2 मीटर है. रिषी का वॉलीबॉल में आने की अनोखी कहानी है.

रिषी को स्टेशन से लाकर सिखाया: द्रोषाचार्य अवार्डी श्रीधरन जी ने रिषी को रेलवे स्टेशन पर देखा था, जहां से वह उसे लेकर स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स आ गए. उसके बाद इन्हें कोच संजय कुमार व कॉस्टेबल अमन ने तैयार किया है. रिषी व खुशी के चयन पर बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरण, निदेशक सह सचिव पंकज राज, बिहार बॉलीबाल संघ के सभी अधिकारियों व खिलाड़ियों ने बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की.

इसे भी पढ़े- बिहटा के NDRF मुख्यालय में 3 दिवसीय इंटर जोनल वॉलीबॉल प्रतियोगिता, देश के चार जोन की टीमें शामिल

पटना: प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती. मजबूत संकल्प और इच्छाशक्ति हो तो मनुष्य किसी भी सफलता को प्राप्त कर सकता है. यह साबित किया है औरंगाबाद के गमती गांव के स्वर्गीय संतोष कुमार सिंह की बेटी खुशी कुमारी ने. खुशी का चयन एशिन गेम्स के लिए आयोजित भारतीय वीमेंस वॉलीबॉल कैंप में हुआ है. यह बिहार के लिए गर्व की बात है. बीते 50 साल में पहली बार किसी बिहारी महिला खिलाड़ी का चयन महिला वॉलीबॉल में हुआ है. इस उपलब्धि में उसके संघर्ष को दरकिनार नहीं किया जा सकता.

पिछले साल ही वॉलीबाल से जुड़ी: खुशी जिला और राज्यस्तर पर एथलेटिक्स में पदक की झड़ी लगा चुकी है. वह पिछले साल ही वॉलीबाल से जुड़ी है. खुशी के अंदर वॉलीबॉल खेलने का शौक उसके गांव से जागा. जहां वे अपने गांव के लड़कों को खेलता देखती थी. एक दिन मैदान में वॉलीबाल खेलने उतर पड़ी. वह अपने गांव के लड़कों के साथ अकेले खेलने वाली एकमात्र लड़की थी. वहां पर ना ही उनकी कोई टीम थी और ना ही उन्हें ट्रेनिंग देने वाला कोई कोच था.

सुबह 4 बजे प्रैक्टिस करने जाती: कहती है कि वे खुद ही सेल्फ प्रैक्टिस करती थी. वह रोज सुबह 4 बजे प्रैक्टिस के लिए औरंगाबाद जाती थी और रात 8 बजे अकेले लौटती थी. इसे लेकर आस-पड़ोस के लोग उनकी मां रीना देवी को ताना मारते थे. सब कहते थे की लड़की हाथ से निकल गई है. इतनी देर तक लड़कों के बीच रहती है. खुशी के पिता का देहांत 2016 में ही हो गया था, इस कारण खुशी को लेकर लोग कई बातें कहा करते थे.

200 लड़कियों में हुआ चयन: कहा जाता है कि किसी में कुछ न कुछ गुण छुपा हुआ होता है. खुशी को हाइट का बहुत फायदा हुआ. उनकी हाइट ने भारतीय टीम में उनकी जगह को थोड़ा आसान बना दिया. खुशी की हाइट 136 सेंटीमीटर है. खुशी बताती है कि उसका चयन वीमेंस कैंप के लिए 200 लड़कियों में से हुआ है.

प्रैक्टिस में हुई थी परेशानी: खुशी ने बताया कि एक बार ट्रायल के दौरान उसकी मुलाकात गया में वॉलीबॉल कोच अमन से हुई. उन्होंने अपनी प्रैक्टिस को लेकर परेशानियां बताई. इसके बाद पटना बुलाया गया और पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के सब इंस्पेक्टर संजय सिंह और कांस्टेबल अमन कुमार और ममता के अधीन प्रशिक्षण दिया गया.

मेंस टीम में गया के रिषी लाल का चयन: गया के रिषी लाल आजाद का चयन भी बंगलुरु में होने वाले साइ के नेशनल वॉलीबॉल कैंप के लिए हुआ है. 18 वर्षीय रिषी इस कैंप में भाग लेने वाले बिहार के दूसरे वॉलीबॉल प्लेयर हैं. इससे पहले बॉबी ने नेशनल टीम में जगह बनाई थी. रिषी की हाइट भी 2 मीटर है. रिषी का वॉलीबॉल में आने की अनोखी कहानी है.

रिषी को स्टेशन से लाकर सिखाया: द्रोषाचार्य अवार्डी श्रीधरन जी ने रिषी को रेलवे स्टेशन पर देखा था, जहां से वह उसे लेकर स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स आ गए. उसके बाद इन्हें कोच संजय कुमार व कॉस्टेबल अमन ने तैयार किया है. रिषी व खुशी के चयन पर बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरण, निदेशक सह सचिव पंकज राज, बिहार बॉलीबाल संघ के सभी अधिकारियों व खिलाड़ियों ने बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की.

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