देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों को लेकर हाल ही में GTCC का दौरा हुआ था. GTCC के तीन दिवसीय निरीक्षण के बाद नेशनल गेम्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण वेन्यू एथलेटिक्स ट्रैक को पूरा खोद कर दोबारा बनाया जा रहा है. क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी देखिए हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में.
नेशनल गेम्स से पहले खोदा गया एथलेटिक्स ट्रैक: उत्तराखंड में प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों में यदि सबसे बेहद महत्वपूर्ण खेलों की बात की जाए तो एथलेटिक्स में 40 इवेंट होते हैं. इसलिए इन इवेंट्स में मेडल आने की सबसे ज्यादा संभावना होती है. पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उत्तराखंड ने एथलेटिक्स खेलों में ही सबसे ज्यादा मेडल हासिल किए थे. लेकिन उत्तराखंड में नेशनल गेम्स होने से ठीक पहले नेशनल गेम्स का वह महत्वपूर्ण वेन्यू जहां पर सारे एथलेटिक्स खेल होने हैं, GTCC के दौरे के बाद इस ट्रैक को खोद दिया गया है. ईटीवी भारत ने यहां की ग्राउंड रिपोर्टिंग की और जानने की कोशिश की कि आखिर नेशनल गेम्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण एथलेटिक ट्रैक को अब आखिरी बचे 50 दिनों के भीतर क्यों खोदा जा रहा है.
जीटीसीसी ने ट्रैक को मानक से कमतर पाया था: विभागीय जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में नेशनल गेम्स की तैयारी को लेकर जब गेम्स टेक्निकल कंडक्ट कमेटी (GTCC) ने हल्द्वानी के स्टेडियम और देहरादून महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के एथलेटिक ट्रैक का निरीक्षण किया तो उन्होंने मौके पर ट्रैक की इनर लेन को खराब पाया और कहा कि इस पर नेशनल गेम्स नहीं किये जा सकते हैं. जिस पर खेल विभाग द्वारा एथलेटिक ट्रैक के रिपेयर या फिर पैच वर्क को लेकर बात कही गई.
एथलेटिक्स ट्रैक पर धावकों की जगह जेसीबी: महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के एथलेटिक ट्रैक पर ठीक से निरीक्षण करने पर यह पाया गया कि यह 2013 में बनाया गया था. वैसे भी अब आने वाले कुछ सालों में पूरी तरह से उखाड़ कर नया ट्रैक बनाना पड़ेगा. इस पर जीटीसीसी ने अपना सुझाव दिया कि आप इसे पूरा उखाड़ कर दोबारा बनाएं. यही वजह है कि इन दिनों देहरादून महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के उस ट्रैक पर जहां पर एथलीट खिलाड़ियों को दौड़ना चाहिए था, वहां पर अभी जेसीबी ट्रैक को उखाड़ रहे हैं.
11 साल पुराने ट्रैक पर कराने जा रहे थे नेशनल गेम्स: जेसीबी के साथ मौजूद इंजीनियर विकास का कहना है कि यह ट्रैक 2013 में बनाया गया था. इस पर अब पैचवर्क करना या फिर रिनोवेशन करना मुनाफे का सौदा नहीं था. इसलिए इसे दोबारा तैयार किया जा रहा है. वहीं एथलेटिक्स कोच लोकेश कुमार ने बताया कि उन्हें ट्रैक के खोदे जाने को लेकर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई है. हालांकि विभागीय जानकारी नए सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक बनाने के लिए 45 दिनों का समय दिया गया है. लेकिन क्या यह समय से पूरा हो पाएगा यह बड़ा सवाल है.
खेल विभाग की बड़ी लापरवाही: उधर दूसरी तरफ नेशनल गेम्स के तरीकों को लेकर इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की तरफ से एक पत्र उत्तराखंड ओलंपिक संघ को प्राप्त हुआ है. इसमें तारीखों को आगे बढ़ने का सुझाव दिया गया है. भले ही इस पत्र में व्यवस्थाओं के खस्ताहाल होने का जिक्र नहीं है, लेकिन जिस तरह से अब जीटीसीसी के दौरे के बाद खेल विभाग ने एथलेटिक ट्रैक को उखाड़ा है, निश्चित तौर से कहीं ना कहीं यह विभाग की लापरवाही ही रही है.
उत्तराखंड नेशनल गेम्स को लेकर कुछ महत्वपूर्ण तथ्य -
उत्तराखंड में प्रस्तावित हैं 38 में राष्ट्रीय खेल
उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों के लिए प्रस्तावित है 350 करोड़ का बजट
IOA ने 28 जनवरी 2025 से दी है राष्ट्रीय खेलों की प्रस्तावित तारीख
GTCC के दौरे के बाद IOA ने दिया तारीखों को आगे ले जाने का सुझाव
देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर, हल्द्वानी और टिहरी में होने हैं राष्ट्रीय खेलों के इवेंट
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड को पहली दफ़ा मिली राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी
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