Vaisakh Poornima pooja vidhi वैशाख महीने की पूर्णिमा को सनातन हिंदू धर्म में विशेष मान्यता दी गई है. ये अत्यधिक शुभ दिन पूजा अर्चना और दान के लिए जाना जाता है. विष्णु भगवान को समर्पित वैशाख पूर्णिमा को पवित्र स्नान, दान दक्षिणा का बहुत महत्व है. इस दिन धर्मराज यमराज, भगवान विष्णु और पितरों के नाम दान करने का भी अपना अलग महत्व है. हालांक, वैशाख पूर्णिमा पर कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आइए विस्तार से जानते हैं.
वैशाख पूर्णिमा पर करना चाहिए पवित्र स्नान
ओरछा रामराजा सरकार मंदिर के पुजारी वीरेंद्र कुमार बिदुआ कहते हैं कि वैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ काम विशेष तौर पर किए जाने अति आवश्यक होते हैं. इस दिन सूर्योदय से पहले जलाशय पर जाकर स्नान करना चाहिए. स्नान से पहले जलाशय से प्रार्थना करें के पूरे वैशाख माह में जल की कमी न हो. पवित्र स्नान का भी एक नियम होता है. पवित्र स्नान के लिए पवित्र नदी यानी मां गंगा में स्नान करना चाहिए. यदि यह संभव नहीं हो तो स्नान से पहले किसी जलाशय के पास एक चौकोर मंडल बनाकर गंगा जी का आह्वान करना चाहिए, जिसके लिए शास्त्रों में एक मंत्र भी बताया गया है. क्योंकि गंगा जी हर जगह नहीं है इसलिए उसे जलाशय में गंगा जी को बुलाने के लिए इस मंत्र का जाप करें.
"गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु".
स्नान से पहले करना चाहिए शुद्धि
पवित्र स्नान के लिए जलाशय में गंगा मंत्रोच्चार के बाद खुद पर जल के छीटें डालने चाहिए. इसके बाद मिट्टी लेकर मंत्र कर के साथ उसे शुद्ध करें इसके बाद शरीर पर लगाना चाहिए. यह प्रक्रिया पवित्र स्नान से पहले की जाती है. इसके बाद जिस चौकोर मंडल में हमने गंगा जी को आवाहन कर प्रकट किया है उसे जलाशय में डालकर पवित्र स्नान करें. इसके बाद शुद्ध और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.
पवित्र स्नान के बाद तर्पण करना भी है जरूरी
स्नान के बाद तर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है, जिसमें सबसे पहले देवताओं के लिए तर्पण किया जाता है. इसके बाद ऋषि और दिव्य मनुष्य के लिए तर्पण किया जाता है. इसके बाद धर्मराज यमराज के लिए विशेष तर्पण किया जाता है और आखिर में अपने पितरों के लिए भी तर्पण करना चाहिए. लेकिन पूजन की यह विधि यहीं समाप्त नहीं होती. स्नान और तर्पण के बाद सूर्य को अर्घ्य देना अति आवश्यक होता है, जिसमें हम चावल, लाल चंदन, पीला पुष्प शामिल होता है.
घर में करें भगवन विष्णू की विधिवत पूजा
भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद जातक को घर आना चाहिए और यहां विधि विधान से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करना चाहिए. भगवान श्री हरि का पंचामृत से स्नान करना चाहिए. इसके बाद इसके बाद वस्त्र और जनेऊ पहनाएं, इत्र लगाएं, धूप-दीप जलाकर विधिवत पूजन करें. साथ ही भगवन विष्णू का मंत्रोच्चार करे संकल्प लें और पूरे वैशाख माह में दान करते रहें.
दान से पहले जरूर दें ध्यान
- पंडित वीरेंद्र कुमार बिदुआ कहते हैं कि दान को भी अलग-अलग भागों में बांटा गया है. यह दान भगवान विष्णु, धर्मराज यमराज और पितरों और गुरुजनों के लिए किया जाता है.
- भगवान श्री विष्णु के लिए दान में पंखा, शैया (चटाई, चादर आदि), शंकर फल और वस्त्र जैसी चीज दान करना चाहिए.
- धर्मराज और यमराज के लिए काला तिल, दही, सात प्रकार के अनाज, काला वस्त्र कांस्य की थाली में रखकर दान करना चाहिए
- पितरों के लिए किए जाने वाले दान में भी काला तिल, दही, सात प्रकार के अनाज वस्त्र कांसे की थाली में रखकर दान करें.
- ऋषि मुनि और गुरुजनों को पुष्पमाला पहनाकर वस्त्र, खड़ाऊ, फल, मिठाई, शक्कर, सत्तू (सत्तू का इस दान में विशेष महत्व होता है) और दक्षिणा देनी चाहिए.
वैशाख पूर्णिमा पर भूलकर भी न करें यह काम
आपने ये तो जान लिया कि वैशाख पूर्णिमा पर हमको क्या करना चाहिए. लेकिन किन बातों से इस दौरान बचना चाहिए या नहीं करनी चाहिए यह भी जान लीजिए. वैशाख पूर्णिमा पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि इस पूरे महीने भर किसी को भी अपशब्द नहीं कहेंगे. इस महीने में बिस्तर पर भी शयन नहीं करना चाहिए, पूरे महीने जमीन पर ही सोना चाहिए. भोजन भी एक ही समय करें. मसूर और उड़द की दाल ना खाएं. मांस मदिरा से परहेज करें और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.