हिसार: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा इन दिन हर जुबान पर है. चर्चा केवल 144 वर्षों बाद बने संयोग के बाद महाकुंभ में स्नान की ही नहीं है, बल्कि इस चर्चा का एक बिंदु यहां स्थापित विशालकाय महामृत्युंजय यंत्र भी है. प्रयागराज के सेक्टर 22 स्थित संगम विहार में 52 फीट लंबे-चौड़े और 52 फीट ही ऊंचे महामृत्युंजय यंत्र की अलौकिक, दिव्य और अद्भुत छटा लाखों श्रद्धालुओं में कौतूहल उत्पन्न कर रही है. यही कारण है कि इस यंत्र का दर्शन करने प्रतिदिन असंख्य लोगों के पांव अकस्मात खिंचे चले आ रहे हैं.
हरियाणा के स्वामी सहजानंद ने करवाई स्थापना : हरियाणा के हिसार की महामृत्युंजय पीठ के आचार्य स्वामी सहजानंद ने विश्व के सबसे बड़े आकार वाले इस यंत्र की स्थापना कराई है. उनका कहना है कि प्रयागराज कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के साथ हर दिन लाखों लोग महामृत्युंजय यंत्र का दर्शन लाभ ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि महामृत्युंजय यंत्र की परिक्रमा और दर्शन करना एक तरह से अपने भीतर अलौकिक ऊर्जा को अंगीकार करना है. विगत 34 वर्षों की अथक साधना और मेहनत के बाद स्वामी सहजानंद का विश्व के सबसे बड़े आकार वाले महामृत्युंजय यंत्र आमजन को समर्पित करने का उनका सपना साकार हुआ है. इस यंत्र को महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और यूपी के 100 से अधिक कारीगरों ने महीनों की मेहनत के बाद तैयार किया है.
इसलिए ही प्रयागराज को चुना : प्रयागराज में ही यंत्र की स्थापना करने के बारे में उनका कहना है कि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, सृष्टि की शुरुआत में प्रयागराज में ही आदि देवता ब्रह्मा जी ने सबसे पहला यज्ञ किया था. स्वामी सहजानंद के अनुसार प्रयागराज की उस धरा पर महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना करने के संतोष की तुलना किसी भी अन्य भौतिक सुख से नहीं की जा सकती.
इसे भी पढ़ें : सीएम नायब सिंह सैनी ने बुजुर्गों को दिया 'नायब' तोहफा, वरिष्ठ नागरिकों ने हरियाण सरकार को दिया धन्यवाद
इसे भी पढ़ें : महाकुंभ में वायरल हो रहे हरियाणा के IITian बाबा, पिता बोले - प्लीज़ घर आ जा बेटा, ईटीवी भारत के जरिए की अपील