हैदराबाद : इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आज से रमजान का महीना शुरू हो रहा है. यह इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है और जो कि शाबान के बाद आता है. मुस्लिम धर्मावलंबी रमजान के महीने को सबसे पाक (पवित्र) मानते हैं. इस्लाम में चांद की गणना के आधार पर दिन-महीने का निर्धारण किया जाता है. भारत में इस साल रमजान का महीना 12 मार्च 2024 से शुरू होगा. इस महीने की मुख्य खासियत अल्लाह की इबादत और दूसरों की मदद करना है.
यूं तो इस्लाम धर्म में इंसानियत की राह पर चलने और दूसरों की मदद करने को महत्व दिया जाता है, लेकिन रमजान के महीने में इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. रमजान इबादत और दूसरों की मदद करने का महीना है. Ramzan के महीने के दौरान सभी मुसलमान इबादत और दूसरों की मदद (सदका-जकात) पर जोर देते हैं. ऐसा माना जाता है कि रमजान के महीने में सदका-जकात दिए बिना ईद की नमाज कबूल नहीं होती है.
रमजान का महत्व
मुस्लिम मान्यताओं के अनुसार इस्लामिक हिजरी दो में अल्लाह ने रमजान के महीने में ही दुनिया को कुरान की नेमत दी और सभी पर रोजे फर्ज किए. मुस्लिम धर्मगुरु बताते हैं कि इस महीने में की गई एक नेकी (अच्छाई) के बदले 70 नेकियों के बराबर सवाब (पुण्य) मिलता है. दूसरे शब्दों में कहें तो इस महीने में की गई इबादत और दुआओं का फल दूसरे अन्य महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है. इस महीने में की गई इबादत और दुआएं जल्दी कबूल होती हैं. इसीलिए धर्मावलंबी इस महीने रोजे रखकर अपनी सलामती और गुनाहों की माफी मांगते हैं.
रोजा, सहरी, इफ्तार और तरावीह
रमजान के रोजे के दौरान लोग सुबह उठकर सहरी करते हैं अर्थात दिन का रोजा शुरू करने से पहले कुछ खाते हैं. इसमें सभी रोजेदार सुबह का सूरज निकलने से लगभग डेढ़ घंटा पहले खाना खाते हैं. सहरी के बाद ही रोजे की शुरुआत होती है. इसके बाद दिनभर कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है. शाम को सूरज डूबने के बाद तय वक्त पर सभी रोजेदार कुछ खाकर अपना रोजा खत्म करते हैं जिसे इफ्तार कहते हैं.
रोजा रखने के नियम
- रमजान के महीने में इबादत और दूसरों की मदद करने का बहुत ही महत्व होता है. इसलिए इस दौरान इस दौरान तन-मन-कर्म और वचन से भी संयम रखना जरूरी होता है.
- इस दौरान दूसरों को दुख पहुंचाने से भी बचना चाहिए.
- इस दौरान कुरान पढ़ने का महत्व बहुत ज्यादा होता है, जहां तक संभव हो इस दौरान ज्यादा से ज्यादा वक्त इबादत या कुरान पढ़ने में बिताना चाहिए.
- रमजान के महीने में पांच वक्त की नमाज के बाद रात में (लगभग 9 बजे) एक विशेष नमाज पढ़ी जाती है जिसे तरावीह कहते हैं.
- रमजान के दौरान यदि कोई बीमार है तो उसको रोजे रखने से छूट रहती है.
- गर्भवती अथवा बच्चे को दूध पिला रही महिलाओं को रमजान के दौरान रोजे रखने की छूट रहती है. कुछ मामलों में जो लोग सफर करते हैं उन्हें भी रोजे रखने की छूट रहती है.
- जिन व्यक्तियों की उम्र बहुत ज्यादा हो जाती है उन्हें भी रोजे रखने से छूट रहती है. ramadan 2024 , ramadan mubarak , roza rakhne ki niyat , taraweeh ki dua , ramadan , roze ki niyat , ramadan mubarak images , ramzan , taraweeh dua , roza rakhne ki dua , ramzan mubarak