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Karwa Chauth 2024: करवा चौथ कल, जानें व्रत का समय व पूजन मुहूर्त - KARWA CHAUTH 2024

Karwa Chauth 2024: पति की लंबी आयु के लिए किए जाने वाले करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को है. पढ़ें पूरी खबर..

Karwa Chauth 2024
करवा चौथ (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2024, 6:05 AM IST

हैदराबादः कार्तिक (8वें चंद्र महीने) माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (चौथे दिन) को करवा चौथ व्रत मनाया जाता है. इस साल यह तिथि 20 अक्टूबर, दिन रविवार को पड़ता है. सुहागिन महिलाएं पतियों की सुखद-सफल और दीर्धायु जीवन के लिए पूजा-अर्चना करती हैं. वहीं करवा चौथ के दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती है, जो भगवान गणेश को समर्पित एक व्रत है. करवा चौथ की रस्में क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हों सकती हैं, लेकिन इस त्योहार सार एक ही है- प्रेम, भक्ति और विवाह के पवित्र बंधन का उत्सव.

करवा चौथ, विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो ज्यादातर उत्तरी भारत में मनाया जाता है. इसे करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, जहां करवा या करक का अर्थ है मिट्टी का बर्तन जिसके माध्यम से पानी चढ़ाया जाता है, जिसे चंद्रमा को अर्घ कहा जाता है. यह त्यौहार विवाह का उत्सव है, जिसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं. यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर शाम को चांद दिखने तक चलता है. धार्मिक मामलों के जानकार के अनुसार "करवा चौथ का व्रत कठोर होता है. सूर्योदय के बाद रात में चांद दिखने तक उपवास रखना होता है. इस दौरान व्रती कुछ भी खाना तो दूर, पानी की एक बूंद भी नहीं पीया जाता है."

द्रिक पंचांग के अनुसार करवा चौथ व्रत का समय

  1. करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, दिन रविवार
  2. करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त-शाम 5ः17 बजे से 6:33 मिनट तक
  3. करवा चौथ का समय- सुबह 5ः17 बजे से शाम 7ः29 बजे तक
  4. करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रोदय का समय-शाम 7 बजकर 29 मिनट तक

चतुर्थी तिथि का प्रारंभ व समापन

  1. चतुर्थी तिथि प्रारंभ का समयः 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6ः46 मिनट से
  2. चतुर्थी तिथि समापन समयः 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4ः16 बजे तक

करवा चौथ 2024: उत्पत्ति और महत्व
करवा चौथ, जिसे करक चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है, वैवाहिक बंधन की मजबूती का प्रतीक है. इसका पता महाभारत की कहानी से लगाया जा सकता है, जब सावित्री ने अपने पति की आत्मा के लिए मृत्यु के देवता, भगवान यम से प्रार्थना की थी. महाकाव्य में एक और अध्याय पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी के बारे में है, जिन्होंने अर्जुन द्वारा कुछ दिनों के लिए प्रार्थना और ध्यान करने के लिए नीलगिरी की यात्रा करने के बाद अपने भाई कृष्ण से सहायता मांगी थी. उन्होंने उसे देवी पार्वती की तरह अपने पति शिव की सुरक्षा के लिए सख्ती से उपवास करने का निर्देश दिया. द्रौपदी ने इसका पालन किया और अर्जुन जल्द ही सुरक्षित घर लौट आए. त्योहार के पीछे का महत्व यह है कि उपवास का कार्य एक पत्नी की अपने पति के प्रति भक्ति और प्रेम को दर्शाता है. करवा चौथ मुख्य रूप से उत्तरी और पश्चिमी भारत में मनाया जाता है, जहां इस अवसर पर बहुत ही उत्साहपूर्ण उत्सव मनाया जाता है. पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में, बाज़ार सजावटी वस्तुओं, पारंपरिक कपड़ों और मिठाइयों से भरे होते हैं, जो उत्सव की भावना को दर्शाते हैं.

करवा चौथ के दौरान खासकर मेडिकल समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को उपवास करने से बचना चाहिए. अगर वे उपवास कर रही हैं तो अपने चिकित्सकों से सलाह अवश्य लेंः

  1. मधुमेह
  2. हृदय रोग
  3. बुज़ुर्ग व्यक्ति
  4. पेप्टिक अल्सर
  5. खाने के विकार
  6. गुर्दे की बीमारी
  7. हाई ब्लड प्रेशर
  8. दवाएं लेने वाली महिलाएं
  9. कम वजन वाली महिलाएं
  10. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार
  11. दीर्घकालिक बीमारियों वाले लोग
  12. गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएं
  13. मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाली महिलाएं

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जानें, कब है करवा चौथ व्रत, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त - Karwa Chauth 2024

हैदराबादः कार्तिक (8वें चंद्र महीने) माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (चौथे दिन) को करवा चौथ व्रत मनाया जाता है. इस साल यह तिथि 20 अक्टूबर, दिन रविवार को पड़ता है. सुहागिन महिलाएं पतियों की सुखद-सफल और दीर्धायु जीवन के लिए पूजा-अर्चना करती हैं. वहीं करवा चौथ के दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती है, जो भगवान गणेश को समर्पित एक व्रत है. करवा चौथ की रस्में क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हों सकती हैं, लेकिन इस त्योहार सार एक ही है- प्रेम, भक्ति और विवाह के पवित्र बंधन का उत्सव.

करवा चौथ, विवाहित हिंदू महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो ज्यादातर उत्तरी भारत में मनाया जाता है. इसे करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, जहां करवा या करक का अर्थ है मिट्टी का बर्तन जिसके माध्यम से पानी चढ़ाया जाता है, जिसे चंद्रमा को अर्घ कहा जाता है. यह त्यौहार विवाह का उत्सव है, जिसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं. यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर शाम को चांद दिखने तक चलता है. धार्मिक मामलों के जानकार के अनुसार "करवा चौथ का व्रत कठोर होता है. सूर्योदय के बाद रात में चांद दिखने तक उपवास रखना होता है. इस दौरान व्रती कुछ भी खाना तो दूर, पानी की एक बूंद भी नहीं पीया जाता है."

द्रिक पंचांग के अनुसार करवा चौथ व्रत का समय

  1. करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, दिन रविवार
  2. करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त-शाम 5ः17 बजे से 6:33 मिनट तक
  3. करवा चौथ का समय- सुबह 5ः17 बजे से शाम 7ः29 बजे तक
  4. करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रोदय का समय-शाम 7 बजकर 29 मिनट तक

चतुर्थी तिथि का प्रारंभ व समापन

  1. चतुर्थी तिथि प्रारंभ का समयः 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6ः46 मिनट से
  2. चतुर्थी तिथि समापन समयः 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4ः16 बजे तक

करवा चौथ 2024: उत्पत्ति और महत्व
करवा चौथ, जिसे करक चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है, वैवाहिक बंधन की मजबूती का प्रतीक है. इसका पता महाभारत की कहानी से लगाया जा सकता है, जब सावित्री ने अपने पति की आत्मा के लिए मृत्यु के देवता, भगवान यम से प्रार्थना की थी. महाकाव्य में एक और अध्याय पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी के बारे में है, जिन्होंने अर्जुन द्वारा कुछ दिनों के लिए प्रार्थना और ध्यान करने के लिए नीलगिरी की यात्रा करने के बाद अपने भाई कृष्ण से सहायता मांगी थी. उन्होंने उसे देवी पार्वती की तरह अपने पति शिव की सुरक्षा के लिए सख्ती से उपवास करने का निर्देश दिया. द्रौपदी ने इसका पालन किया और अर्जुन जल्द ही सुरक्षित घर लौट आए. त्योहार के पीछे का महत्व यह है कि उपवास का कार्य एक पत्नी की अपने पति के प्रति भक्ति और प्रेम को दर्शाता है. करवा चौथ मुख्य रूप से उत्तरी और पश्चिमी भारत में मनाया जाता है, जहां इस अवसर पर बहुत ही उत्साहपूर्ण उत्सव मनाया जाता है. पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में, बाज़ार सजावटी वस्तुओं, पारंपरिक कपड़ों और मिठाइयों से भरे होते हैं, जो उत्सव की भावना को दर्शाते हैं.

करवा चौथ के दौरान खासकर मेडिकल समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को उपवास करने से बचना चाहिए. अगर वे उपवास कर रही हैं तो अपने चिकित्सकों से सलाह अवश्य लेंः

  1. मधुमेह
  2. हृदय रोग
  3. बुज़ुर्ग व्यक्ति
  4. पेप्टिक अल्सर
  5. खाने के विकार
  6. गुर्दे की बीमारी
  7. हाई ब्लड प्रेशर
  8. दवाएं लेने वाली महिलाएं
  9. कम वजन वाली महिलाएं
  10. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार
  11. दीर्घकालिक बीमारियों वाले लोग
  12. गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएं
  13. मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाली महिलाएं

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