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नर्मदा के हर कंकर में शिव शंकर, जानिये भोलेनाथ ने नर्मदा नदी को क्यों किया था उत्पन्न - NARMADA RIVER KANKAR SHiv SHANKAR

नर्मदा नदी को गंगा नदी के समकक्ष माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि गंगा नदी में नहाने के बाद पापों से मुक्ति मिली है, लेकिन नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही पापों से मुक्ति मिल जाती है.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 11:09 AM IST

Updated : Jul 26, 2024, 11:31 AM IST

JABALPUR BHEDAGHAT NARMADA RIVER
नर्वदेश्वर शिवलिंग की पूजा अति महत्वपूर्ण और फलदाई (ETV Bharat)

जबलपुर: नर्मदा के हर कंकर में शिव शंकर हैं. कहा जाता है कि नर्मदा से निकलने वाला हर कंकर शिवलिंग होता है, क्योंकि मां नर्मदा को भगवान शिव का विशेष वरदान है. नर्मदा से निकलने वाले हर कंकर में भगवान शिव शंकर का स्वरूप है, इसलिए नर्मदा से निकलने वाला प्रत्येक शिवलिंग पवित्र माना गया है और इसे सीधे स्थापित किया जाता है. साथ ही सावन माह में श्रद्धालु नर्मदा किनारे जाकर भगवान शिवलिंग का जलाभिषेक करके पूजा अर्चन करते हैं. जो व्यक्ति श्रावण माह में भगवान नर्वदेश्वर शिवलिंग की पूजा करता है उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है.

नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से मिट जाते हैं पाप (ETV Bharat)

नर्मदा का हर कंकर नर्वदेश्वर शिवलिंग

वेद पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि गंगा जी में नहाने से जो फल प्राप्त होता है, वह फल मां नर्मदा के दर्शन मात्र से मिल जाता है. क्योंकि विश्व में नर्मदा एकमात्र ऐसी नदी है, जिसमें स्नान करने से ज्यादा दर्शन करने मात्र से पुण्य फल प्राप्त होता है. यही वजह है कि नर्मदा के हर कंकर को नर्वदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है. इसी शिवलिंग को घरों में स्थापित करके पूजा की जाती है. वेद पुराणों के अनुसार, जिस घर में भगवान नर्मदेश्वर विराजमान रहते हैं. वहां काल और यम का भय नहीं होता और वो व्यक्ति समस्त सुखों का भोग करता हुआ सीधे शिवलोक को जाता है.

नर्वदेश्वर शिवलिंग अति महत्वपूर्ण

मां नर्मदा अमरकंटक से निकलकर जबलपुर के ग्वारीघाट भेड़ाघाट होते हुए खंभात की खाड़ी में मिल जाती है. यही वजह है कि भेड़ाघाट के शिवलिंग की पूरे देश भर में डिमांड है, क्योंकि नर्मदा से निकलने वाले नर्वदेश्वर शिवलिंग की पूजा अति महत्वपूर्ण और फलदाई मानी जाती है. कहा जाता है कि गृहत्थ जीवन, परिवार की मंगल कामना व सिद्धियों के साथ-साथ लक्ष्मी देने वाला भी शिवलिंग है. इसलिए हर व्यक्ति को नवदेश्वर शिवलिंग की पूजा प्रतिदिन करनी चाहिए. नर्मदा नदी का उल्लेख स्कंद पुराण में किया गया है.

bhedaghat narbadeshwar shankar
भगवान नर्वदेश्वर शिवलिंग (ETV Bharat)

मां नर्मदा से ब्रह्मा जी से मांगा वरदान

वेद पुराणों के अनुसार बताया गया है कि "प्राचीन काल में मां नर्मदा नदी ने बहुत सालों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया था. प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा, तब नर्मदा जी ने कहा आप मुझे गंगा नदी के समान कर दीजिए तब ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा कि यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वती जी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके, तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है. ब्रह्माजी की ये बात सुनकर नर्मदा जी उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयी और वहां पिलपिला तीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं. उनके इस तप से भगवान शंकर खुश हुए और प्रकट होकर नर्मदा जी से वर मांगने को कहा, तब नर्मदा जी ने कहा कि तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरण कमलों में मेरी भक्ति बनी रहें.

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दर्शन मात्र से पापों के होंगे नाश

नर्मदा की बात सुनकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और बोले तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं, वे सब मेरे वर से शिवलिंग रूप हो जाएंगे. गंगा में स्नान करने पर पाप का नाश होता है, यमुना सात दिन के स्नान से और सरस्वती तीन दिन के स्नान से सभी पापों का नाश करती है. मगर तुम दर्शन मात्र से सम्पूर्ण पापों का निवारण करने वाली होगी.

जबलपुर: नर्मदा के हर कंकर में शिव शंकर हैं. कहा जाता है कि नर्मदा से निकलने वाला हर कंकर शिवलिंग होता है, क्योंकि मां नर्मदा को भगवान शिव का विशेष वरदान है. नर्मदा से निकलने वाले हर कंकर में भगवान शिव शंकर का स्वरूप है, इसलिए नर्मदा से निकलने वाला प्रत्येक शिवलिंग पवित्र माना गया है और इसे सीधे स्थापित किया जाता है. साथ ही सावन माह में श्रद्धालु नर्मदा किनारे जाकर भगवान शिवलिंग का जलाभिषेक करके पूजा अर्चन करते हैं. जो व्यक्ति श्रावण माह में भगवान नर्वदेश्वर शिवलिंग की पूजा करता है उसे मनचाहा फल प्राप्त होता है.

नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से मिट जाते हैं पाप (ETV Bharat)

नर्मदा का हर कंकर नर्वदेश्वर शिवलिंग

वेद पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि गंगा जी में नहाने से जो फल प्राप्त होता है, वह फल मां नर्मदा के दर्शन मात्र से मिल जाता है. क्योंकि विश्व में नर्मदा एकमात्र ऐसी नदी है, जिसमें स्नान करने से ज्यादा दर्शन करने मात्र से पुण्य फल प्राप्त होता है. यही वजह है कि नर्मदा के हर कंकर को नर्वदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है. इसी शिवलिंग को घरों में स्थापित करके पूजा की जाती है. वेद पुराणों के अनुसार, जिस घर में भगवान नर्मदेश्वर विराजमान रहते हैं. वहां काल और यम का भय नहीं होता और वो व्यक्ति समस्त सुखों का भोग करता हुआ सीधे शिवलोक को जाता है.

नर्वदेश्वर शिवलिंग अति महत्वपूर्ण

मां नर्मदा अमरकंटक से निकलकर जबलपुर के ग्वारीघाट भेड़ाघाट होते हुए खंभात की खाड़ी में मिल जाती है. यही वजह है कि भेड़ाघाट के शिवलिंग की पूरे देश भर में डिमांड है, क्योंकि नर्मदा से निकलने वाले नर्वदेश्वर शिवलिंग की पूजा अति महत्वपूर्ण और फलदाई मानी जाती है. कहा जाता है कि गृहत्थ जीवन, परिवार की मंगल कामना व सिद्धियों के साथ-साथ लक्ष्मी देने वाला भी शिवलिंग है. इसलिए हर व्यक्ति को नवदेश्वर शिवलिंग की पूजा प्रतिदिन करनी चाहिए. नर्मदा नदी का उल्लेख स्कंद पुराण में किया गया है.

bhedaghat narbadeshwar shankar
भगवान नर्वदेश्वर शिवलिंग (ETV Bharat)

मां नर्मदा से ब्रह्मा जी से मांगा वरदान

वेद पुराणों के अनुसार बताया गया है कि "प्राचीन काल में मां नर्मदा नदी ने बहुत सालों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया था. प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा, तब नर्मदा जी ने कहा आप मुझे गंगा नदी के समान कर दीजिए तब ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा कि यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वती जी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके, तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है. ब्रह्माजी की ये बात सुनकर नर्मदा जी उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयी और वहां पिलपिला तीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं. उनके इस तप से भगवान शंकर खुश हुए और प्रकट होकर नर्मदा जी से वर मांगने को कहा, तब नर्मदा जी ने कहा कि तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरण कमलों में मेरी भक्ति बनी रहें.

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Last Updated : Jul 26, 2024, 11:31 AM IST
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