Hartalika Teej Vrat 2024: 6 सितंबर को हरतालिका तीज है. ये दिन सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है. इस दिन सभी महिलाएं तीजा का व्रत करती हैं और यह व्रत इतना आसान नहीं होता है. यह सबसे कठिन व्रत में से एक होता है. तीज का व्रत करते समय कई बातें ऐसी रहती हैं. जिनका ख्याल रखना होता है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानते हैं कि अगर आप तीज का व्रत कर रहे हैं, तो आपको किन पांच बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. जिससे व्रत का पूर्ण लाभ मिले भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हों.
सबसे कठिन व्रत तीज, इन 5 बातों का रखें ख्याल
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि 'तीज को हरतालिका तीज व्रत के नाम से जाना जाना जाता है. ये तीज का त्योहार 6 सितंबर दिन शुक्रवार को पड़ रहा है. शास्त्रों में उल्लेख है तीज व्रत करने के पहले द्वितीय से ही सावधानी रखनी चाहिए. शास्त्रों में उल्लेख है की द्वितीया को शाम के समय 9 से 10 के बीच में फलाहार भोजन कर लें और फिर जल लेकर के व्रत प्रारंभ करें. इसके बाद किसी भी तरह का भोजन सायं कालीन नहीं करना चाहिए.
उस दिन अमृत सिद्धि योग है, रात को व्रत करें, फलाहार करें और प्रातः कालीन ब्रम्ह मुहूर्त में हाथ में जल लेकर के संकल्प करें कि हम अपने सुख सौभाग्य की रक्षा के लिए तीज का व्रत प्रारंभ कर रहे हैं. इसमें किसी प्रकार की त्रुटि हो तो हे प्रभु आप क्षमा करें. ऐसी प्रार्थना करके तीज के व्रत का उपवास प्रारंभ करें.
तीज के दिन व्रत कर रहे हैं, तो दिन के समय सोए नहीं, जागरण करते हुए भगवान शिव के निकट बैठ करके ओम नमः शिवाय का जाप करें, उच्चारण करें, बेलपत्र में ओम नमः शिवाय लिख करके कम से कम 108 बार शिवजी को चढ़ाना ना भूलें.
हरतालिका व्रत के बीच ना सोना है और न ही किसी तरह का कोई भी पेय पदार्थ लेना है. बहुत से लोग पूछते हैं कि दूध में चाय नहीं लिखा चाय पी सकते हैं, लेकिन कोई भी पेय पदार्थ नहीं लेना है और पूरा दिन पूरी रात इस कठिन तीजा व्रत का उपवास करना है.
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तीज के दिन इस बात का विशेष ख्याल रखें कि अकेले तीज के व्रत का पूजन ना करें. इसमें एक साथ कई महिलाएं अपने सहेलियों के साथ एक जगह बैठ करके भगवान शिव पार्वती गणेश कार्तिक भगवान का पूजन करें, रात भर जागरण करें और रात्रि के समय व्यवस्था हो जाए तो चार प्रहर की पूजा करें. प्रथम प्रहर शाम 6:00 बजे से लेकर 9:00 बजे के बीच में, दूसरा 9 से 12 के बीच में, तीसरा प्रहर रात में 12 बजे से 3 बजे के बीच में और चौथा प्रहर रात में 3 बजे से 6 बजे के बीच में चार प्रहर की पूजन करें. फिर पूजन करने के बाद वहां मूर्ति विसर्जन करने के बाद किसी ब्राह्मण को बांस के डलिया में भोजन सामग्री या चावल दाल आटा जो भी व्यवस्था हो सके दान करके भोजन लेना चाहिए.