हैदराबादः दुर्गा पूजा के 20-21 दिनों के बाद प्रकाशोत्सव दिवाली मनाया जाता है. दुर्गा पूजा के समाप्त होते ही ज्यादातर लोग दिवाली की तैयारी में जुट गये हैं. हिंदू धर्म में बड़े त्योहारों में से एक दिवाली अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है. प्रकाश पर्व दिवाली धनतेरस से प्रारंभ होकर भैया दूज के साथ समाप्त होता है. देश के ज्यादातर हिस्सों में दिवाली 5 दिवसीय होता है. वहीं महाराष्ट्र में दिवाली उत्सव एक दिन पूर्व गोवत्स द्वादशी के साथ प्रारंभ हो जाता है.
दिवाली कैलेंडर 2024
- 28 अक्टूबर (सोमवार)-गोवत्स द्वादशी, वसुबारस
- 29 अक्टूबर (मंगलवार)-धनतेरस
- 30 अक्टूबर (बुधवार)-काली चौदस, हनुमान पूजा
- 31 अक्टूबर (गुरुवार)-नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), काली पूजा
- 01 नवंबर (शुक्रवार)-दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
- 02 नवंबर (शनिवार)-गोवर्धन पूजा, अन्नकूट
- 03 नवंबर (रविवार)-भाई दूज, यम द्वितीया
धनतेरसः धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम भी जाना जाता है. इस साल यह 29 अक्टूबर को है. इस दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष में मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. अमूमन इस दिन अपनी आर्थिक क्षमता और जरूरतों के अनुसार निवेश करते हैं या अपने लिए जरूरी सामग्री खरीदते हैं.
यम द्वीपः यह धनतेरस के दिन ही मनाया जाता है. इस साल यह 29 अक्टूबर को है. इस दिन मृत्यु के देवता यम के नाम पर एक दीपक घर बाहर जलाया जाता है. मान्यता है कि इस यम के नाम एक दीपक जलाने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवार के सभी सदस्यों को अकाल मृत्यु का दंड नहीं देते हैं.
हनुमान पूजा/काली चौदस: दिवाली से एक दिन पूर्व हनुमान पूजा मनाया जाता है. यह मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है. इस साल काली चौदस और हनुमान पूजा 30 अक्टूबर को है. मान्यता है कि काली चौदस की रात में भूज-प्रेत आत्माएं काफी शक्तिशाली होती हैं. इन बुरी आत्माओं से रक्षा के लिए राम भक्त हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है.
काली पूजाः दिवाली के दिन भारत के ज्यादातर हिस्से में मां लक्ष्मी की पूजा की परंपरा है. लक्ष्मी पूजा को श्यामा पूजा और कोजागर पूजा के नाम से भी जाना जाता है. वहीं पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों में काली पूजा की प्रमुखता होती है. द्रिक पंचांग के अनुसार इस साल काली पूजा 31 अक्टूबर को है. काली पूजा अमावस्या तिथि को होता है.
दिवालीः रोशनी का त्योहार दिवाली से पहले घर-द्वार, मोहल्ले की साफ-सफाई की परंपरा है. वहीं दिवाली के दिन अपने घरों-दूकानों को फूलों, झालरों व रंगीन बल्वों से सजाते हैं. इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित कर घर में पूजन किया जाता है. द्रिक पंचांग के अनुसार इस साल दिवाली 01 नवंबर को मनाया जायेगा.
गोवर्धन पूजा/अन्नकूट पूजाः दिवाली के अगले दिन ज्यादातर गोवर्धन पूजा पड़ता है. कभी-कभी दिवाली और गोवर्धन पूजा में एक दिन का भी गैप (अन्तराल) होता है. इसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है. द्रिक पंचांग के अनुसार इस साल 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा है. यह त्योहार मुख्य रूप से प्रभु श्रीकृष्ण के द्वारा इंद्र देव को पराजित किये जाने के अपलक्ष्य में मनाने की परंपरा है.
भैय्या दूजः दिवाली का समापन भैय्या दूज के साथ होता है. इस साल यह 3 नवंबर को है. भाई के खुशहाल जीवन के लिए बहनें भैय्या दूज मनाती हैं. इसे भाई दूज, भाऊ बीज, भतरु द्वितीया और भात्र द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहनें भाई को टीका लगाकर पूजा करती हैं और ईश्वसर से उनकी लंबी व स्वस्थ्य जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं. इसके बाद मिठाई खिलाती हैं.